राजनीति के रंग
जूते-घूंसे
राजनीति ओछी गंदी है, उलटी सीधी बात चलें।
कहीं पै जूते फिकते देखो, कहीं पै घूंसे लात चलें।।
राजनीति है बड़ी निकम्मी, घात और प्रतिघात चलें।
मुश्किल सच्चे इंसानों की, बोलो किसके साथ चलें।।
कुरसी के जयकारे
भाषण में कहते हैं नेता, देश के हम रखवाले हैं।
मतदाता के हाथ जोड़ते, सब नेता मतवारे हैं।।
नेताओं को प्यारी कुरर्सी, कुरसी को वे प्यारे हैं।।
कुरसी धन, बल, छल की जानी, कुरसी के जयकारे हैं।।
रंग कुरसी का
आमना है सामना है, ना दुआ ना कामना है।
राजनीति में हर तरफ आलोचना, दुर्भावना है।।
रंग कुरसी का चढ़ा है, आदमी के रंग पर।
देशहित की अब नजर आती नही संभावना है।।
वादे
जनता को लुभाने के लिए किये जाते हैं वादे।
आपका वोट पाने के लिए किये जाते हैं वादे।।
कब पूरे होते हैं वादे जीत जाने के बाद।
सिर्फ बनाने के लिए किये जाते हैं वादे।।