तेज हो रहा है विदेशों में भी ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ अभियान

डा. मधुसूदन
नई दिल्ली। कांग्रेसमुक्त भारत नामक एक अभियान खड़ा हो गया है। इस अभियान का गठन विश्व में बिखरे प्रवासी भारतीयों द्वाराय किंतु भारत के विकास के लिए 2014 के चुनाव को प्रमुखत: लक्ष्य में रखकर किया गया है। साथ आमंत्रण प्रस्तुत है उन लोगों के लिए जो कांग्रेस मुक्त भारत चाहते हैं और नरेंद्र मोदी को भारत के प्रधान मंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। इस अभियान में रूचि रखने वाले लोगों को एकत्रित होने के लिए निमन्त्रण है और अनुरोध है कि वे अवश्य अपने नाम का पंजीकरण रजिस्टर करें।
इस संस्था द्वारा कनाडा और अमरिका में 2013 के अंत तक 100 नगरों के सम्पर्क सूत्रधार एवं कम से कम 1000 कर्मठ स्वयंसेवक नियुक्त करने का निर्णय लिया जा चुका है। स्वयंसेवकों से अपेक्षा होगी कि अन्य स्थानिक स्वयंसेवकों का भी पंजीकरण करवाएं। ऐसे स्वयंसेवक भारत के संचार माध्यमों को प्रभावित करने में योगदान देंगे। साथ उनके अपने सम्पर्क में रहने वाले भारतीयों को मोदी के नेतृत्व में संगठित बीण् जे. पी. कोय मतदान के लिए भी आग्रह करेंगे। नगरो नगरों के सूत्रधार व्यवस्थापक उनके अपने नगरों में स्थानिक सभाओं एवं बैठकों का आयोजन और केंद्रीय कार्यकारिणी के प्रवास का प्रबंध भी करेंगे। उसी प्रकार वें स्थानिक छात्रों को उद्योजकों को अग्रणी संस्थाओं के प्रमुखों को और विचारकों को एकत्रित करने का कार्य भी करेंगे। अभियान 2014 विश्व में फैले हुए भारतीयों का यह प्रकल्प है। प्रत्येक स्वयंसेवक को एक प्रपत्र भरना होगा। उसमें निम्न जानकारी देनी होगी। रूचि की राजनैतिक सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं तक सीमित के नाम कितने वर्षों से संबंध दायित्व किन कारणों से अभियान 2014 के साथ जुडना चाहते है और किस प्रकार अभियान में योगदान कर सकते हैं इत्यादि। उपरोक्त प्रपत्र के नीचे अलग अलग विशेष क्षेत्रों का उल्लेख है जो स्वयंसेवक रूचि और विशेषज्ञता के अनुसार चुन सकता है। शुक्रवार संध्या से प्रारंभ होकर रविवार दुपहर तक कुल ढाई दिन का यह कार्यक्रम था। उस में यह लेखक भी सम्मिलित हुआ था। गणेश मूर्ति के सामने दीप प्रज्ज्वलन और मंगलाचरण से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। प्राय: भारत के सभी प्रदेशों से प्रवासी भारतीय कार्यकर्ता सम्मिलित हुए थे। यह अभियान का बीजारोपण था। इसमें चर्चाएं हुयी भाषण हुए अलग अलग रूचि रखने वालों की अलग अलग बैठकें हुयीं हास परिहास भी हुआ। लगभग 85 से 90 तक एकत्रित स्वयंसेवक.सेविकाओं में अभियान 2014 के प्रति उत्साह झलक रहा था। और नरेंद्र मोदी के प्रति उत्साहमें सारे एक स्वरए और उत्साहित थे।
भारत की उन्नति के लिए

भाण् जण् पाण् को 272 से अधिक बैठकें किस प्रकार प्राप्त करवाएंए जिससे भारत की शीघ्र उन्नति में कोई अवरोध या अडंगा न रह पाएए इसी दृष्टि से सारे विचार व्यक्त कर रहे थे। भारत की सारी प्रमुख भाषाओं में एक प्रारुप प्रचार पत्र बनाकरए उसके सारी प्रादेशिक भाषाओं में अनुवाद किए गए हैं. कुछ हो रहे हैं।

प्रत्येक व्यक्ति को अपने सम्पर्क के 14 मित्र संबंधियों को ऐसे पत्र भेजने का अभियान है। जो मित्र दूरदर्शनए या संगणक कम्युटर नहीं रखते ऐसे मित्रों को पत्र भेजकरए और उनसे फिरए उनके और 14 मित्रों को पत्र भेजने की श्रृंखला चलाने की योजना है। अलग आलेख में पत्र का हिंदी मूल पाठ दिया जाएगा। तेलुगुए मलयालमए मराठी इत्यादि सारी प्रादेशिक भाषाओं में भी पत्र भेजे जाएंगे।कुछ तो आपको जालस्थल पर प्राप्त हो ही जाएंगे। काफी कार्यकर्ता छुट्टी लेकर चुनाव में प्रचार करने के हेतु भारत जाने का भी मन बना रहे हैं। चुनाव को लेकरए कभी भी प्रवासी भारतियों में इतना उत्साह अनुभव नहीं हुआ था।

महाभ्रष्टाचारी कॉन्ग्रेस

और महाभ्रष्टाचारी कॉन्ग्रेस से सभी उकता करए congress1कपाल पर हथेली मार करए निराशा व्यक्त कर रहे थे। भारत के प्रेम से ओतप्रोत ये सारे स्वयंसेवक अपने अपने क्षेत्रों में विशेषज्ञ थे। भारत से बाहर बसने के उपरांतए भारत इनके हृदय में बसा हुआ हैए दिन रात भारत के सपने ये देखते रहते हैंए यह पद पद पर प्रतीत होता था।बातचित से पता चलता थाए किए रूपए के घटते और डालर के बढते मूल्य से भी यह समूह निराश थाए मुझे लगता हैए किए इसी निकष पर प्रत्येक प्रवासी भारतीय की देश.भक्ति को परखा जा सकता है।

उष्मा भरा पारिवारिक भाव

देखते-देखते पचास साठ हजार डालरों का चंदा इकठ्ठा हो गया।

सारा ढाई दिनका स्वादिष्ट मिष्टान्न युक्त भोजन और 3 सितारा होटल में प्रबंधए इत्यादि अत्यंत नगण्य शुल्क में सम्पन्न किया गया था। भारतीय होटल मालिक नेंए अत्यल्प शुल्क में सारा प्रबंध उपलब्ध किया था। और उष्मा भरा पारिवारिक भाव भी हर कोई को प्रतीत हो रहा था। सारे अभ्यागत उत्साहित थे।

लेखक का गुजराती कविता संग्रह प्रत्येक प्रदाता को भेंट किया गया था। संग्रह का मुद्रण भीण् विशेष चिकने रंगीन पृष्ठों वाला है। चित्रमय रंगीन पृष्ठोंवालीए बडे आकार कीए यह पुस्तक भारत में पूरी बिक चुकी है। अमरिका में कॉफी टेबलों पर रखी जाती है। लेखक नेए एक छोटी हिंदी की कविता भी अंत में सुनाई थी। निम्न जानकारी आप अपने मित्रों को भी भेजकर इस अभियान में योगदान देंने का प्रेमभरा अनुरोध करता हूँ।

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