ईश्वर अल्लाह से भी बड़ा है !!

ईश्वर और अल्लाह एकही है ,इस से बड़ा झूठ और कोई नहीं हो सकता ,लेकिन अज्ञानता के कारण लोग अल्लाह को ही ईश्वर मान लेते हैं , सब जानते हैं कि मुहम्मद साहब ने लोगों से अपना कल्पित अल्लाह मनवाने के लिए करोड़ों लोगों की हत्या करवाई , औरतों को विधवा किया , और बच्चों को अनाथ किया , ताकि लोग उनके अकेले अल्लाह की उपासना करें इसके विपरीत ईश्वर की महानता साबित करने के लिए उसका केवल कर्मफल सिद्धांत ही पर्याप्त है जो सभी पर लागु है , चाहे वह आस्तिक हो या नास्तिक हो , इसीलिए कहावत है , “जो जस करे सो तस फल चाखा -कर्म प्रधान विश्व करि राखा “अर्थात ईश्वर ने विश्व में कर्म को प्रधानता दी है और जो जैसा करेगा उसे वैसा ही फल जरूर मिलेगा .लेकिन मुहम्मद साहब को भ्रम हो गया कि अल्लाह के प्रिय रसूल होने से वह चाहे जैसे अत्याचार और अनैतिक कार्य करेंगे अल्लाह माफ़ कर देगा या उनके हरेक कुकर्म को जायज ठहरा देगा , लेकिन अगर हम मुहम्मद साहब की जीवनी ध्यान से देखें तो मुहम्मद को उनके हर पाप का फल मिल गया , हम उदहारण के लिए यहाँ पर चार प्रश्न दे रहे हैं , जिनके उत्तर मुहम्मद साहब के जीवन की घटनाओं से मिल जायेंगे
चूँकि अरब लोगों का कोई राजा नहीं था , मुहम्मद की तरह अरब के लोग खुद को इब्राहिम के बेटे इस्माइल के वंशज मानते थे , लेकिन अरब लोगों का कभी कोई राजा नहीं हुआ था , जबकि इब्राहिम के दूसरे बेटे इसहाक के वंशजों में बड़े बड़े प्रतापी राजा जैसे दाऊद और सुलैमान हो गए थे जिनके वंशजों ने कई पीढ़ियों राज किया था , अरबों में उनकी कहानियां सब जानते थे। यही नहीं ईरान ,रोम और इथोपिया में भी पीढ़ी दर पीढ़ी राजाशाही चली आरही थी .
1-मुहम्मद की योजना
मुहम्मद सबसे बड़े महत्वकांक्षी व्यक्ति थे , वह चाहते थे की अन्य राजाओं की तरह उनके वंशज भी पूरे अरब से फ़ैल कर दुनियां पर क़यामत तक हुकूमत करते रहें , इसके लिए उन्होंने पत्नियों की फ़ौज सी तैयार कर डाली थी , हदीसों के अनुसार मुहम्मद साहब को अल्लाह ने पांच सौ मर्दों के बराबर सम्भोग शक्ति प्रदान की थी , इस शक्ति का इस्तेमाल करके वह रोज अपनी सभी औरतों को खेती की तरह जोतते रहते थे , लेकिन अपनी औरतों की मशीन की तरह जुताई करने पर भी सिर्फ उनकी पहली पत्नी खदीजा से ही संतान हो सकी. जिनकी संख्या सिर्फ 7 ही है
2-मुहम्मद की सम्पति नष्ट क्यों हो गयी ?
