पंजाब में पंचायत का फरमान, प्रदर्शन में नहीं गए तो हुक्का पानी बंद

दिन में पैसे, रात में दारू’

गाजीपुर सीमा पर प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते राकेश टिकैत (फोटो साभार: PTI)
जिस तरह नागरिकता संशोधक कानून के विरोध में हुए शाहीन बाग़ों से पैसे, बिरयानी और शानदार नाश्ता के समाचार आ रहे थे, उसी तरह कुछ खबरें ऐसी सामने आई हैं जिससे पता चलता है कि दिल्ली की सीमाओं पर नए कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे प्रदर्शन में शामिल होने के लिए लोगों पर दबाव डाला जा रहा है। बठिंडा के विर्क खुर्द गाँव में पंचायत ने प्रस्ताव पारित कर के ग्रामीणों को निर्देश दिया है कि गाँव के हर एक परिवार से कम से कम एक व्यक्ति को दिल्ली प्रदर्शन में पहुँचना ही है। ऐसा न करने पर 1500 रुपए के जुर्माने की धमकी दी गई है। अगर किसी ने बात नहीं मानी तो उसका गाँव-समाज से बहिष्कार कर दिया जाएगा।
वहीं एक ऑडियो वायरल हो रहा है। इसमें खुद को प्रदर्शनकारी बताने वाला शख्स इसके एवज में पैसे और दारू मिलने की बात करता है। बीजेपी नेता नीतू डबास ने यह ऑडियो ट्वीट किया है। ऑपइंडिया इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता।

पंजाब के एक पंचायत द्वारा जारी फरमान में कहा गया है कि प्रत्येक घर का हर व्यक्ति अगले 7 दिनों तक दिल्ली की सीमा पर होना चाहिए। साथ ही ये भी कहा गया है कि अगर दिल्ली में कोई भी वाहन क्षतिग्रस्त हुआ तो गाँव उसकी जिम्मेदारी उठाएगा। ग्राम पंचायत के आधिकारिक लेटर हेड पर ये फरमान जारी हुआ है। लुधियाना के समराला तहसील के मुस्काबाद गाँव ने भी ऐसा ही प्रस्ताव पारित किया है।

पंचायत ने कहा है कि गाँव के 20 लोगों के एक जत्थे को दिल्ली मोर्चा में ले जाया जाएगा और चार दिन बाद यह दल लौटेगा और दूसरा दल फिर से वहाँ के लिए निकलेगा। इसी तरह दिल्ली सीमाओं पर जाने की ये प्रक्रिया चालू ही रहेगी। पंचायत ने आंदोलन को दबाने के लिए सरकार पर प्रयास करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वो इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। हर गाँव में ऐसा ही फरमान जारी करने की अपील की गई है।

इस बीच उत्तर प्रदेश के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) का कहना है कि यूपी पुलिस कभी गाजीपुर सीमा पर बल-प्रयोग करने पहुँची ही नहीं थी, बल्कि बदमाश वहाँ घुस कर हंगामा न करें, इसीलिए बस सुरक्षा तैनाती बढ़ाई गई थी। उन्होंने कहा कि इसी आधार पर कुछ लोगों ने धारणा बना ली कि हम बल-प्रयोग करने जा रहे हैं। यूपी गेट के गाजीपुर सीमा पर योगेंद्र यादव जमे हुए हैं और उन्होंने लाल किला पर हुई घटना को सरकार की विफलता करार दिया।

वहीं किसान नेता राकेश टिकैत ने पानी उपलब्ध कराने के लिए दिल्ली कि केजरीवाल सरकार को धन्यवाद दिया। लेकिन, उन्होंने ये भी कहा कि वो दिल्ली का पानी नहीं लेंगे और सड़क पर ही बोरिंग खोद कर किसानों के लिए पानी की व्यवस्था की जाएगी। हालाँकि, उनकी धमकी के बाद पानी के टैंकर आंदोलन स्थल पर वापस पहुँच गए। बलबीर सिंह राजेवाल ने दावा किया कि पंजाब-हरियाणा के बीच दरार डालने की कोशिश हो रही है।

वहीं ‘किसान आंदोलन’ के बीच एक ऑडियो भी वायरल हो रहा है। इसमें प्रदर्शनकारी कहते सुने जा रहे हैं कि गाँव से बहुत लोग आए हैं और अकेले उसके गाँव से 20 ट्रैक्टर आए हैं। वो कहते सुना जा सकता है कि यहाँ खाने-पीने की पूरी व्यवस्था है और सरकार की सोच गलत नहीं है, लेकिन किसानों की समझ में कुछ नहीं आ रहा है। उसने दावा किया कि वो तो मजे-मजे में प्रदर्शन के लिए आ गया है।

उक्त प्रदर्शनकारी ने दावा किया कि न सिर्फ यहाँ प्रदर्शन करने के दिन में रुपए मिल रहे हैं, बल्कि रात में दारू का भी अच्छा-खास इंतजाम है। उसने बताया कि 2-3 हजार रुपए तो आराम से मिल जा रहे हैं। उसने कहा, “हमें और क्या चाहिए? हम तो भाजपा के ही बढ़िया आदमी हैं, लेकिन यहाँ रुपए कमाने आ गए हैं। हमारे यहाँ योगीजी बैठे हैं, जो अच्छा कार्य कर रहे।” उक्त प्रदर्शनकारी ने कहा कि यहाँ कई लोग हैं जो पैसे के लिए आए हैं।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश से बड़े स्तर पर कूच की तैयारी की जा रही है। मुजफ्फरनगर महापंचायत के बाद फिर से किसानों को गोलबंद किया जा रहा है। दर्शन पाल ने सीमा पर इंटरनेट सेवा शुरू न किए जाने पर अलग से प्रदर्शन की धमकी दी है। सांसद संजय सिंह ने भी महापंचायत में मंच साझा किया। महात्मा गाँधी की पुण्यतिथि पर उपवास की भी योजना है।

उधर महाराष्ट्र में समाजसेवी अन्ना हजारे ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस और केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी से मुलाकात के बाद किसानों की विभिन्न माँगों को लेकर विरोध प्रदर्शन नहीं करने का निर्णय लिया। इससे पहले उन्होंने कहा था कि वह केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ शनिवार को महाराष्ट्र में अपने गाँव रालेगाँव सिद्धि में अनिश्चितकालीन अनशन शुरू करेंगे। अब उन्होंने कहा है कि वो सरकार द्वारा उठाए गए क़दमों से संतुष्ट हैं।
इंडिया फर्स्ट से साभार

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