पुण्य भूमि गंगासागर में गूञ्जे वेद मन्त्र : भारत की ऋषि और कृषि प्रणाली को फिर से करना होगा स्थापित : आचार्य योगेश शास्त्री

कोलिकाता ( विशेष संवाददाता)। सांख्य दर्शन के प्रणेता महर्षि कपिल मुनि आश्रम के पुण्य क्षेत्र में पवित्र वेद मन्त्रों के साथ पंच दिवसीय वैदिक महायज्ञ किया गया , इस यज्ञ में वैदिक गुरुकुलम् बिड़ा के स्वामी उद्गीथानन्द जी एवं गुरुकुल हल्दिया के स्वामी ऋतानंद एवं दोनों गुरुकुलों के ब्रह्मचारियों ने मधुर कण्ठ से मन्त्रोच्चारण के साथ वैदिक महायज्ञ को प्रारम्भ कराया।
आर्य समाज के युवा संगठन प्रान्तीय आर्य वीर दल बंगाल एवं वेदालोक समाज ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में सञ्चालित वैदिक चेतना केंद्र के संयोजक आचार्य योगेश शास्त्री ने बताया कि गंगासागर मेले में पधारे लाखों श्रद्धालुओं के व स्थानीय जनों के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के कल्याणार्थ वेद द्वारा निर्देशित विशिष्ट औषधियों के साथ प्रदूषण निवारण वैदिक महायज्ञ अनवरत रूप से मेला समाप्ति तक चलेगा।
वैदिक महायुज्ञ के ब्रह्मा वैदिक विद्वान डॉ आचार्य ब्रह्मदत्त आर्य सञ्चालक गुरुकुल कोलाघाट ने महर्षि कपिल मुनि के सांख्य दर्शन की जीवन में आवश्यकता विषय पर सारगर्भित मार्गदर्शन किया। हरिद्वार से पधारे आचार्य सुनील ने ऋषियों द्वारा निर्देशित ईश्वर चिन्तन के माध्यम से अपने जीवन को सुखी सम्पन्न बनाएं रखने पर जोर दिया, पण्डित अपूर्व देव शर्मा जी ने सारगर्भित भजनों से जनता का मार्गदर्शन किया, पण्डित बिभाष सिद्धान्तशास्त्री , उत्तर प्रदेश शाहजहांपुर से पधारे आचार्य विजय देव नैष्ठिक व हरिद्वार से पधारे स्वामी सत्यदेव धर्मार्थी आदि विद्वानों ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए।
इस अवसर पर शिविर सञ्योजक आचार्य योगेश शास्त्री ने लोगों को सम्बोधित करते हुए ऋषि परम्परा की ओर लौटने का आह्वान किया । उन्होंने बताया कि हमारा भारतवर्ष जो कभी 83लाख वर्ग किलोमीटर की परिधि तक फैला हुआ था आज वह 32 लाख वर्ग किलोमीटर की परिधि पर आकर के खड़ा हो गया है। कारण हमने अपने परिवारों एवं अपने जीवन से महर्षि कपिल मुनि जैसे हजारों ऋषियों की परम्पराओं के भारत में आज उन ऋषियों को अस्तित्व विहीन कर दिया है, भारत के गौरव को पुनः लौटाने के लिए हमें इस भारत की पुण्य भूमि में उन्ही ऋषियों की परम्पराओं की स्थापना करनी होगी तब यह भारत पुनः विश्व गुरू के गौरव को प्राप्त कर सकता है ।
श्री शास्त्री ने कहा कि भारत को समझने के लिए भारत के इतिहास का दोबारा लिखा जाना बहुत आवश्यक है। हमारे गौरव पूर्ण इतिहास को मिटा कर हम पर निराशाजनक इतिहास को थोपने का घातक प्रयास किया गया है। जिससे हम अपने ऋषियों की परंपरा से कट गये हैं और वेदों का चिंतन समाप्त कर देश में विदेशी चिंतन को हमारे ऊपर थोप दिया गया है।
उन्होंने कहा कि भारत ऋषि और कृषि का देश है यह दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य है कि भारत की ऋषि और कृषि प्रणाली को समाप्त कर यहां पर बौद्धिक चिंतन शून्य लोग पैदा किए जा रहे हैं। जिससे देश के गौरव के प्रति भावशून्यता पैदा होती जा रही है। इसी कारण हिंदू घट रहा है और देश भी निराशाजनक परिस्थितियों का शिकार हो रहा है।

     इस अवसर पर उत्तर 24 परगना दक्षिण 24 परगना पूर्व मेदिनीपुर पश्चिम मेदिनीपुर कोलकाता हुगली वर्धमान और झाड़ग्राम के आर्य जनों तथा विभिन्न प्रदेशों से पधारे श्रद्धालुओं ने वैदिक महायज्ञ में विशेष रूप से आहुति प्रदान की।

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