सनातन सम्मान के लिए भी संगठनात्मक शक्ति प्रदर्शित होनी चाहिए

  • दिव्य अग्रवाल

पाकिस्तान का बिलावल भुट्टो हो या हिंदुस्तान का ओवैसी प्रत्येक मुस्लिम नेता व् इस्लामिक धर्म प्रचारक पुरे विश्व के मुसलमानों को गुजरात दंगों व अयोध्या के विवादित ढांचे पर भ्रमित कर मुसलमानों को मजहब के नाम पर संगठित होकर मानवता के विरुद्ध जिहाद करने की ओर प्रोत्साहित करते रहते हैं । जिस प्रकार देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के विरुद्ध निरंतर आपत्तिजनक टिप्णिया की जा रही हैं वस्तुतः यह उन लोगो की खीज है जो भारत में तुष्टिकरण की राजनीति करके भारत की मूल आत्मा सत्य सनातन धर्म पर प्रहार कर मानवता रक्षा की विचारधारा को समाप्त करना चाहते हैं । निसंदेह मोदी जी के नेतृत्व में भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी शसक्त हो रहा है व् आंतरिक स्तर भी मजहबी कटटरपंथियो व् उनके समर्थको की कमर तोड़ रहा है परन्तु आवश्यकता इस बात की भी है की जब भी कोई भारत की मूल आत्मा व् आधार पर हमला करे तो राष्ट्रवादियों को सामूहिक रूप से उसका विरोध करना चाहिए । जिस प्रकार मोदी जी के समर्थन व् बिलावल भुट्टो के विरोध में राष्ट्रवादी लोग सड़को पर आ गए ठीक उसी प्रकार मोदी जी व् असंख्य सनातनियो के आराध्य भगवान भोले नाथ के शिवलिंग को जब कोई गुप्तांग लिंग कहता हो , देवी माँ के अभद्र चित्र बनाता हो उनकी प्रतिमाओं को खंडित करता हो ,सनातन धर्म की आस्थाओ को जब चलचित्र के माध्यम से अपमानित किया जा रहा हो , बच्चियों को मजहब के नाम पर दूषित कर उनकी निर्मम हत्या की जा रही हो तब भी राष्ट्रवादियों को संगठित होकर विरोध करना चाहिए क्यूंकि इसी मजहबी उत्पीड़न से बचाव के लिए भारत की जनता ने कांग्रेस की सत्ता को उखाड़कर भाजपा को सत्ता प्रदान की है । अतः भाजपा संगठन व् जनप्रतिनिधियो की यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है की वह उन सभी लोगो की भावनाओ के अनुरूप अपने अपने दायित्व का निर्वहन करें जिन लोगो के मतों से भाजपा ने सत्ता प्राप्त की है।

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