अल्लाह और रसूल की विकृत वासना !

जैसे आज भी मुल्ले मौलवी दूसरे धर्म की आस्था और मान्यताओं को , कुफ्र और शिर्क बताते रहते हैं . और दुसरे धर्म के लोगों को नीचा दिखा कर उनका दिल दुखने का कोई न कोई मुद्दा निकालते रहते हैं . और मुहम्मद साहब ने यही किया था .
यह तो सब जानते हैं कि कुरान में नबियों की जितनी कथाएं मौजूद है ,लगभग सभी बाइबिल यानि तौरैत और इंजील से ली गयी है . यद्यपि उनमें घटनाक्रम और पात्रों के नामों में अंतर है .और यही अंतर ईसा मसीह की माता मरियम की कथा और ईसा मसीह के जन्म की कथा में है .जो ईसाइयों और मुसलमानों के बीच की दुश्मनी का कारण है ,
चूँकि ईसाई मरियम का एक ऐसी पवित्र स्त्री मानते हैं , जिसने कुंवारी होने पर भी ईसा मसीह को जन्म दिया था ,जैसा कि बाइबिल में कहा गया है ,
1 -कुँवारी मरियम
“यीशु की माता मरियम की मंगनी यूसुफ़ से हो चुकी थी ,लेकिन उनके मिलन से पहले ही मरियम पवित्र आत्मा से गर्भवती हो गयी थी ,बाइबिल -नया नियम .किताब मत्ती .अध्याय 1 आयत 18 और 19
” यूसुफ को प्रभु के दूत ने सपने में कहा कि ,मरियम का जो गर्भ है ,वह पवित्रात्मा से है .और वह पुत्र को जन्म देगी ,और तू उसका नाम ” यीशु ” रखना .,बाइबिल -नया नियम .किताब मत्ती .अध्याय 1 आयत 22
2-योनि में अल्लाह की आत्मा
चूँकि ईसाई मरियम की आराधना करते हैं , तो उनको अपमानित करने के लिए कुरान में यह आयत डाल दी गयी .और अल्लाह की आत्मा को मरियम की योनि में घुसा दिया , कुरान में लिखा है ,
“और इमरान की बेटी मरियम , जिसने अपने कौमार्य की रक्षा की थी ,हमने उसकी योनि में अपनी आत्मा फूंक दी ” सूरा -अत तहरीम 66 :12
इस आयत में अरबी शब्द ” फुर्जहा- فرج ها ” आया है .जिसका अर्थ उसकी योनि ( her vagina ) होता है .इस आयत से यह प्रश्न उठते हैं , कि एक तो अल्लाह की आत्मा कैसे हो सकती है .फिर योनि जैसी अशुद्ध जगह में अल्लाह की आत्मा क्यों ,और कसे फूँकी गयी होगी .क्या अल्लाह ने योनि में मुंह लगा कर आत्मा फूंकी थी ?इस से गन्दी बात और क्या हो सकती है .
जिस तरह मरियम के बारे में अल्लाह के विकृत वासनात्मक विचार थे .उसी तरह मुहम्मद साहब भी सभी पवित्र स्त्रियों को अपनी पत्नी बनाना चाहते थे . यद्यपि उनकी अनेकों पत्नियां और रखेलें थी .तब भी उनकी वासना इतनी प्रबल थी कि वह मरनेके बाद भी जन्नत में ईसा मसीह की माता मरियम को अपनी पत्नी बनाना चाहते थे ,इसका मुख्य कारण उनकी छोटी पत्नी का ईर्ष्यालु स्वभाव था , जैसा कि इस हदीस में कहा गया है,
3-ईर्ष्यालु आयशा
“आयशा ने कहा कि रसूल अक्सर मेरे सामने ही अपनी मृतक पत्नी खदीजा की तारीफ किया करते थे .और कहते थे कि जन्नत में ऐसे महल मिलेगे जिनके खम्भे सोने के होंगे . और उनको कीमती रत्न और मोती भी प्रदान किये जायेंगे . ऐसी बातें सुन सुन कर मुझे बड़ी ईर्ष्या होती थी .और इस विषय पर रसूल से मेरा विवाद होता रहता था . और रसूल नाराज होकर तलाक देने की बात किया करते थे ”
सही बुखारी -जिल्द7 किताब 62 हदीस 156
अपनी पत्नी को तलाक की धमकी देने के साथ मुहम्मद साहब यह भी कहते थे ,कि यदि मैं तुम्हें तलाक दे दूंगा तो अल्लाह मुझे तुम से अच्छी पत्नियाँ दे देगा .यह अल्लाह का वादा है
4-पत्नियों का दाता अल्लाह
“उसके रब को क्या देर लगेगी ,यदि वह तुम्हें तलाक दिलवा दे ,और वह तुम्हारे बदल्रे तुमसे अच्छी पत्नियाँ प्रदान करा दे .जो मुस्लिम ईमान वाली ,भक्ति विनय भाव रखने वाली और चरित्रवान हों .इबादत करने वाली विधवा और कुँवारी ”
सूरा -अत तहरीम 66 :5
और कुरान की सूरा संख्या 66 अत तहरीम की आयत 5 की तफ़सीर ( व्याख्या ) और प्रष्ठभूमि का विस्तार पूर्वक विवरण देते हुए इस्लाम के ,मुफस्सिर , और मुहद्दिसों जो कुछ लिखा है वह मुहम्मद साहब की विकृत वासना को प्रकट करने के लिए पर्याप्त है .
