हर बार निशाने पर हिन्दू ही क्यों?

प्रसिद्ध नेस्ले कम्पनी ने किटकैट चॉकलेट पर जगन्नाथपुरी के मन्दिर की प्रतिकृति बनाई थी। विरोध के बाद वापिस ली। इससे पहले तनिष्क ने विज्ञापन में लव जेहाद को बढ़ावा देने वाली कहानी दिखाई थी। सिएट टायर के विज्ञापन में अमीर खान सड़क पर दिवाली के पटाखे का विरोध करता है परन्तु सड़क पर नमाज का नहीं।
कम्पनियों को सामान बेचने के लिए इस तरह के छल कपट करने का साहस क्यों होता है?
आखिर सारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हिंदुओ को गाली देकर ही क्यों मिलती है?
क्या कोई भी व्यक्ति यह कह सकता है कि मुझे संसद, विधानसभा, सेना की छावनी या हवाई अड्डे में जाने की स्वतंत्रता होनी चाहिए?
रेलवे स्टेशन तक में घुसने के लिए प्लेटफार्म टिकट लेना अनिवार्य होता है। क्या बैंक में अस्त्र शस्त्र लेकर जा सकते हैं? परन्तु सबरीमाला के मन्दिर और गरबा पांडाल में कुछ को जाने से रोकने पर समानता का रोना रोया जाता है।
उत्पाद बेचने के लिए हिन्दूत्व का सहारा लेना सही है पर 3 तलाक और हलाला पर मीडिया में बहस नही हो सकती। जिस
रेलवे स्टेशन अंदर जाने का टिकट लगता है उस के प्लेटफार्म या रेलवे लाइन पर रातों रात मजार कैसे बना दी जाती है यह किसी मीडिया या मिया लार्ड को नहीं दिखता। दंगे, सामुहिक नरसंहार, सामुहिक बलात्कार और सामूहिक ठगी के केस का10 साल तक नम्बर नही आता पर याकूब मेनन, सुधा भारद्वाज, महाकाल मन्दिर में पानी की मात्रा और सबरीमाला के लिए समय ही समय है।

कुछ वर्ष पूर्व कर्नाटक के रहने वाले ‘करण आचार्य’ ने “क्रोधित हनुमान” की एक पेंटिंग बनाई थी, अचानक यह पेंटिंग देश भर में सुर्खियों में आ गया था।
OLA-UBER समेत निजी वाहन वाले हनुमान जी की इस तस्वीर को अपने-अपने कारों के ऊपर लगाने लग गये।
इन बातों से हिन्दू द्वेषी मीडिया व अन्य जमात वालों के सीने पर सांस लोटने लगे। “द वायर” आदि जमातों ने बजरंगबली को निशाने पर लेते हुए कई लेख लिखें।
अगर आप पढ़ने-लिखने में रुचि रखते हैं तो आपको यह भी याद होगा कि काफी पहले ‘हंस’ पत्रिका के संपादक ‘राजेन्द्र यादव’ में यही हरकत की थी और हनुमान जी को “मानव-सभ्यता का पहला आतंकवादी” बताया था।
सुनेत्रा चौधरी नाम की एक वामपंथी महिला ने दो दिन पहले दिल्ली एयरपोर्ट पर स्थापित पाञ्चजन्य शंख के स्टेचू पर अभद्र शब्दों में ट्वीट करती है कि ये शँख कारपेट से भी घिनौना लग रहा है प्लीज इसे हटाइए… कुछ ही देर में स्वाति चतुर्वेदी नाम की दूसरी वामपन्थी महिला आकर सुनेत्रा के ट्वीट का समर्थन करती है…
2 नवम्बर 2014 को केरल के मरीन ड्राइव तट पर एक वामपन्थी एक्टिविस्ट कपल ने किस ऑफ लव का आयोजन किया था… ये आयोज़न शिवसेना बजरंग दल जैसे दलों के सार्वजनिक स्थानों पर अश्लीलता रोकने के विरोध में हुआ था… इस आयोजन में केरल के कई बड़े कॉलेजों के छात्र छत्राओं ने भी भाग लिया था… इस आयोजन का आव्हान एक फेसबुक पेज ‘किस ऑफ लव’ बनाकर उसके माध्यम से किया गया था जिसके ऑर्गेनाइज़र थे दो वामपन्थी एक्टिविस्ट रेशमी नैयर और उसका पार्टनर राहुल पाशुपलन… केरला में किस ऑफ लव के पूरे आयोजन का प्रचार और हिंदी भाषी प्रदेशों में इसका लाइव टेलीकास्ट किया था एक बड़े मीडिया प्लेटफार्म NDTV नें… इसके बाद रश्मि नैयर का इंटव्यू NDTV में आया और ये वामपन्थी एक्टिविस्ट राष्ट्रीय हस्ती बन गई…
खैर, इस आयोजन के छः महीने बाद केरल पुलिस के एक तेज़ तर्रार अधिकारी एस श्रीजीत की अगुवाई में एक अंडकवर ऑपरेशन बिग डैडी शुरू हुआ… ये स्पेशल ऑपरेशन ऑनलाईन देह व्यापार और मानव तस्करी के अपराधियों को पकड़ने के लिए शुरू किया था… थोड़े समय बाद ही केरल पुलिस की इस स्पेशल टीम के हाथ एक बड़ी कामयाबी लगी जब उन्होंने अकबर नाम के एक व्यक्ति को एक छः वर्षीय बच्ची के साथ गिरफ्तार कर लिया… उसकी निशानदेही पर बंगलोर की एक महिला लिनीस मैथ्यू को एक 9 साल की बच्ची के साथ गिरफ्तार कर लिया गया… दोनों ही बच्चियाँ मुस्लिम समुदाय से थी, उनसे ज़बरन देह व्यापार कराया जा रहा था
सरगना की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने जाल बिछाया और दो पुलिस अधिकारियों ने अकबर के माध्यम से व्यापारी बन कर देह व्यापार के इस अंतरराज्यीय गिरोह से सम्पर्क किया और लड़कियों की डिमांड की… सरगना ने उन्हें अड्डे पर बुलाया और स्पेशल टीम ने वहां से पांच लड़कियों के साथ सरगना को धर दबोचा… पांचों लड़कियों झांसा देकर तस्करी के जरिए देह व्यापार के लिए लाई गई थी जिन्हें पुलिस ने उन दोनों बच्चियों सहित काउंसलिंग के बाद उनके घर भेज दिया… मानव तस्करी, देह व्यापार और नाबालिग बच्चियों की सप्लाई करने वाले इस अंतरराज्यीय गिरोह की सरगना थी किस ऑफ लव एक्टिविस्ट रेशमी नैयर… रेशमी नैयर खुद भी अपना जिस्म बेचती थी जिसके बदले वो ग्राहक से एक रात के 60000 रूपए तक वसूलती थी…
नवम्बर 2015 में रेशमी नैयर सहित 11 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया… आरोपियों में 6 लोग एक सीक्रेट फेसबुक ग्रुप ‘कोचुसुन्दरिकल’ के एक्टिव मेम्बर थे… इसी ग्रुप के माध्यम से कॉलेज की स्टूडेंट्स लड़कियों को पहले वामपन्थी विचारधारा से किरन्तिकारी बनाया जाता था फिर आज़ादी और फेक फेमिनिज़्म की घुट्टी पिलाकर मॉडलिंग या बोलीवुड में कैरियर बनाने के नाम पर फंसाया जाता था… ये सीक्रेट ग्रुप फेसबुक पेज ‘किस ऑफ लव’ से सम्बध्द था।

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