25 मानचित्रों में भारत के इतिहास का सच, भाग ……19

खिलजी वंश

भारत में खिलजी वंश की स्थापना जलालुद्दीन खिलजी द्वारा 1290 ई0 में की गई थी। इसको मारकर अलाउद्दीन खिलजी 1296 में गद्दी पर बैठ गया था। ज्ञात रहे कि जलालुद्दीन खिलजी अलाउद्दीन खिलजी का सगा चाचा और ससुर था । इसके उपरांत भी निर्दयता से अपने चाचा और ससुर की हत्या कर वह जबरन उसका उत्तराधिकारी बन गद्दी पर बैठ गया था।
अलाउद्दीन खिलजी ने अपने शासनकाल में अनेक नरसंहार किए और बड़ी संख्या में हिंदुओं का धर्मांतरण कराया। हिंदुओं पर अनेक प्रकार के अत्याचार किए। 1303 ईस्वी में मेवाड़ पर आक्रमण कर रानी पद्मिनी को छीन कर लाने का गंभीर षडयंत्र किया। उस युद्ध में अनेक हिंदुओं की हत्या की। इसके उपरांत भी उसे इतिहास का एक महानायक बताया जाता है। जबकि उसके विरुद्ध संघर्ष कर रहे हमारे अनेक वीर योद्धाओं को इतिहास के कूड़ेदान में फेंक दिया गया है।
अलाउद्दीन की क्रूरता भरी अन्याय परक नीतियों से उपजे ‘हिन्दू संग्राम’ में आयी तेजी के परिणामों की ओर संकेत करते हुए डा. के. एस लाल ने लिखा है-‘‘राजपूताना में सुल्तान की विजय स्वल्पकालीन रही देश, प्रेम और सम्मान के लिए मर मिटने वाले राजपूतों ने कभी भी अलाउद्दीन के प्रांतपतियों के सम्मुख समर्पण नही किया। यदि उनकी पूर्ण पराजय हो जाती तो वे अच्छी प्रकार जानते थे कि किसी प्रकार अपमानकारी आक्रमण से स्वयं को और अपने-अपने परिवार को मुक्त कराना चाहिए। जैसे ही आक्रमण का ज्वार उतर जाता, वे अपने प्रदेशों पर पुन: अपना अधिकार जमा लेते। परिणाम यह रहा कि राजपूताना पर अलाउद्दीन का अधिकार सदैव संदिग्ध ही रहा। रणथम्भौर चित्तौड़ उसके जीवनकाल में आधिपत्य से बाहर हो गये। जालौर भी विजय के शीघ्र पश्चात ही स्वतंत्र हो गया।  कारण स्पष्ट था कि यहां (स्वतंत्रता प्रेमी) जन्मजात योद्घाओं की इस वीर-भूमि की एक न एक रियासत दिल्ली सल्तनत की शक्ति का विरोध सदा करती रही, चाहे बाद में विश्व का सर्वमान्य सम्राट अकबर ही क्यों न हो, प्रताप ने उसे भी ललकारा और अनवरत संघर्ष किया था।’’
अलाउद्दीन खिलजी 1316 ई0 तक शासन करता रहा। बहुत शीघ्र ही हिंदुओं ने अपना पराक्रम प्रकट किया और इसकी मृत्यु के चार-पांच वर्ष पश्चात ही इसके विशाल साम्राज्य की ईंट से ईंट बजा दी। इस प्रकार खिलजी वंश केवल 30 वर्ष ही भारत वर्ष पर शासन कर पाया। जिसने इतना विशाल साम्राज्य खड़ा किया उसे भारत के लोगों ने अपने ऊपर शासन करने के मात्र 30 वर्ष ही दिए। अपने पूर्वजों के इस गौरवपूर्ण इतिहास पर निश्चय ही हमें नाज होना चाहिए।

मेरी पुस्तक “25 मानचित्र में भारत के इतिहास का सच” से

डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत

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