सी.एम. अखिलेश की स्वीकारोक्ति

akhilesh yadavप्रदेश के युवा सी.एम. अखिलेश यादव को जब प्रदेश की जनता ने पांच साल के लिए प्रदेश की बागडोर सौंपी थी तो उस समय उनसे बहुत सी अपेक्षाएं की गयीं थीं। पर उनमें से वह अधिकांश अपेक्षाओं पर खरे नही उतर पाये, और अब 2017 के विधानसभा चुनाव प्रदेश में आहट देने लगे हैं, तो सी.एम. के हाथ पैर फूलने लगे हैं। अब उन्हें कानून व्यवस्था की भी चिंता हो रही है और वे यह भी समझ रहे हैं कि उनकी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता कैसे छोटे कामों में लगे हुए हैं? लखनऊ में सोमवार को पार्टी कार्यालय पर राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर राम गोपाल यादव का जन्मदिन मनाने एकत्र कार्यकर्ता तथा नेताओं से उन्होंने दो-टूक कह ही दिया कि जमीन पर कब्जा करने में लगे नेता तथा कार्यकर्ता अब पार्टी के कार्य में लग जायें। उनके तीखे तेवर देखकर वहां पर मौजूद सभी लोग सन्न रह गये।

उत्तर प्रदेश की जनता ही नहीं अब तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी पार्टी के नेता तथा कार्यकर्ताओं से परेशान हैं। उन्होंने कार्यकर्ता तथा नेताओं को काफी सख्त चेतावनी दी। अखिलेश यादव ने कहा कि कार्यकर्ता तथा नेता जमीन कब्जा तथा थाना की राजनीति करने में अधिक व्यस्त हैं। यह न तो पार्टी के हित में है और न ही नेताओं के हित में हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ता तथा नेता तहसील व थाना की राजनीति से अब बाहर आएं। अगर यह लोग थाना की राजनीति छोड़ दें तो यह पार्टी के हित तथा उनके लिए भी ज्यादा बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि अब पार्टी के कार्यकर्ता तथा नेता पार्टी की अपेक्षा जमीन के काम में ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। हमको लगभग रोज जमीन पर कब्जा करने के मामलों की काफी शिकायतें मिल रही हैं। वह सच है जो कुछ सी.एम. ने कहा है। यह अच्छी बात है कि वह पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं की कार्यशैली से भली प्रकार परिचित हैं। इससे आगे और थोड़ा जोड़ें तो नेताओं का और उनके कार्यकर्ताओं का अधिकारियों के साथ ऐसा गठजोड़ बन चुका है कि विवादित भूमि की पत्रावलियों के निस्तारण के लिए उस भूमि को पार्टी कार्यकर्ता और नेता खरीद रहे हैं और अधिकारी के साथ सौदा कर मौज मस्ती कर रहे हैं। यह प्रवृति खतरनाक है और लोगों को इससे न्याय न मिलकर उनके साथ अन्याय हो रहा है। क्या ही अच्छा हो मुख्यमंत्री इस गठजोड़ को तोडऩे की ओर भी ध्यान दें।

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