महान स्वतन्त्रता सेनानी वैदिक धर्म रक्षक स्वामी ओमानन्द सरस्वती की जयंती पर उन्हें कोटि कोटि नमन-
(22 मार्च 1911-23 मार्च 2003)
स्वामी जी के बचपन का नाम भगवान सिंह खत्री था। आपका जन्म एक जाट परिवार में हुआ था। आप कट्टर आर्य समाजी थे। भगत सिंह के बलिदान से आपको देश की अंग्रेज सरकार से घृणा हो है।आपने 10000 से ऊपर हिन्दू जो इसाई बन चुके थे उन्हें वापस हिन्दू बनाया।ईसाई मिसनरियाँ इनके नाम से ही कांपती थी।
इन्होंने नमक सत्याग्रह भारत छोड़ो आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाई थी।इन्होंने प्रभात फेरी लगाकर भारतीयों में स्वतन्त्रता की ललक जगाई।
इन्होंने हैदराबाद सत्याग्रह में भी अपने प्राणों की बाजी लगा दी थी जिसके डर से इन्हें अंग्रेजो ने गिरफ्तार कर लिया था।
मेवात में अंग्रेजों के कहने पर जब हिन्दुओ पर मुस्लिमो ने हमला किया तो इन्होंने हिन्दुओ को हथियार, औषधि व अनाज उपलब्ध कराया।
आजादी के समय मार काट में स्वयं पाकिस्तान जाकर हिन्दुओ को हथियार पहुंचकर आये।
व वापिस आकर हरियाणा व आस पास के क्षेत्र में बदला लेने के लिए भी बहुत अच्छी भूमिका निभाई।
आपने मेवात में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाई और मुसलमानों द्वारा प्रताड़ित हिंदुओं को सहयोग कर उनकी रक्षा की थी।
हरियाणा को पंजाब से अलग करने, हिंदी आंदोलन, गौरक्षा आंदोलन, शराब बंदी आंदोलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आपने कुंडली में बूचड़खाना खोलने के सरकार के निर्णय का विरोध किया और बूचड़खाना खोलने से रोक दिया।
चण्डीगढ़ इन्ही के प्रयासों के कारण हरियाणा की राजधानी बनी और इसे पंजाब में न जाने के लिए सत्याग्रह किया।
इन्होंने कई गुरुकुल बनवाये व कईयों का जीर्णोद्धार किया, औषधालय व पुस्तकालय बनवाये।
आप ब्रह्मचर्य, व्यायाम करने और शारीरिक बल बढ़ाने के बड़े पक्षधर थे।
आप उच्च कोटि के अनुसंधान कर्ता थे और आपने झज्जर गुरुकुल में पुरातत्व संग्रहालय स्थापित किया था।
आप कुशल वैद्य भी थे और आपने आयुर्वेद पर अनेक ग्रंथों की रचना की थी।
आप आर्ष विद्या के बड़े समर्थक थे और आपने गुरुकुल में न केवल आर्ष विद्या पढ़ाने का प्रबंध किया था अपितु अनेक दुर्लभ आर्ष साहित्य का प्रकाशन भी किया था।
आर्य समाज को फैलाने में भी मुख्य योगदान दिया।
ऐसी महान आत्मा को कोटि कोटि नमन।
#डॉविवेकआर्य