मुहम्मद बिना मेहनत के धनवान होना चाहते थे इसलिए उन्होंने धनवान महिला से शादी की खदीजा बिन्त ख़ुवैलद मुहम्मद की पहली पत्नी थी ,इसका जन्म सन 555 ईस्वी में मक्का में हुआ था ,खदीजा को अरब की सबसे धनवान महिला कहा जाता , इस्लामी किताबों के अनुसार खदीजा ने व्यापर में इतना धन कमाया था कि उसके घर में सोने और चांदी के सिक्के मटकों में भरे रहते थे , जिनमे रोम ,ईरान और भारत के सिक्के भी शामिल हैं ,लेकिन खदीजा दो बार विधवा हो चुकी थी .मुहम्मद साहब को यह बात मालुम थी फिर भी उन्होंने सन 595 में खदीजा से शादी कर डाली . शादी के समय मुहामद की आयु 25 साल और खदीजा की आयु 40 साल थी , लेकिन जैसे ही मुहम्मद ने खदीजा से शादी की लोगों ने उनसे व्यापर करना बंद कर दिया ,और कुछ ही महीनों में वह कंगाल हो गए , और परिवार का खर्चा चलाने के लिए लूटें करवाने लगे
3-मुहम्मद निस्संतान क्यों हो गए ?
जब मुहम्मद का धन नष्ट हो गया तो वह जिहाद ने बहाने लूटमार लगे और विरोध करने वालों को क़त्ल कर देते थे इस से अनेकों बच्चे अनाथ हो गए ,फलस्वरूप मुहम्मद के तीन पुत्र और दो पुत्रियां उनके सामने ही मर गए
मुहम्मद को अपनी पहली पत्नी खदीजा से सिर्फ छह संतान हुई जिनके नाम है
1.कासिम बिन मुहम्मद (598 – 600 or 601 CE)पुत्र दो साल में मर गया
2.जैनब बिन्त मुहम्मद (599 – 630 CE)-पुत्री 31 साल रही
3.रुकैय्या बिन्त मुहम्मद (601 – 624 CE)-पुत्री 23 साल रही
4.उम्मे कुलसुम बिन्त मुहम्मद (603 – 630 CE)पुत्री 27 साल रही
5.अब्दुल्लाह इब्न मुहम्मद (d. 615 CE)पुत्र जन्म होते ही मर गया
6-फातिमा बिन्त मुहम्मद 604 – 632 CE)-पुत्री 28खदीजा की संतानों का क्रम देख कर पता चलता है की शादी के समय (सन 595 ) से लेकर अंतिम संतान फातिमा के जन्म (सन 604 ) तक 9 साल में खदीजा ने दो पुत्र पैदा किये जो अधिक जीवित नहीं रहे , और 4 पुत्रियां पैदा कीं वे 20 साल से अधिक जिन्दा रहीं साल रही
4-मुहम्मद की पत्नियां बाँझ क्यों हो गयीं ?
जब फातिमा के सिवा मुहम्मद की सभी संतानें मर गयी , और खदीजा की माहवारी बंद हो जाने पर उस से संतान की उम्मीद नहीं रही तो , मुहम्मद अपना वंश बढ़ाने के लिए अपने हरम में औरतें भरने लगे लोग इनकी संख्या ग्यारह बताते हैं
अरब के लोगों में बड़े पुत्र को ही घर का मुखिया माना जाता , यही रिवाज मुस्लिम बादशाओं ने अपना लिया था कि अक्सर बड़े लड़के को गद्दी दी जाती थी , अरब में एक बुरी कुरीति थी कि अगर किसी के पहले लड़की पैदा होती थी ,तो नवजात कन्या को जिन्दा दफना देते थे , और जिस के कोई पुत्र नहीं होता था उसे अरबी में “अबतर – ” यानि निपुत्र कह कर उसका मजाक उड़ाया करते थे ,When the male sons of a man died the people used to say, `He has been cut off.
