अध्याय … 66, योगी मिलन की चाह में,….

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धन धरती रह जाएगा, पशु खड़े रहें बाड़ ।
अंत समय जब आएगा, धर्म ही होगा साथ।।
धर्म ही होगा साथ , ना कोई साथ निभावै।
मतलब के हैं दोस्त ,सब दूर से हाथ हिलावें।।
पत्नी भी दरवाजे तक, चार कदम ही धरती।
चिता में तेरी देह जलेगी, जलें ना धन -धरती।।

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जग में कर्म ही श्रेष्ठ है, कर लो धर्म अनुकूल।
जायेगा यही साथ में , मत पालो कोई भूल।।
मत पालो कोई भूल , व्यर्थ की चिंता छोड़ो।
सत्कर्मों में ध्यान लगा, दुष्कर्मों से मुंह मोड़ो।।
श्रेष्ठ साधना करते रहना , जीतोगे हर रण में।
जिसने स्वयं को जीता , जीत गया वह जग में।।

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योगी मिलन की चाह में, भोगी बढ़ाता भोग।
रोगी कराहता खाट में , बड़ा अजब संयोग।।
बड़ा अजब संयोग , लिखें सब अपनी कहानी ।
भोगी डूबा भोग में, हुई रोगी की कथा पुरानी।।
देख मिलन की प्रबल इच्छा, दी प्रभु ने गोदी।
उसका अधिकार जगत में, जो होता है योगी।।

दिनांक : 22 जुलाई 2023

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