‘उगता भारत वेबीनार – 4’ हुई संपन्न : वक्ताओं ने “धर्मांतरण से राष्ट्रान्तरण” – विषय पर रखे अपने ओजस्वी विचार, कहा- देश को रहना होगा सावधान


ग्रेटर नोएडा । ‘उगता भारत’ समाचार पत्र परिवार की ओर से वेबीनार -4 का आयोजन किया गया। जिसमें ”धर्मांतरण से राष्ट्रान्तरण- भूत, वर्तमान और भविष्य” – विषय पर चर्चा हुई। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि माँ राज्यलक्ष्मी (अमेरिका) संस्थापक अध्यक्ष इंटरनेशनल प्रेसिडेंट ऑफ वर्ल्ड एनआरआई एसोसिएशन एवं फाउंडर प्रेसिडेंट ऑफ ओम क्रिया योग स्प्रिचुअल सेंटर ऑफ बर्फानी धाम रहीं। उन्होंने अपने ओजस्वी वक्तव्य में कहा कि भारत एक आध्यात्मिक देश है जो आज भी विश्व नेतृत्व करने की असीम संभावनाएं रखता है। परंतु इसके उपरांत एक वर्ग ऐसा सक्रिय है जिसने भारत की ओजस्विता और तेजस्विता को मिटाने का घातक प्रयास किया है। हमें समय रहते ऐसे प्रयासों को रोकना होगा और इतिहास से शिक्षा लेते हुए वर्तमान में देश तोड़ने की गतिविधियों पर गहराई से नजर रखनी होगी ।उन्होंने कहा कि जो लोग देश तोड़ने को ही अपना धर्म मान कर चल रहे हैं उनके प्रति सरकार को भी कठोर नीति अपनानी चाहिए। उन्होंने मोदी के प्रधानमंत्री बनने को भारत का सौभाग्य मानते हुए कहा कि हिंदी हिंदू और हिंदुस्तान के लिए जो कुछ भी हो रहा है उसका हमें स्वागत करना चाहिए।
कार्यक्रम की रूपरेखा पर अपने विचार व्यक्त करते हुए “उगता भारत” समाचार पत्र के चेयरमैन देवेंद्र सिंह आर्य ने कहा कि भारत हजारों वर्ष से सांप्रदायिकता का शिकार है। महाभारत के पश्चात किस प्रकार भारत के इतिहास को संप्रदायों ने विकृत किया और वर्तमान काल में ईसाइयत और इस्लाम ने किस प्रकार यहां पर गलत ढंग से अपना प्रचार प्रसार कर खून खराबा किया – उस पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि आज हमें देश के सामने खड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है। वेबीनार में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए एक अनेकों राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित और वरिष्ठ पत्रकार राकेश छोकर ने कहा कि भारत की आत्मा को समझने की आवश्यकता है। जिसमें सभी संप्रदायों को साथ लेकर चलने का भाव है। परंतु इसका दुरुपयोग करके जिन लोगों ने भारत को मिटाने के षड्यंत्र रचे हैं उनके कारण देश को कई बार विभाजन की पीड़ा से गुजरना पड़ा है। जिस पर हमें वर्तमान में सावधानी बरतने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में अति विशिष्ट वक्ता के रूप में चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी मेरठ की इतिहास विभागाध्यक्ष श्रीमती आराधना गुप्ता ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान में भारतीय समाज को बिगाड़ने और भारत की युवा पीढ़ी को बिगाड़ने के षड्यंत्र एक वर्ग की ओर से दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। उन्होंने अनेकों उदाहरण देते हुए स्पष्ट किया कि किस प्रकार लव जिहाद के शिकंजे में कस कर हमारी बहन बेटियों को अपने धर्म से पतित किया जा रहा है? उन्होंने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि देश का हिंदू समाज अपने अस्तित्व पर आए संकट को समझ नहीं रहा है।
वेबीनार में अपने विचार व्यक्त करते हुए “उगता भारत” के संपादक डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि भारत को सांप्रदायिकता के आधार पर तोड़ने का घिनौना प्रयास कई शताब्दियों से किया जाता रहा है। भारत को अपने अस्तित्व को समझने के लिए अपने अतीत को भी समझना होगा। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश,, ईरान इराक आदि सभी कभी भारत के अंग हुआ करते थे ।जिन्हें सांप्रदायिकता ने अलग कर दिया। उन्होंने कहा कि मानवता का धर्म एक है परंतु मत अनेक हैं। उन्होंने कहा कि मत मजहब का प्रतीक है जो तोड़ने का काम करता है, जबकि धर्म जोड़ने का काम करता है। पत्र के समाचार संपादक मनोज चतुर्वेदी शास्त्री ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मतों ने दुनिया की मति को भंग किया है। उन्होंने कहा कि मजहबी उन्माद ने भारत के इतिहास को विकृत करते हुए विभाजित करने के कई अपराध किए हैं ।उन्होंने 1947 के भारत विभाजन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज फिर जिन परिस्थितियों को पैदा किया जा रहा है उनके प्रति हमें सचेत रहते हुए एकता का परिचय देना है और अपने सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा करनी है। वेबीनार कार्यक्रम का सफल संचालन पत्र के सह संपादक राकेश आर्य (बागपत) ने किया ।उन्होंने अपने शानदार संबोधन में कहा कि भारत वैदिक संस्कृति के आधार पर संसार में विश्व गुरु बन कर रहा है। आज फिर हमें महर्षि दयानंद के सपनों का भारत बनाने के लिए संकल्पित होना है। श्री आर्य ने कहा कि भारत वैदिक मूल्यों के आधार पर ही जीवित रह सकता है और संसार का नेतृत्व कर सकता है। इसलिए वेदों की ओर लौटने का समय आ गया है। वैबिनार में शिखा वटार, श्रीमती संजीव कुमारी ,श्याम गुर्जर, आर्य जैमिनी गोयल, अजय आर्य सहित सैकड़ों लोगों ने उपस्थिति दर्ज कराई।

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