कांग्रेस का राष्ट्र विरोधी आचरण और श्री राम मंदिर

कांग्रेस अपने जन्म काल से ही हिंदू विरोधी आचरण करती आई है । हिंदू विरोधी का अभिप्राय है – राष्ट्र विरोधी होना। कांग्रेस के ऐसे दोगले चरित्र के होने का कारण यह भी है कि इसे भारतीय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से प्रेरित होकर स्थापित नहीं किया गया था अपितु भारतीय राष्ट्रवाद को मिटाने या उसकी उठती हुई आंधी को हल्का करने के उद्देश्य से प्रेरित होकर एक ब्रिटिश अधिकारी ए0ओ0 ह्यूम द्वारा स्थापित किया गया था। अपने इसी प्रकार के दोगलेपन के कारण कांग्रेस प्रारंभ से ही या तो ऐसे बयान देती आई है या ऐसे कार्य करती आई है जिससे भारतीय जनमानस को ठेस पहुंचे। विशेष रूप से इसने वेदों, उपनिषदों, रामायण, महाभारत और उनके पात्रों सहित उन सभी ग्रंथों का या तो उपहास उड़ाया है या उन्हें रूढ़िवादी कहकर उपेक्षित करने की बात कही है ,जिनसे भारतीय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को मजबूती मिल सकती हो।
यदि राम मंदिर के मामले को लिया जाए तो कांग्रेस ने श्रीराम और राम मंदिर दोनों को ही काल्पनिक माना है । आधुनिकता और प्रगतिशीलता के नाम पर इसने विदेशी लेखकों , कथित विद्वानों और भारत के बारे में उल्टा सीधा लिखने वाले लोगों की बातों को प्रामाणिक माना है। कांग्रेस ने कभी भी मौलिक भारत की मौलिक विचारधारा के साथ समन्वय स्थापित नहीं किया। इस बीमारी से स्वयं महात्मा गांधी भी ग्रसित रहे। उन्होंने भी श्रीराम को काल्पनिक ही माना था।
कितना अच्छा होता कि कांग्रेस भारतीय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को मजबूत करने वाले श्रीराम के चरित्र को भारतवर्ष की राजनीति के लिए एक आदर्श चरित्र के रूप में स्थापित करती। भारत की सारी राजनीति श्रीराम की राष्ट्रनीति से ऊर्जा प्राप्त करती और उसी के अनुसार आचरण करती। पर कांग्रेस ने वही किया जो उसके दोगले चरित्र से अपेक्षा की जा सकती थी। हमें श्री राम जन्मभूमि के विषय में यह ध्यान रखना चाहिए कि खुदाई के समय उपस्थित रहे मुस्लिम विद्वान भी इस बात से सहमत हो गए थे कि यहां पर कभी कोई हिंदू मंदिर रहा है और वह मंदिर श्री राम जी का ही मंदिर हो सकता है। पर मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति पर काम करती रही कांग्रेस ने उन सब प्रमाणों को झुठलाने का प्रयास किया और वह निरंतर यही बोलती रही कि यह सब काल्पनिक बातें हैं। न्यायालय में कांग्रेस ने शपथ पत्र देकर सारे तथ्यों पर पानी फेरने का काम किया।
मुस्लिम तुष्टीकरण के इस खेल में ऐसा नहीं है कि केवल कांग्रेस ही सम्मिलित रही बल्कि उसके साथ में भारतवर्ष की सभी धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक पार्टियां भी इसी प्रकार का खेल खेलती रही हैं। हिंदू जनमानस की उपेक्षा कर राष्ट्र विरोधी आचरण करती रही है। सभी राजनीतिक पार्टियां आज राम मंदिर के पूर्ण होने पर आयोजित किये जा रहे 22 जनवरी 2024 के कार्यक्रम में इसीलिए सम्मिलित नहीं हो रही हैं कि उनकी अंतरात्मा उन्हें स्वयं धिक्कार रही है। उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि देश में कभी राम मंदिर का निर्माण भी संपन्न हो जाएगा, पर आज जब यह संपन्न हो गया है तो वह लज्जाजनक और द्वंद्वपूर्ण स्थिति में फंस गए हैं।