चूँकि तब तक मुहम्मद का कोई पुत्र नहीं था लोग ताना मारते थे कि तुम कैसे रसूल हो सकते हो , ? जबकि अल्लाह ने तुम्हे एक पुत्र भी नहीं दिया , लोगों का मुंह बंद करने के लिए मुहम्मद ने पत्नियों की टीम बना ली , जिनकी संख्या 11 बताई जाती है .लेकिन सभी औरतों से लगातार सहवास करने पर भी मुहम्मद किसी भी पत्नी से कोई संतान नहीं हुई ,सारी पत्निया बाँझ हो गयीं ,इसका कारन मुहम्मद का औरतों और बच्चों पर अत्याचार है
जब लगातार सहवास करने पर भी मुहम्मद की किसी औरत को संतान नहीं हुई तो मिस्र के शासक ने 627 में सन मुहम्मद को एक गुलाम दासी भेजी जिसका नाम “मरिया क़िब्तिया – था , संयोगवश वह गर्भवती हुई और सन 630 में उसके एक पुत्र पैदा हुआ , जिसका मुहम्मद ने इब्राहिम रखा , यह मुहम्मद की सातवीं संतान यानि तीसरा पुत्र था , इब्राहिम के पैदा होने पर मुहम्मद के सहाबा ख़ुशी मनाने लगे कि आखिर अल्लाह ने रसूल का वारिस पैदा कर दिया , लेकिन उनकी ख़ुशी अधिक समय नहीं रही क्योंकि एक साल होने पर सन 631 में इब्राहिम की मृत्यु हो गयी ,अल्लाह भी उसे नहीं बचा सका
5-अल्लाह ने रसूल को तरकीब सुझाई
जब इब्राहिम भी मर गया तो लोग फिर से मुहम्मद पर कटाक्ष करने लगे कि अब आप बिलकुल निपुत्र यानी ” अबतर – الْأَبْتَرُ ” (Cut off ) हो गए ,जबकि यहूदी और ईसाइयों के नबियों के वंशज आज तक मौजूद हैं , तब मुहम्मद ने लोगों के सामने सूरा कौसर 108 सुना दी , इसमें सिर्फ तीन ही आयतें हैं पूरी सूरा इस प्रकार है ,
إِنَّا أَعْطَيْنَاكَ الْكَوْثَ -(इन्न आतैनाक अल कौसर )
فَصَلِّ لِرَبِّكَ وَانْحَرْ -(फ सल्ले लि रब्बिक व् अन्हर )
إِنَّ شَانِئَكَ هُوَ الْأَبْتَرُ -(इन्न शायनक हुव अल अबतर )
Sura-kawthar 108:1-3
अर्थ -निश्चय ही हमने तुझे कौसर (जन्नत का अमृत कुंड ” प्रदान किया , बस तुम अल्लाह की स्तुति और और ऊँटों को नहर किया करो , (ऊँटों को खड़ा करके उनकी गर्दन में भाला या तलवार भौक कर मारने को नहर कहते हैं जिस से खून बाह जाने से ऊँट मर जाता है ) बेशक ऐसा करने से तेरा सामना करने वाले अबतर यानि निपुत्र या निर्वंश हो जायेंगे .
6-मुहम्मद ने ऊटों को नहर किया
मुहम्मदी अल्लाह की शक्ति और बुद्धि इस बात से प्रकट हो जाती है कि अल्लाह ने मुहम्मद को संतान देने का वरदान देने की जगह मुहम्मद को ऊँटों को नहर करने को कहा और कहा की इस से दूसरे भी निपुत्र हो जाएने , इस आयत का मुहम्मद ने पालन किया जो इस हदीस में है
“अनस कहते हैं कि इस आयत के बाद रसूल ने सात ऊँटों को खड़ा किया और उनका नहर यानि जबह किया
“حَدَّثَنَا سَهْلُ بْنُ بَكَّارٍ، حَدَّثَنَا وُهَيْبٌ، عَنْ أَيُّوبَ، عَنْ أَبِي قِلاَبَةَ، عَنْ أَنَسٍ ـ وَذَكَرَ الْحَدِيثَ ـ قَالَ وَنَحَرَ النَّبِيُّ صلى الله عليه وسلم بِيَدِهِ سَبْعَ بُدْنٍ قِيَامًا، وَضَحَّى بِالْمَدِينَةِ كَبْشَيْنِ أَمْلَحَيْنِ أَقْرَنَيْنِ‏.‏ مُخْتَصَرً
The narration of Anas abridged, saying, “The Prophet (ﷺ) slaughtered seven Budn (camels) while standing, with his own hands.
