देश के बंटवारे को स्वीकार कर राष्ट्र की हत्या के दोषी हैं गांधी, फिर राष्ट्रपिता कैसे ? – इंजीनियर श्यामसुंदर पोद्दार ( महामन्त्री,वीर सावरकर फ़ाउंडेशन )           

गाँधी देश के बंटवारे के दोषी रहे हैं। उन पर इस आरोप के चलते कालीचरण ने जो कुछ भी कहा है वह कुछ भी नहीं कहा। गाँधी ने बंटवारे को स्वीकार करके देश को बर्बाद कर दिया था। कांग्रेस के नेतृत्व ने उन्हें राष्ट्रपिता का फर्जी प्रमाण पत्र दे दिया। जिसके वह पात्र नहीं थे। वैसे भी संविधान के अनुसार कोई भी व्यक्ति देश का राष्ट्रपिता नहीं हो सकता। सूचना के अधिकार के अंतर्गत इस संबंध में मांगी गई सूचना के आधार पर भी यह बात सिद्ध हो गई है कि देश का राष्ट्रपिता कोई भी नहीं है। फिर गांधी देश के राष्ट्रपिता कैसे बन गए ? यह बात बहुत बड़ा रहस्य है।
नेहरू को गांधी के कारण देश की सत्ता प्राप्त हुई थी। इसलिए अपने ऊपर गांधी के एहसान के चलते वह गांधी को राष्ट्रपिता से भी ऊपर बनाने को तैयार थे। वे कहते थे कि गांधी ही भारत हैं और भारत ही गांधी है। गाँधीवादी लोगों ने नेहरू की गांधी के प्रति इसी अंधश्रद्धा को देखकर उन्हें राष्ट्रपिता देना आरंभ कर दिया। गाँधी के पोते तुषार गांधी ने कहा था कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने गांधी को सबसे पहले राष्ट्रपिता के सम्मान से सम्मानित किया। मैंने सुभाष बाबू के ६ जुलाई १९४४ के रेडियो  संदेश को ठीक से पढ़ा, सिर्फ़ उसी में सुभाष बाबू ने गांधी के चेलों द्वारा उन्हें राष्ट्रपिता कहे जाने पर व्यंग कसा। उन्होंने अपनी ओर से कहीं गांधी को राष्ट्रपिता कहा हो, ऐसा नहीं कहा जा सकता। सुभाष बाबू ने अपने इस संदेश में गांधी को उनका पुराना वादा याद दिलाया। गांधी ने जब सुभाष बाबू को कांग्रेस से निकाल दिया था तो एक दिन अचानक ये दोनों वर्धा में एक-दूसरे के आमने-सामने आ गए। गांधी ने सुभाष बाबू को कहा कि तुम जीवन में कभी सफल नहीं हो सकता और यदि तुम कभी सफल हुए तो मैं स्वयं तुम्हारा स्वागत करूंगा।
सुभाष बाबू ने अपने उस संदेश में कहा कि अंत में मैं सफल हो गया। भारत की धरती पर भारत की राष्ट्रीय सेना भारत की स्वाधीनता की लड़ाई लड़ रही है। बापू ! अब आपको उसका सहयोग करना चाहिए।
गांधी ने सुभाष बाबू के इस संदेश के जवाब में अपना वादा भुलाकर नेहरू को असम भेजकर अपना संबाद भेजा कि सुभाष को आगे बढ़ने के पहले गांधी से लड़ना होगा। देश के क्रांतिकारियों और देश की आजादी के लिए मर मिटने का संकल्प लेकर काम करने वाले सुभाष चंद्र बोस जैसे लोगों के प्रति गांधी का नजरिया ऐसा था। इस पर किसी कांग्रेसी को नाज हो सकता है लेकिन किसी आम भारतीय को कभी नाज नहीं हो सकता। गांधी हत्या के मामले में कांग्रेस ने भले ही गोडसे के न्यायालय के समक्ष दिए गए बयान पर प्रतिबंध लगा दिया हो, परंतु इतिहास में उपरोक्त बातें भी दर्ज हैं, जिन्हें पढ़कर शर्म आती है। गोडसे ने गांधी को क्यों मारा ? यदि यह सच लोगों के सामने आ जाता तो सबको पता चल जाता कि वह घटना क्यों घटित हुई थी ? निश्चय ही गांधी ने अपनी हत्या से पहले राष्ट्र की हत्या कर दी थी।
यदि गोडसे के जवाब को जनता जान पाती तो कांग्रेस कभी भी १९५२ का चुनाव नही जीत सकती थी। आज जो लोग गोडसे की मूर्ति लगाते हैं तो संबंधित राज्य की सरकारें उसे गिरफ्तार करने के लिए पुलिस को भेजती हैं कि राष्ट्रपिता का ऐसा अपमान नहीं आना चाहिए. परंतु हम पूछते हैं कि ऐसा कौन सा गजट है जिसमें गांधी को राष्ट्रपिता कहा गया है ? मेरा मानना है कि
राज्य सरकार उनको गिरफ़्तार करने के लिये पुलिस भेजती है।  आराम से भारत माता के हत्यारे गांधी को उचित पाठ पढ़ाने वाले गोडसे की पूजा हंसते हँसते करे।

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