5-इब्ने कसीर का बयान
इब्ने कसीर का पूरा नाम ” इस्माइल इब्ने कसीर था .लोग सिर्फ “इब्ने कसीर -ابن كثير‎)‎ ” ही कहते हैं . इसका काल 1301 से 1373 तक था .इब्ने कसीर विख्यात मुहद्दिस (हदीसों का संकलन कर्ता ” मुफस्सिर ( कुरान की व्याख्या करने वाला ) और इतिहासकार था .इसने सभी नबियों का प्रमाणिक इतिहास लिखा है . इस किताब का नाम ” कससुल अम्बिया -(قصص الأنبياء ” है. इसका मतलब नबियों की कथा ( Stories of the Prophets ) है. यह किताब मिस्र की राजधानी कैरो में “दारुल क़ुतुब ” द्वारा सन 1968 में प्रकाशित हुई थी .इसी किताब में मुहम्मद साहब के बारे में जानकारी देते हुए उनकी यह हदीस भी दी गयी है , जिसमे उन्होंने कहा है ,
“अल्लाह जन्नत में मेरी शादी ,इमरान की बेटी मरियम ,और फ़िरौन पत्नी ,और मूसा की बहिन से करवा देगा ”
“‘الله تزوجتني في الجنة مريم بنت عمران وامرأة فرعون وأخت موسى ”
‘God MARRIED ME IN PARADISE TO MARY THE DAUGHTER OF ‘IMRAN and to the wife of Pharaoh and the sister of Moses”
The “Qasas Al-Anbiya. p. 381
6-सुयूती की तफ़सीर
“जलालुद्दीन सुयूत- : جلال الدين السيوطي‎ ” का जन्म मिस्र (Egypt ) में हुआ था .इनका समय . 1445–1505 AD माना जाता है .इन्होने कुरान की व्याख्या और इतिहास के बारे एक किताब लिखी है ,जिसका नाम “अल इतकान फी उलूमुल कुरान – االتقان في علومالقران ” है .इस किताब में सुयूती ने कुरान की सूरा 66 -अत तहरीमकी आयत 5 की व्याख्या करते हुए कहा कि रसूल ने एकबार अपनी औरतों को संबोधित करते हुए कहा था.
“जन्नत में ईसा मसीह की माता भी मेरी पत्नियों में शामिल होगी .
“في الجنة مريم والدة عيسى، وسوف تكون واحدة من زوجاتي”
“In heaven, Mary mother of Jesus, will be one of my wives.”
Al-Itqan fi Ulum al-Qur’an
االتقان في علومالقران ” 6/395
7-तबरानी की तफ़सीर
तबरानी का पूरा नाम “अबुल कासिम अल तबरानी – – أبو القاسم الطبراني ” है .इसका जन्म हिजरी 260 यानी ईस्वी सन 873 में हुआ था , और मृत्यु हिजरी 360 तदनुसार इसवी सन 970 में हुई थी .इसने जगह जगह जाकर मुहम्मद साहब की अनेकों हदीसें इकट्ठी की थीं .और उनकी एक किताब बनायीं थी .जिसका नाम “अल मुअजम अल कबीर -المعجم الكبير ” है .इसमें मुहम्मद साहब कही गयी ऐसी दुर्लभ और प्रमाणिक हदीसें मौजूद है ,जो हदीसों की दूसरी किताबों में नहीं मिलती .इसी किताब में कुरान की सूरा तहरीम 66 :5 का हवाला देते हुए तबरानी ने अपनी किताब के अंत में में मुहम्मद साहब की कही गयी दो हदीसें दी हैं , जो इस प्रकार हैं
हदीस -1
“अब्दुल्लाह बिन नाजिया ने कहा कि मुहम्मद बिन साद अल ऑफी ने हमारे चाचा हुसैन बताया था ,कि रसूल ने कहा था ,निश्चय ही अल्लाह जन्नत में मेरी शादी मरियम बिन्त इमरान ,फ़िरौन पत्नी ,और मूसा की बहिन से करवा देगा .
