“शतपथ ब्राह्मण ,सौर तुफान और वृक्ष”


लेखक आर्य सागर खारी 🖋️

ज्ञात ब्रह्मांड का प्रत्येक सूक्ष्म कण किसी दूसरे सूक्ष्म कण के साथ साझा अस्तित्व में रहता है। इसे ऐसे समझना होगा पृथ्वी पर यदि आप किसी एक इलेक्ट्रॉन जैसे आवेशित सूक्ष्म कण को छेड़ते हैं तो उसका साझेदार चंद्रमा या सूरज में मौजूद दूसरा कोई लाखो करोड़ों किलोमीटर दूर इलेक्ट्रॉन जैसा कण ठीक उसी समय प्रभावित होगा है क्वांटम मैकेनिक्स में इसे ‘क्वांटम एनटाइगलमेंट’ कहते हैं।

आधुनिक एक्सपेरिमेंटल फिजिक्स के प्रयोगो से प्रमाणित इस सिद्धांत पर आइंस्टीन जैसा जीनियस भौतिक शास्त्री मरते दम तक विश्वास नहीं कर सका।

लेकिन भारत के प्राचीन ऋषि मुनि अध्यात्म विज्ञानी यह आदि से ही कहते आ रहे हैं कि पृथ्वी लोक, अंतरिक्ष लोक और द्यु लोक का आपस में परस्पर संबंध है। इन लोकों में जो भी कुछ घटित होता है उसका पृथ्वी पर प्रभाव अवश्य पड़ता है।

आधिदैविक जगत अर्थात कॉस्मिक वर्ल्ड के विविध घटनाक्रमों को समझने के लिए वेदों के व्याख्यान ग्रन्थों शतपथ ब्राह्मण आदि में अनेक यज्ञों को ऋषियों ने रचा है। सृष्टि रचना के रहस्य को समझने के लिए यज्ञों को रचा गया।

शतपथ ब्राह्मण जिसमें विस्तृत यज्ञ यागो का व्याख्यान मिलता है सौर तूफान की घटना का बड़ा ही अलंकारिक रोचक वर्णन किया गया है।

उलेखनीय होगा सौर तूफान की विषय वस्तु पश्चिमी जगत के लिए लंबे समय तक अज्ञात ही बनी रही है। जर्मन खगोल शास्त्री भौतिक शास्त्री हेनरिक सबावे ने सौर तूफान के विषय में सर्वप्रथम पश्चिमी जगत को बताया था उन्होंने बताया सूर्य में प्रत्येक 11 वर्ष के अंतराल में सौर तूफान उठते हैं।

उच्च ऊर्जा की चुंबकीय विद्युत तरंगे सूर्य अंतरिक्ष में छोड़ता है। जिन्हें कॉस्मिक रेज कहा जाता है यह कॉस्मिक रेज पृथ्वी पर पहुंचती है तो पेड़ों द्वारा शोख ली जाती हैं। इन कॉस्मिक रेज के कारण पृथ्वी पर कार्बन 14 जैसे रेडियोएक्टिव तत्व का निर्माण होता है। पेड़ धीरे-धीरे इन रेडियोएक्टिव तत्वों को सोखता रहता है पेड़ की अंदरूनी सतह में जो रिंग छल्ले का निर्माण होता है इन्ही छल्लो मे कैद कार्बन 14 जैसे तत्व के परमाणुओं की संख्या के आधार पर वैज्ञानिक आज यह पता लगा चुके हैं कि हजारों सैकड़ो साल पहले कितनी तीव्रता के सौर तुफान सूर्य में उठे थे अर्थात् पेड़ों में सूर्य की कुंडली कैद होती है। एक वृक्ष के अध्ययन से आप सूर्य का अध्ययन कर सकते हैं कुछ विषयों में ।

पृथ्वी पर उपलब्ध पदार्थ जैविक अवशेषों की आयु ज्ञात करने में भी सुर्य द्वारा उगले गए या निर्मित कार्बन 14 तत्व का ही अध्ययन किया जाता है,जिसे कार्बन डेटिंग कहते हैं।

यह पूरा ब्रह्मांड एक सूत्र में बधा हुआ है। यह एक इकाई है। यह इकाई कैसे कार्य करती है? इसी को समझने के लिए समस्त कर्मकांड रचा गया।

शेष अगले अंक में ।
लेखक आर्य सागर खारी ✍

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