हूँ घिरा कब से हुआ, अज्ञान के अँधियार में

आशीर्वाद दीजिए 🙏😊🙏

हूँ घिरा कब से हुआ, अज्ञान के अँधियार में
कोई तो दिखलाए राह, बस हूँ इसी विचार में

सारी उम्र वन में उस, मृग की भांति ही फिरा
ढूँढता बाहर मगर जो, खुद की महक से था घिरा

तूने सब, पाने की हमेशा, बाहर से ही आस की
मन में कभी सोचा नहीं, न खुद से ही प्रयास की

जान लेगा गर खुदी को, तो जान सबको जाएगा
ज्ञान भीतर का लिया तो, अज्ञानी ना कहलाएगा

जानता हूँ राह में मजबूरियां भी हैं बहुत
ढूँढता है जिसको भी तू, दूरियां भी हैं बहुत

सौगंध लेकर ही तू चल, अब बीच में रुकना नहीं
लाख हों दुश्वारियां, किन्तु तू कभी झुकना नहीं

देखना मन से अगर तू, संतत ही चलता जाएगा
एक ना एक दिन प्यारे, मंजिल को पा जाएगा

#rohit_अज्ञानी

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