पिएफआई_का_मिशन_भारत_को_इस्लामिक_राष्ट्र_बनाना_

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जानता हूँ कि इस पोस्ट को ग्रुप में शेयर करने पर आपसे कुछ लोग नाराज होंगे और कुछ तो आपको बाहर ही कर देंगे।
लेकिन यही इसका उद्देश्य है।
एक बार करके देखिए।

धीरे धीरे #नएजातिवादीग्रुप बनाकर उभारे जा रहे हैं।
पहले ये केवल व्हाट्सएप समूह तक सीमित थे अब इनकी बाकायदा परिषद बन गई है।
मासिक साप्ताहिक, #छोटेछोटेसेमिनार या मीटिंग टाइप होने लगी हैं।
इसकी चरम शुरुआत पफी(PFI एक प्रतिबंधित मु. संगठन) ने की थी, उसने उनकी कई श्रेणियाँ की थी।
शहर अनुसार, व्यवसाय अनुसार, राज्य अनुसार और मुहल्ले अनुसार।
जैसे टैक्सी चालक, माँस विक्रेता, ऑटो के मिस्त्री, इत्यादि।

ये ग्रुप हजारों नहीं लाखों में थे और सम्भवतः अब भी हों, सबको काम दिया गया था, अड़ोस पड़ोस के सर्वे का।

पहले इन्होंने अपना सर्वे किया, फिर सुरक्षाबलों का, और तब हिन्दुओं का, बाकायदा हिन्दुओं की भी सूचियाँ बनी हैं, उनके लेपटॉप में save है, स्त्री, पुरूष, लड़के, लड़कियाँ, धनिक, निर्धन, एकाकी, विधवा, तलाकशुदा, किसकी क्या कमजोरी है, कौन सेक्यूलर है, कौन किस रूट से आता जाता है, किस संगठन या विचार से जुड़ा है।
यह सब pfi ने किया और उनको दो लक्ष्य दिए “मेरा कोई फिरका नहीं” (यह प्रत्येक m आजकल पूछे जाने पर बोलने लगा है) और “2047 तक भारत में केलिपेट स्थापित करना।” (कुछ जनों ने तो इसके स्टेटस रख दिये थे, गाड़ियों टैक्सियों के पीछे भी लिखवाया। इसका लोगो है, चाँद तारे के लाल स्टीकर में 47 लिखा हुआ, कई जगह दिख जाएगा।)
और इन्हें कहा गया कि जब गजवा ए हिन्द पूरा होगा तो कौन किस प्रोपर्टी, मकान, दुकान, लड़की (माल ए गनीमत) का मालिक होगा, बाकायदा अभी से वितरण कर दिया गया है।
केन्द्र सरकार ने इस पर बहुत देरी से प्रतिबंध लगाया, इनको जो करना था कर दिया। तैयारी पूरी है और भीतर ही भीतर अभी भी यही चल रहा है।

इसका अगला चरण है, हिन्दुओं में जाति अनुसार, कर्मचारियों के ग्रुप बनाना।
आजकल ये धड़ल्ले से बन भी गये हैं, ऑनलाइन गूगल फॉर्म पर रजिस्ट्रेशन होता है और किसी को नहीं पता कि इसका असली संचालक कौन है।

इसके बाद, इनमें जिंदाबाद, मुर्दाबाद, बधाई वगैरह के बीच में कुछ चुभने वाले सन्देश आते हैं।
यदा कदा मोटिवेशनल और सेक्यूलर बातों के बीच में मोदी, bjp, आरएसएस विरोधी बातें भी आती हैं।
सप्ताह या महीने में एक बार कुछ लोग मिलते हैं, एजुकेशन, केरियर, अपनी जाति का गौरव, अपने साथ हुए अत्याचार, उपेक्षा पर बातचीत होती है।
पफी(pfi) वाले लोग अब इधर सक्रिय हैं।
इतने भर से समझदार को इशारा मिल ही जाता है कि अपुन को कौन सी लाइन पकड़नी है।
लक्ष्य है, 2023 और2024 के चुनावों में रायता फैलाना।
और वह फैलेगा भी।
धूर्तों द्वारा मूर्खों को सदैव से ठगा जाता है।

#विप्लवमेंअसावधान और कम जागरुक हमेशा मारे जाते हैं।
और विप्लव होते रहते हैं।
90%लोग किसी न किसी तरह, टारगेट पर हैं,
वे चुन लिए गए हैं।
#कुमारsचरित

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