स्वामी वेदानंद तीर्थ : जीवनी के रोचक प्रसंग
🌺🍂स्वामी वेदानंद तीर्थ -, जीवनी के रोचक प्रसंग🍂🌺 चुने हुए वेद मंत्रों के संग्रह ” स्वाध्याय संदोह ” के लैखक स्वामी वेदानंद तीर्थ की संन्यास दीक्षा और वैदिक शिक्षा वाराणसी नगर में हुई। एक दिन वह महाभाष्य के विद्वान श्री पण्डित तिवाड़ी जी की पीठिका से अपने निवास स्थान की ओर जा रहे थे कि स्थान स्थान पर उन्होंने बड़े बड़े पोस्टर लगे देखे। उन का शीर्षक था ” ज्योतिष के चमत्कार” । अपनी दुकान चमकाने के लिए एक राजज्योतिषी ने बड़ी लुभा्वनी भाषा में लिखे गए यह पोस्टर हज़ारों की संख्या में लगवाए थे।
एक वैदिक विद्वान होने के नाते स्वामीजी को फलित ज्योतिष पर विश्वास नहीं था न जाने उनके मन में क्या विचार आया? उन्होंने पैंसिल से एक पोस्टर पर लिख दिया ” आज दोपहर बाद ज्योतिषी जी को जेल हौगी।” स्वामी वेदानंद जी के सहपाठियों ने भी हाथ बटाया । सैंकड़ों पोस्टरों पर वही शब्द अंकित कर दिए गए।
संयोगवश ज्योतिषी महोदय ने एक सज्जन की पत्री देख कर उसे कहा था कि उसके घर ( तीन बेटियों के बाद )इस बार लड़का होगा। पत्री दिखाई के पांच सौ रुपए भी एंठ लिए थे। परन्तु इस बार भी लड़की ही हुई। हताश उस व्यक्ति ने ज्योतिषी जी पर चार सौ बीस का मूकद्दमा बना कर उसे गिरफ्तार करा दिया। अपराह्न में सचमुच ही ज्योतिषी जी जेल की सलाखों के पीछे खड़े झांक रहे थे।
ज्योतिषी जी की गिरफ्तारी की खबर जंगल की आग की तरह सारे शहर में फैल गई। उत्सुकता वश एक अच्छी खासी भीड़ जेल के बाहर जमा हो गई। स्वामी वेदानंद जी भी जेल के बाहर सड़क पर आ विराजे। उन्होंने जेल के सीखचों के पीछे से झांकते हुए ज्योतिषी से पूछा ” दूसरों का भविष्य देखते देखते आप अपना भविष्य देखना कैसे भूल गए? तनिक अपने पोस्टरों पर हमारे द्वारा लिखी भविष्य वाणी भी पढ़ ली होती।” लज्जित ज्योतिषी क्या कहता। इस के बाद जनता में यह धारणा बन गई कि स्वामी जी की भविष्यवाणी सच्ची होती है परन्तु अपनी साधना में विघ्न न पड़े इस लिए किसी को कुछ बताते नहीं।
🌺🍂 संदर्भ: श्री सत्यानंद शास्त्री द्वारा लिखित” स्वामी वेदानंद तीर्थ के आत्म संस्मरण” 🍂🌺