25 मानचित्रों में भारत के इतिहास का सच, भाग …5

सुंग वंश का साम्राज्य

मौर्य वंश के शासनकाल में बौद्ध धर्म की अहिंसा को प्रोत्साहन मिला। जिसके विरुद्ध बगावत करके इस वंश के अंतिम शासक व्रहद्रथ को उसके सैनिकों के सामने ही मारकर पुष्यमित्र शुंग ने सत्ता अपने हाथों में ली और एक नए राजवंश शुंग वंश की स्थापना की। शुंग वंश की स्थापना 185 ई0 पूर्व में हुई थी।
पुष्यमित्र शुंग व्रहद्रथ का सेनापति था। सेना के सामने ही अपने राजा का वध करने से स्पष्ट होता है कि उसकी सेना भी उसके विरुद्ध थी।
मौर्य साम्राज्य का कार्यकाल 322-185 ईसा पूर्व तक रहा।
पुष्यमित्र शुंग को वैदिक धर्म का उद्धारकर्त्ता माना गया है। उसके बारे में इस प्रकार के सम्मानजनक शब्दों के प्रयोग करने से पता चलता है कि वह बौद्ध धर्म के वैदिक धर्म विरोधी चिंतन मान्यताओं से सहमत नहीं था। वैदिक धर्म जहां शत्रुओं के संहार को उचित मानता था वहां अशोक के काल में है अहिंसा का गलत अर्थ निकाला गया। जिससे मौर्यों का इतना विशाल साम्राज्य शीघ्रता से छिन्न-भिन्न हो गया। इस सच्चाई को समझ कर और वैदिक धर्मी राजाओं की व्यवस्था को फिर से स्थापित करने के उद्देश्य से प्रेरित होकर ही पुष्यमित्र शुंग ने अपने राजा का वध किया था।
शुंग वंश के शासको ने अपनी राजधानी विदिशा में स्थापित की थी। इंडो-युनानी शासक मिनांडर को पुष्यमित्र शुंग ने पराजित करके यह सिद्ध किया कि भारत अपने वैदिक राजाओं की शत्रु संहारक नीतियों में विश्वास रखता है। पुष्यमित्र शुंग ने दो बार अश्वमेघ यज्ञ कराया था।पंतजलि पुष्यमित्र शुंग के दरबार में रहते थे। पुष्यमित्र ने पंतजलि के ब्रह्मत्व में अश्वमेघ यज्ञ कराया था। पुष्यमित्र शुंग के बेटे का अग्निमित्र था, जो उसका उतराधिकारी बना था।शुंग वंश का अंतिम शासक देवभूति था।
शुंग वंश के अंतिम शासक देवभूति की हत्या वासुदेव ने की थी।
शुंग वंश का कार्यकाल 185-73 ईसा पूर्व तक रहा।शुंग वंश के बाद कण्व वंश का उदय हुआ। इस वंश का राज्य विस्तार 12 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर था।

मेरी पुस्तक “25 मानचित्र में भारत के इतिहास का सच” से

डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत

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