मर्यादा पुरुषोत्तम रामचंद्र जी महाराज से घृणा क्यों?

भगवान राम से द्वेष क्यों?

रामसेतु के विषय मे जब कोर्ट केस हुआ तब मनमोहन सिंह की सरकार ने श्रीराम को काल्पनिक बताया। सरकार ने कहा कि कभी कोई राम हुए ही नहीं।
ममता बैनर्जी जय श्री राम के नारे से चिढ़ती है। करुणानिधि सरे आम भगवान राम को गाली देता है। मायावती और करुणानिधि के आदर्श पेरियार ने भगवान राम का अपमान किया। पेरियार ने अखबार मे भगवान श्री राम और भगवती माता सीता के नग्न कार्टून छापे।
केरल के कम्युनिष्ट हों या बंगाल के सबको राम नाम से बहुत नफरत है। JNU मे राम का अपमान और रावण का महिमामंडन किया जाता है।

दिल्ली यूनिवर्सिटी मे रामानुजम की 300 रामायण पढ़ाई गई जिसमे हिंदूओ के मानबिन्दुओं को अपमानित किया गया।
अब यह वीडियो सामने आया है जिसमे सरकारी टेलीविज़न चैनल पर राम के नाम को लेने पर रोक दिया गया। कुछ दिन पहले लोकडाउन के समय मे जब दूरदर्शन पर धारावाहिक रामायण दिखाने की बात हुई तो सेक्युलरों लिब्रलों के अब्बा रविश कुमार (रNDTV वाले) रोने लगे कि कौन जनता है जो रामायण देखना चाहती है? उसी रामायण ने दर्शकों का विश्व रिकार्ड तोड़ा। 16 अप्रैल 2020 को 7.7 करोड़ दर्शको का विश्व रिकॉर्ड बना।

अम्बेडकरवादीयों की आदत से सभी परिचित है। उन्हें हिन्दू समाज से सम्बंधित सभी त्योहारों, परम्पराओं, मान्यताओं का विरोध करते हुए अनाप शनाप बकने की आदत है। आज विजयदशमी के अवसर पर एक अम्बेडकरवादी सुबह सुबह चिल्ला रहा था। बोला श्री राम का कोई अस्तित्व ही नहीं है। ब्राह्मण श्री राम की काल्पनिक कहानियां बनाकर लोगों को मुर्ख बनाने में लगे हुए हैं।

यह रोग आज का नहीं है। गांधी ने श्री राम को किस तरह परिभाषित किया है-
भावनगर में 8 जनवरी 1925 को काठियावाड़ राजनीतिक सम्मेलन आयोजित हुआ। उस सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए गांधी ने कहा

`आधुनिक युग के संदर्भ में कहा जा सकता है कि पहले खलीफा ने रामराज्य स्थापित किया। अबू बकर और हजरत उमर ने करोड़ों के राजस्व इकट्ठा किए फिर भी निजी तौर पर वे फकीर की तरह ही रहते थे।‘

1929 में `यंग इंडिया’ में लिखाः—-

`मैं अपने मुस्लिम मित्रों को सचेत करता हूं कि मेरे रामराज्य शब्द के प्रयोग पर वे किसी प्रकार की गलतफहमी में न आएं। मेरे लिए रामराज्य का अर्थ हिंदू राज नहीं है। मेरे लिए रामराज्य का अर्थ दैवीय शासन है। एक प्रकार से ईश्वर का राज्य है। मेरे लिए राम और रहीम एक ही हैं। मैं सत्य के अलावा और किसी को ईश्वर नहीं मानता। मेरी कल्पना के राम कभी इस धरती पर आए थे या नहीं लेकिन रामराज्य का प्राचीन आदर्श निस्संदेह एक प्रकार से सच्चे लोकतंत्र का नमूना है।

गांधी ने 1946 में हरिजन में लिखाः—-

`( मैं रामराज्य शब्द का प्रयोग इसलिए करता हूं क्योंकि यह एक सुविधाजनक और सार्थक अभिव्यक्ति वाला मुहावरा है। । जब मैं सीमांत प्रांत का दौरा करता हूं या मुस्लिम बहुल सभा को संबोधित करता हूं तो मैं अपने भाव को व्यक्त करने के लिए खुदाई राज शब्द का प्रयोग करता हूं। जब मैं ईसाई जनता को संबोधित करता हूं कि तब मैं धरती पर परमात्मा के राज की बात करता हूं।
मेरी रामराज्य की अवधारणा में अंग्रेजी सेना को हटाकर भारतीय सेना को उसकी जगह स्थापित कर देना नहीं है। जिस देश का शासन उसकी राष्ट्रीय सेना से संचालित होता है नैतिक रूप से कभी स्वतंत्र नहीं हो सकता। इसलिए उस देश का सबसे कमजोर व्यक्ति पूरी नैतिक ऊंचाई तक कभी नहीं पहुंच सकता।’

जवाहर लाल नेहरू ने भी डिस्कवरी ऑफ इंडिया मे रामायण को महभारत के बाद की घटना बता कर एतिहासिकता को नष्ट किया।
अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कॉमेंट बॉक्स मे जय श्री राम लिखें।

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