आज से 50 वर्ष पूर्व इंसान चांद पर पहुंच गया मंगल पर इंसान भेजने की तैयारी है … लेकिन इंसान इंसानों के विषय में बहुत कम जान पाया है… क्या इंसान केवल अन्य जीव-जंतुओं की भांति एक प्राणी है?

ईश्वर, पुनर्जन्म ,कर्मफल व्यवस्था ,धर्म ,सदाचार को उसने अपनी कल्पना से सृजित कर लिया है?
मनुष्य की उत्पत्ति के विषय में सैकड़ों सिद्धांत समय-समय पर प्रतिपादित किए गए … मोटे तौर पर उन्हें दो भागों में विभाजित किया जा सकता है … एक विचारधारा जिसमें एंथ्रोपॉलजिस्ट, विकासवादी जीव वैज्ञानिक( evoluctniry biologist)शामिल है वह कहते हैं|

” आधुनिक मानव स्वतंत्र रूप में नहीं रचा गया वह पेड़ों पर रहने वाले गिलहरी जैसे जानवर जिसे प्राइमेट कहते हैं उसका वंशज है वह प्राइमेट बंदर गोरिल्ला चिंपांजी से होते हुए आदिमानव आदिमानव से आधुनिक मानव के रूप में जैव विकास की प्रक्रिया द्वारा उत्पन्न हुए.. 2500000 वर्ष पूर्व से 70000 वर्ष पूर्व पृथ्वी पर पाए जाने वाले होमो इरेक्टस, होमो नियदरथल जैसे आदि मानव से विकसित हुआ है | पहले मानव की उत्पत्ति अफ्रीकी महाद्वीप मैं हुई अफ्रीका से वह एशिया यूरोप ऑस्ट्रेलिया आदि जगहों पर गया |

मानव शुरुआत में जंगली था ना परिवार बसाता था ना समूह में रहता था…. सुबह से लेकर शाम तक उसका पूरा दिन भोजन खोजने में चला जाता था… ईश्वर ज्ञान कर्म उपासना धर्म जैसी किसी चीज विश्वास का अस्तित्व मानव के जहन में नहीं था |

फिर अचानक 70 हजार वर्ष पूर्व उन जंगली मानव के डीएनए में परिवर्तन हुआ उनके मस्तिष्क का आकार 600cc से 14 00cc तक हो गया… इसी दौरान उसने परिवार बसाना आग जलाना भोजन को संग्रहित करना फल फूल औषधियों के महत्व को समझना कृषि व पहिए का आविष्कार किया … जब उसका जीवन निश्चिंता खुशहाली से भर गया तब उसने ईश्वर धर्म देवी देवताओं में विश्वास स्थापित किया…. इस सब को वह *संज्ञानात्मक क्रांति* कहते हैं… हालांकि सभी वैज्ञानिक इस सिद्धांत से सहमत नहीं है लेकिन हमें पढ़ाया जाता है |

मानव उत्पत्ति के विषय में अब हम भारतीय वैदिक विचारधारा को आपके सामने प्रस्तुत करेंगे… जिसे बदले हुए रूपों में इस ईसाइयत इस्लाम जैन बौद्ध पारसी आदि मत ने प्रस्तुत किया है |

इस विचारधारा के अनुसार ईश्वर ने इस सारे ब्रह्मांड को रचा है मनुष्य को उसने जंगली नहीं बुद्धि संपन्न बनाया था… कर्म फल व्यवस्था के अनुसार मनुष्य चोला सर्वश्रेष्ठ योनि है …जैसा आज मनुष्य है अरबों वर्ष पूर्व भी उसे ऐसा ही बनाया था प्राइवेट हमारे पूर्वज नहीं है |पहले मनुष्य के उपभोग की सारी सामग्री फल-फूल औषधि जीव जंतु वृक्ष वनस्पति को रचा फिर ईश्वर ने मनुष्य उत्पत्ति की | महर्षि दयानंद सरस्वती के अनुसार लगभग 1 अरब 96 करोड़ वर्ष पूर्व सृष्टि की रचना हुई सृष्टि उत्पत्ति का यह काल उन्होंने वेदों के अंग ज्योतिष की गणित ज्योतिष शाखा के आधार पर निकाला… पहले सृष्टि में मनुष्य बिना मां बाप के उत्पन्न हुआ उसे अमैथुनी ऐश्वरी सृष्टि कहते हैं |

एक नहीं असंख्य मनुष्य को उत्पन्न किया युवा अवस्था में मनुष्य को बनाया उनमें से जो सर्वाधिक चार पवित्र थे उन चारों की आत्मा में चारों वेदों का ज्ञान प्रकाशित किया | यह चार ही अग्नि वायु आदित्य अंगीरा ऋषि कहलाए | सृष्टि की शुरुआत में ना कोई राजा था ना कोई प्रजा थी सभी ज्ञान में समान ओजस्वी तेजस्वी थे | ना ही कोई वर्ण व्यवस्था थी… मनुष्य की पहली उत्पत्ति अफ्रीका में ना होकर तिब्बत के पठार पर हुई… तिब्बत से होते हुए मनुष्य कुछ काल पश्चात् उत्तराखंड होते हुए हरिद्वार के रास्ते मैदानी भूभाग पर उन्होंने आर्यव्रत अर्थात आज के भारत को बसाया फिर अन्य महाद्वीपों में जाकर मनुष्य बसा |

ईश्वर धर्म कर्म फल व्यवस्था को मनुष्य ने नहीं गढ़ा है यह परम सत्य है… परमाणु से लेकर परमात्मा तक जितना ज्ञान है वह सारा ज्ञान वेदों में शुरुआती सृष्टि उत्पत्ति के पश्चात मनुष्य को ईश्वर ने दे दिया था… वेद ईश्वर का ज्ञान है जो कभी नष्ट नहीं होता ना घटता है या बढ़ता है !
जितना भी ज्ञान विज्ञान है उसका आदि स्रोत वेद ही है सृष्टि उत्पत्ति से लेकर अर्थात दो अरब से लेकर 5000 वर्ष पूर्व तक महाभारत काल तक सभी मनुष्यों एक निराकार ईश्वर की उपासना करते थे सभी की एक भाषा एक सभ्यता थी वैदिक |3000 वर्षों के दौरान जैन बौद्ध ईसाई इस्लाम सिख जैसे मत प्रकाश में आए |

साथियों अब आप विचार कीजिए क्या आदिमानव की थ्योरी पर आपको विश्वास है? या आप अपने आप को योगियों ऋषि महर्षियो की संतान मानते हैं | मैं तो ऋषि महर्षि राम कृष्ण का वंशज अपने आप को मानता हूं.. मानना क्या यह प्रत्यक्ष आदि प्रमाण से सिद्ध है |

आर्य सागर खारी ✍️✍️✍️

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