बदायूं हत्याकांड: इतना सन्नाटा क्यों है भाई??

✍️मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”

28 जून 2022 को राजस्थान के उदयपुर में हुई एक घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। जिसमें एक निर्दोष दर्जी टेलर मास्टर कन्हैयालाल की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी. हत्या का आरोप मोहम्मद रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद पर लगाया गया था। आरोपियों ने इस जघन्य हत्याकांड का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर भी डाला था। माना जाता है कि कन्हैया लाल की नृशंस हत्या के पीछे कन्हैया लाल का नूपुर शर्मा के एक बेहद विवादित बयान का समर्थन करना था। हालांकि हम इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं करते हैं।

अभी हाल ही में उत्तरप्रदेश के बदायूं में दो सगे भाइयों आयुष (14 वर्ष) और अहान (6वर्ष) की साजिद और जावेद नामक दो युवकों ने नृशंस हत्या कर दी। हत्यारों ने दोनों बच्चों के न केवल गले रेत दिए बल्कि उनपर क्रूरतापूर्वक कुल 20 वार भी किये।

पहले राजस्थान और अब उत्तरप्रदेश में हुई इन दोनों घटनाओं का भले ही परस्पर कोई सम्बन्ध न हो, परन्तु इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि दोनों ही घटनाओं में आरोपियों की क्रूर मानसिकता एक जैसी ही थी।

आपने सोशल मीडिया पर वायरल होते कुछ ऐसे हिंसात्मक वीडियो जरूर देखें होंगे जिसमें आईएसआईएस सरीखे कट्टरपंथी आतंकी संगठनों द्वारा बंधकों के धारदार हथियार से बड़ी बेहरमी से गर्दन रेतकर धड़ से अलग करके हत्या कर दी जाती है।
उपरोक्त दोनों हत्याकांडों में आरोपियों द्वारा लगभग वैसा ही बर्बर तरीका अपनाया गया है।

यहां गौरतलब बात यह है कि कुछ विपक्षी नेता हत्यारोपी साजिद के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने पर छातियाँ कूटकर विधवा विलाप कर रहे हैं। वह साजिद की मौत का मातम ठीक ऐसे मना रहे हैं, जैसे कि कश्मीर में आतंकी बुरहान वानी की मौत पर स्यापा किया गया था।

यह भी गौरतलब है कि बदायूं में विपक्षी राजनीतिक गिद्धों का अभी तक कोई जमावड़ा नहीं लगा है। दरअसल, यह गिद्ध वहीं मंडराते हैं जहां पर “राजनीतिक भुखमरी” ख़त्म करने का कोई सुलभ उपाय सूझ रहा हो। जहां मानवीय संवेदनाओं पर राजनीति का मसाला लगाकर उसको नोचा जा सके।

बदायूं में सन्नाटा पसरा है, क्योंकि वहाँ तड़का नहीं लगाया जा सकता। पिंकी, पिंकू सहित सब शांत हैं।

✍️समाचार सम्पादक, हिंदी समाचार-पत्र,
उगता भारत

👉यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं, इनसे आपका सहमत होना, न होना आवश्यक नहीं है।

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