दशमेश पिता गुरू गोविंद सिंह जी सैनिको में उत्साह भरने के लिये जो भाषण देते थे,उनका संग्रह ‘चंड़ी दी वार’ कहलाता है।

उसमें लिखे दोहे पर अलगाववादी सिख गौर करें :-

मिटे बाँग सलमान सुन्नत कुराना।
जगे धमॆ हिन्दुन अठारह पुराना॥

यहि देह अँगिया तुरक गहि खपाऊँ।
गऊ घात का दोख जग सिऊ मिटाऊँ॥

अर्थात :- हिंदुस्तान की धरती से बाँग(अजान),सुन्नत (इस्लाम) और कुरान मिट जाये,हिन्दू धर्म का जागरण होकर अट्ठारह पुराण आदर को प्राप्त हों।

इस देह के अंगों से ऐसा काम हो कि सारे तुर्कों को मारकर
खत्म कर दूँ और गोवध का दुष्कृत्य संसार से नष्ट कर दूँ।

देही शिवा बर मोहे,शुभ कर्मन ते कभुं न टरूं।
न डरौं अरि सौं जब जाय लड़ौं,
निश्चय कर अपनी जीत करौं॥

अर्थात :-
हे परमशक्ति माँ (शिवा) ऐसा वरदान दो कि मैं
अपने शुभ कर्मपथ से कभी विचलित न हो पाऊँ।

शत्रु से लड़ने में कभी न डरूँ और जब लड़ूं तब
उन्हें परास्त कर अपनी विजय सुनिश्चित करूँ।

।।#सत्_श्रीअकाल।।

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