कांग्रेसियों और वामपंथियों के मुंह पर झन्नाटेदार थप्पड़ मारते हुए के0 के0 मोहम्मद ने बड़ी पते की बात कही। वह राम मंदिर की खुदाई के समय उपस्थित रहे थे। तब उन्होंने वहां पर की गई खुदाई में मिले उन सभी अवशेषों को देखा था जिनसे यह स्पष्ट होता है कि यहां पर श्री राम जी का मंदिर रहा है। इसलिए उन्होंने लिखा कि अयोध्या में श्री राम जी का मंदिर तो कभी का बन गया होता, यदि कांग्रेसी और वामपंथी न्यायालय में मंदिर के अवशेषों को छुपाते नहीं।
श्री मोहम्मद की इस प्रकार की राष्ट्रवादी सोच ने कांग्रेसी और वामपंथियों की हिंदू विरोधी और राष्ट्र विरोधी मानसिकता की पोल खोल दी। यद्यपि इतिहास में ऐसे अनेक प्रमाण उपलब्ध हैं जिनसे इन दोनों पार्टियों की हिंदू विरोधी और राष्ट्र विरोधी मानसिकता की जानकारी हमें मिलती है। पर वर्तमान में श्री मोहम्मद का थप्पड़ उस कांग्रेस के मुंह पर देर तक छपा रहेगा जो कहती रही है कि यदि आपके गाल पर कोई एक थप्पड़ मारे तो दूसरा गाल भी उसके सामने कर देना चाहिए। हम सभी यह भली प्रकार जानते हैं कि कांग्रेस के पहले प्रधानमंत्री रहे पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सरदार पटेल द्वारा सोमनाथ मंदिर के कराये जा रहे जीर्णोद्धार के समय भी उस महान राष्ट्रवादी कार्य में भरपूर रोड़े अटकाने का काम किया था । यहां तक कि तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद को उस मंदिर के उद्घाटन कार्यक्रम में जाने से रोकने का भी उन्होंने प्रयास किया था। यद्यपि सरदार पटेल, कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी और डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की तिकड़ी ने नेहरू के सभी राष्ट्र विरोधी कार्यों और चरित्र की उपेक्षा करते हुए उस महान कार्य को पूर्ण किया। पर उसके पश्चात कांग्रेस ने अपना यह चरित्र ही बना लिया कि वह किसी भी मंदिर या ऐतिहासिक स्थल को धर्मनिरपेक्षता के नाम पर और मुस्लिम तुष्टुकरण की अपनी परंपरागत नीति के चलते पूर्ण नहीं होने देगी। यही कारण रहा कि राम जन्मभूमि के केस को भी इस पार्टी ने अपने शासनकाल में लटकाए रखने में रुचि दिखाई।
आज भी कांग्रेस के नेता उदित राज कह रहे हैं कि अयोध्या में राम मंदिर नहीं बन रहा है बल्कि मनुवाद की वापसी हो रही है।
देश के बहुसंख्यक समाज के प्रति कांग्रेस की इस प्रकार की सोच के चलते राहुल गांधी की मोहब्बत की दुकान की भी अपने आप हवा निकल गई है। वास्तविकता यही है कि कांग्रेस ने सांप्रदायिक विद्वेष की भावना को बलवती करते हुए सदा इतिहास के उन सभी तथ्यों की उपेक्षा की है जो भारत के बहुसंख्यक समाज की भावनाओं से जुड़े रहे हैं। यद्यपि कांग्रेस के नेता राहुल गांधी हिंदू जनमानस को अपने साथ जोड़े रखने के लिए कभी अपने आप को ब्राह्मण बताते हैं तो कभी जनेऊ पहनकर यह दिखाने का प्रयास करते हैं कि उनके भीतर भी हिंदुत्व की भावना है। इसी प्रकार का नाटक उनकी बहन प्रियंका गांधी भी करती रही हैं । जिसे आज देश का बहुसंख्यक समाज भली प्रकार जान चुका है।
