अच्छी−अच्छी बातोंवाले प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ बताते हुए देशवासियों को आश्वस्त किया कि वे उन पर भरोसा रखें। उनका यह ‘प्रधानसेवक’ देश के गरीबों का एक−एक पैसा वापस लाएगा। वह काले धन की वापसी में कोई कसर उठा नहीं रखेगा। मोदी को यह क्यों कहना पड़ा? इसीलिए कि उनके वित्तमंत्री अरुण जेटली के बयान से देश में गलतफहमी फैल गई थी। जेटली ने काले धनवालों के नाम उजागर करने में कई तकनीकी दिक्कतें बताई थीं। उनका बयान ऐसा लग रहा था, मानो वह पी. चिदंबरम ने लिखा है। याने काले धन के मामले में जैसी कांग्रेस, वैसी भाजपा! अच्छा हुआ कि सर्वोच्च न्यायालय ने फटकार लगाई और सरकार से नामों की सूची उगलवा ली। अदालत ने भी उस सूची के बंद लिफाफे को खोला नहीं। उसे ज्यों का त्यों ‘विशेष जांच दल’ (सिट) को थमा दिया। अब मोदी के बयान पर कांग्रेस के लोग फब्तियां कस रहे हैं। मजाक उड़ा रहे हैं।

मोदी ने सच बोल दिया। उन्होंने कहा कि किसी को भी ठीक−ठीक पता नहीं कि विदेशों में जमा काला धन कितना है। न खुद मोदी को, न सरकार को, न विदेशी निगरानी संस्थानों को और न ही विशेष जांच दल को! अब विरोधी नेता पूछ रहे हैं कि यदि ऐसा है, तो मोदी ने चुनाव के दौरान बार−बार यह क्यों कहा कि काले धन की वापसी पर प्रत्येक भारतीय को तीन−तीन लाख रु. मिल सकते हैं। याने उन्हें काले धन के आंकड़े का पता था। अब वे यह क्यों कह रहे हैं कि किसी को भी पता नहीं। इसका मतलब साफ है कि चुनाव के दौरान वे खाली−पीली सब्जबाग दिखा रहे थे।

मोदी पर लगाए जा रहे इस आरोप में तर्क कम, ईर्ष्या का तत्व ज्यादा है। मोदी सरकार की पीठ ठोकनी होगी कि जिसने अपने मंत्रिमंडल की पहली बैठक में विशेष जांच दल गठित कर दिया जबकि इसी मुद्दे पर कांग्रेस सरकार सर्वोच्च न्यायालय को दो−तीन साल से झांसे दे रही थी। लगभग एक माह में ही उसने काले−धन की सूची ‘सिट’ को सौंप दी। वही सूची उसने छिपाई नहीं, अदालत के भी हवाले कर दी। अब मोदी कहते हैं कि वे काला धन वापस लाएंगे तो उन पर भरोसा क्यों नहीं करना चाहिए?

लेकिन मूल सवाल का जवाब मोदी के पास भी नहीं है। काले धन के मालिक क्या मूर्ख हैं, जो उसे पकड़वाने के लिए अभी तक उसे बैंकों में पटके रखेंगे? यदि विदेशों में रखा सारा काला धन आ भी गया तो वह कुल काले धन का 5−10 प्रतिशत भी नहीं होगा। यदि हम काले धन की पैदाइश ही स्वदेश में बंद कर दें तो वह विदेश जाएगा कैसे? इसका जवाब जिस दिन मोदी खोज लेंगे, वे बड़े आदमी बन जाएंगे। अभी तो वे सिर्फ प्रधानमंत्री हैं। अच्छी−अच्छी बातें करनेवाले प्रधानमंत्री हैं।

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