Reference : Sahih al-Bukhari 1712
In-book reference : Book 25, Hadith 190
USC-MSA web (English) reference : Vol. 2, Book 26, Hadith 770

7-मुहम्मद की सात पीढ़ियों तक हत्या क्यों होती रही ?
यह हमारा चौथा प्रश्न है
यह ईश्वर का नियम है , इसे सब मानते और जानते हैं ,
” जो जस करे सो तस फल चाखा -कर्म प्रधान विश्व करि राखा ”
चूँकि मुहम्मद ने हजारों बच्चों को अनाथ किया था इसके फलस्वरूप उनके सभी पुत्र मर गए यही नहीं फातिमा के सिवा सभी पुत्रियां उनके सामने मर गयीं किसी को अल्लाह ने नहीं बचाया ,और जब अल्लाह के हुक्म से मुहम्मद से एक साथ सात ऊँटों को मारा तो फातिमा की सात पीढ़ी तक पुत्रों की हत्या होती रही , देखिये ,
1.- इमाम हसन –
खलीफा मुआविया के कहने पर हसन की औरत ने हसन को जहर देकर मारा था सन 680 में इनकी मौत हुई और इनको मदीना में जन्नतुल बाक़ी में दफन किया गया
.2. इमाम हुसैन
-इनको कर्बला के मैदान में यजीद की फौजों ने इनके परिवार के 72 लोगों के साथ क़त्ल कर दिया था .इनकी कब्रें कर्बला में हैं आज भी शिया इनका मातम करते हैं
.3.जैनुल आबीदीन
-यह हुसैन के पुत्र थे 659 में खलीफा अल वलीद के कहने पर जहर देकर मारा गया था.इनकी कब्र मदीना में है
.4.मुहम्मद वाकिर या अली –
इनको भी 732 में इब्राहीम इब्ने अब्दुल सत्तार ने जहर देकर मारा था .ह्त्या का आदेश खलीफा हिशाम इब्ने अब्दे मालिक ने दिया था .इनकी कब्र मदीना में है
.5.जाफर सादिक
-पिता का नाम मुहम्मद इसे भी 765 में खलीफा मंसूर के हुक्म से जहर देकर मारा गया था .कब्र मदीना में है .
6. मुसा काजिम पिता जाफर -इसे भी बगदाद में खलीफा हारून अल रशीद ने कैद कर लिया था ,और 799 में जहर देकर मार दिया था .कब्र काजियान बगदाद में है
.7.अली इब्ने मूसा –
इसको भी खलीफा अल मामून ने 817 में तूस नाम की जगह में जहर देकर ह्त्या की थी.इसकी कब्र मशहद में है .
अब इस लेखमें दिए गए चार प्रश्नों और कारणों के साथ मुहम्मद की जीवनी की घटनाओं का विश्लेषण करने पर आप खुद समझ जायेंगे कि अल्लाह बड़ा है कि ईश्वर बड़ा है ?और जिसको ठीक से समझ में आ जाए तो भविष्य में कभी अल्लाह को ईश्वर मानने की भूल नहीं करेगा , प्रबुद्ध लोग निष्पक्ष होकर निर्णय करें कि अल्लाह बड़ा है ? या ईश्वर बड़ा है? जो हरेक अपराध का दंड देता है , जिसके आगे अल्लाह भी कुछ नहीं कर सकता।
ब्रजनंदन शर्मा (सुप्रसिद्ध समीक्षक एवं लेखक)

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