अभी कुछ समय पहले जब कर्नाटक में चुनाव संपन्न हुए थे तो वहां पर कांग्रेस ने बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की बात कह कर यह घोषणा की थी कि कांग्रेस पूरे कर्नाटक में हनुमान मंदिर बनाएगी, पर आज जब कांग्रेस इस प्रदेश की सरकार चला रही है तो उसने अपने उस किए गए वायदे को तो भुला ही दिया है साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह चुनावी वायदे करते समय उन्हें पूरा करने की ओर तनिक भी ध्यान नहीं देती है। उसके आचरण ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी मुस्लिम तुष्टिकरण की परंपरागत नीति को त्यागने वाली नहीं है और किसी भी मूल्य पर अपने मुस्लिम मतदाताओं को नाराज करने का जोखिम भी वह नहीं ले सकती। इतना ही नहीं कांग्रेस ने कर्नाटक में मुस्लिम मतदाताओं को अपने साथ जोड़े रखने के लिए और बाद में अपने इसी कर्नाटक मॉडल को देश के अन्य राज्यों में ले जाने की योजना से प्रेरित होकर 4 – 5 हजार करोड़ रूपया मुसलमानों के कल्याण के लिए आरक्षित किया है। स्पष्ट है कि यह सारा पैसा उन गतिविधियों पर खर्च होगा जो हिंदू विनाश के लिए प्रयोग की जाती रही हैं । इस्लामी तुष्टिकरण का अभिप्राय यही होता है कि उसकी ऐसी मांगों और कार्यों के सामने घुटने टेक देना जिनसे हिंदुओं का जीना कठिन हो जाए। अब कर्नाटक में यही हो रहा है। जहां पर लगभग 6 दर्जन स्कूल ऐसे हैं जहां हिंदुओं को जबरन इस्लाम स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। यदि हिंदू ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी जा रही है। सिद्धार्थ रमैया सरकार ने हिजाब पर लगाए गए बहन को भी हटा दिया है इसके साथ-साथ 27 दिसंबर को कन्नड़ रक्षणा वेदिके संगठन ने एक विशेष अभियान चलाकर प्रदेश की अधिकांश दुकानों और शोरूमों के अंग्रेजी में लिखो साइन बोर्ड, विज्ञापन आदि को तोड़ दिया है। उसने सरकार के सामने मांग रखी है कि यह सब कुछ कन्नड़ भाषा में लिखा होना चाहिए।
ऐसी परिस्थितियों में आवश्यक है कि कांग्रेस अपनी नीतियों की समीक्षा करे। उसे इस बात पर विचार करना चाहिए कि देश का बहुसंख्यक समाज उससे दूरी क्यों बना रहा है ? शुद्ध अंतःकरण से जब कोई समीक्षा की जाती है तो निश्चित रूप से उसके अच्छे परिणाम आते हैं। कांग्रेस यदि शुद्ध अंतःकरण से अपनी समीक्षा अपने आप करेगी तो उसे पता चलेगा कि उसकी नीतियों में कहीं खोट है। ऐसा नहीं है कि कांग्रेस पार्टी का राजनीतिक अस्तित्व समाप्त हो गया है। आज भी उसका राजनीतिक भविष्य है और इस राजनीतिक भविष्य पर छाए हुए कुहासे को छांटने के लिए उसे अपनी नीतियों में स्पष्टता लानी ही होगी। अन्यथा उसका वनवास लंबा हो सकता है।

डॉ राकेश कुमार आर्य

( लेखक सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता है।)

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