क्या आपने “विभाजन कालीन भारत के साक्षी” पुस्तक पढ़ी है?

इस पुस्तक में विभाजन के समय के 350 भुक्त- भोगियों के साक्षात्कार हैं, जिन्होंने विभाजन को प्रत्यक्ष देखा और भुगता है। उनकी आपबीती की कहानियां उनकी ही जबानी।
इन कहानियों में आपको मिलेगा घरों में क्या हुआ? दफ्तरों में क्या हुआ? दुकानों पर क्या हुआ? स्कूलों और कॉलेजों में क्या हुआ? गलियों में क्या हुआ? सड़कों पर क्या हुआ? खेतों में क्या हुआ? रेल गाड़ियों में क्या हुआ? कैसे युवा लड़कियां कुओं में कूद गईं? कैसे लाखों लोग मारे गए ?खून की नदियां कैसे बनी ?घर और गांव कैसे जला दिए गए? कैसे मंदिर और गुरुद्वारे अपवित्र किए गए, मूर्तियां तोड़ दी गईं, श्री गुरु ग्रंथ साहिब फाड़ दिए गए और जला दिए गए?
कैसे नन्हें शिशुओं को माताओं की गोद से छीन कर जमीन पर पटक कर मार दिया गया या आकाश में उछाल कर भालों की नोक पर लिया गया।
यह सब क्रूरता और जंगलीपन हुआ इस्लाम के नाम पर, पाकिस्तान के नाम पर।
इस पुस्तक में बहुत से नवीन और अचरज भरे नए तथ्य आपको मिलेंगे। जैसे कि–
१ नेहरू जी ने माउंटबेटन को बताया कि ‘originally I am also a muslim.
२. हरिद्वार में लोगों ने नेहरू जी को भाषण नहीं करने दिया था और उनका कुर्ता फाड़ दिया था।
३. गांधी जी ने तो विभाजन को 1940 में ही स्वीकार कर लिया था।
४. ३ सितंबर 1946 को नेहरू जी, सरदार पटेल आदि केंद्रीय मंत्रियों को राजपथ (अब कर्तव्य पथ) पर मुस्लिम लीगी गुंडों से संघ के स्वयंसेवकों ने बचाया था।
५. 10 सितंबर 1947 को ( स्वतंत्रता के 26 दिन बाद ) दिल्ली के मुसलमानों ने दिल्ली में व्यापक रूप से हिंदुओं का नरसंहार करके और सब केंद्रीय मंत्रियों की हत्या करके लाल किले पर पाकिस्तानी झंडा फहरा देने की योजना बनाई हुई थी ।इस योजना का पता संघ के मुसलमान बने हुए स्वयंसेवकों ने लगा लिया था और सरदार पटेल को सूचित किया था। जिस पर सरदार पटेल ने सैनिक कार्रवाई की थी। मुसलमानों ने सेना का बहुत देर तक मुकाबला किया था। अनेक मस्जिदों से बहुत भारी मात्रा में गोला- बारूद, राइफलें, स्टेनगन, ब्रेनगन, बम, हैंड ग्रेनेड व ट्रांसमीटर आदि बरामद किए गए थे।
६. ऐसे ही प्रयत्न मुसलमानों ने पानीपत, सोनीपत, करनाल, अंबाला, हांसी, हिसार, रोपड़, संगरूर, पटियाला, मेवात, नारनौल, ज्वालापुर,मुजफ्फर नगर,अजमेर आदि में भी किए थे किंतु हर जगह उन्हें मुंह की खानी पड़ी।
७. आगरा के मुसलमानों ने भरतपुर रियासत पर हमला किया था।
८. सितंबर 1947 में ही पाकिस्तान की सेना के सैनिकों ने जगाधरी रेलवे स्टेशन पर फायरिंग की थी, जिसमें कुछ लोग मारे भी गए थे।
९. अक्टूबर 1947 में कश्मीर पर हमला करने के लिए रावलपिंडी के सर्किट हाउस में जिन्ना के साथ पाकिस्तानी सेना के उच्च अधिकारियों की जब मीटिंग हो रही थी, उसी समय वहीं पर नीचे रिसेप्शन में संघ के हजारा जिला प्रचारक हरीश भनोट भी एक मुसलमानी नवाब बन कर बैठे हुए थे। हमला किस तारीख को होगा और कहां से होगा, यह जानकारी सबसे पहले वह ही लेकर श्रीनगर पहुंचे थे ।
१०. 1946-47 में गांधीजी एक वर्ष तक दिल्ली में मंदिर मार्ग पर भंगी कॉलोनी (हरिजन बस्ती) के संघ कार्यालय में रहे थे ।
इस प्रकार के सैंकड़ों नए तथ्य इस पुस्तक में हैं। यह पुस्तक चार खंडों में है। पृष्ठ संख्या लगभग २००० है। चारो खंडों का कुल मूल्य ३२००/- रुपए है।
विभाजन के सभी पक्षों की जानकारी देने वाली अभी तक ऐसी और कोई पुस्तक नहीं निकली है।
लेखक कृष्णानंद सागर ने इसके लेखन में २० वर्ष खपाए हैं। पुस्तक के प्रकाशक हैं —
जागृति प्रकाशन,
एफ -१०९, सेक्टर-२७,
नोएडा-२०१३०१, मोबाइल-९८७११४३७६८

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