” وقال “رسول الله، صلى الله نبعث بالتحية والسلام عليه وسلم،« بالتأكيد إن الله الزواج مني لمريم بنت عمران، وامرأة فرعون، وكذلك أخت موسى في الجنة. »”
‘Abdullah bin Nâjiyyah narrated to us: Muhammad bin Sa’d al-‘Awfî narrated to us: Ubay narrated to us: my uncle al-Husain informed us: Yūnus bin Nafî’ narrated to us from Sa’d bin Junâdah-he is al-‘Awfî?[who] said, “Allah’s messenger, may Allah send salutations and peace upon him, said, «Surely Allah will marry me to Mary bint ‘Imrân, the wife of Pharaoh, as well as the sister of Moses in Paradise.»”
at-Tabarânî said,we mentioned it at the end of the chapter of
at-Tahrîm [ch. 66].
हदीस -2
“अबू बकर बिन सदका से मुहमद बिन मुहम्मद बिन मरजूक से अब्दुल्लाह बिन उमय्या ने कहा कि साहिल बिन हय्यान ने कहा कि मेरेपिता ने बताया था ,कि कुरान की सूरा नज्म 66 :5 के सन्दर्भ में रसूल ने कहा था ,कि अल्लाह ने वादा किया है ,कि वह जन्नत में मेरी शादी फिरौन विधवा ,और इमरान की कुँवारी बेटी मरियम से अवश्य करवा देगा ”
“أبو بكر بن صدقة روى لنا: محمد بن محمد بن مرزوق وروى لنا: عبد الله بن أمية روى لنا: “عبد القدوس روى لنا من صالح بن حيان، عن ابن بريدة، عن أبيه: [المتعلقة]« الأرامل والعذارى »(66:5)، [الذي] قال:” في هذه الآية، وعد الله رسوله، صلى الله نبعث بالتحية والسلام عليه وسلم، انه سوف تتزوجه إلى أرملة: الأسياح، زوجة فرعون، ومع العذارى: مريم بنت عمران ”
Abū Bakr bin Sadaqah narrated to us: Muhammad bin Muhammad bin Marzūq narrated to us: ‘Abdullah bin Umayyah narrated to us: ‘Abdul-Quddūs narrated to us from Sâlih bin Hayyân, from Ibn Buraidah, from his father: [concerning] «widows and virgins» (66:5), [who] said, “In this verse, Allah promised His prophet, may Allah send salutations and peace upon him, that He would marry him to the widow: آsiyah, wife of Pharaoh, and with the virgins: Mary bint ‘Imrân.”
at-Tabarânî -at the end of the chapter of at-Tahrîm [ch. 66
8-नामों का विवरण
इन सभी तफ़सीरों , और हदीसों में मुहम्मद साहब जिन औरतों को अपनी पत्नी बनाना चाहते थे , या अल्लाह उनको जो औरतें देना चाहता था ,उनके नाम पिता के नामों के साथ दिए जा रहे हैं .जो बाइबिल और कुरान में दिए गए हैं .इनमे ईसा मसीह की माता मरियम का नाम भी है .
मरियम के पिता का नाम “योहैकीम-Joachim ” था .जिसे हिब्रू में “योहिकीम -יְהוֹיָקִים ” और ग्रीक भाषा में “इयोअकिम – Ἰωακείμ ” कहा गया है . लेकिन कुरान में इसका नाम “इमरान – عمران ” बताया गया है .According to the Quran, Mary’s father is called Imran:Sura- 3:35-36
बाइबिल और कुरान में वर्णित मिस्र के राजा “फ़िरौन – ” की पत्नी का नाम “आसिया – آسية ” था . और पूरा नाम “आसिया बिन्त मुजाहिम ‘ था .
इसी तरह अल्लाह ने नबी मूसा ( Moses ) की बहिन का नाम भी मरियम था . जिसे हिब्रू में” मिरियाम – : מִרְיָם,” और अरबी में” मरियम -مريم ” कहा गया है .
हमें गंभीरता से विचार करना होगा कि जो अल्लाह मरियम की योनि में अपनी आत्मा फूंकता है , और जिस रसूल की मरने वाद भी पत्नियों के लिए ऐसी अदम्य वासना बनी रही कि अल्लाह के रसूल ईसा मसीह की माता को भी अपनी पत्नी बनाने की इच्छा रखता हो और जो उसे दुनियां के लिए आदर्श बताते हैं ,वह लोग कैसे होंगे .?
और यही कारण है कि ईसाई इस्लाम और मुहम्मद का विरोध करते हैं .जो सर्वथा उचित ही है .
क्या आप भी ऐसी निंदनीय बातों को स्वीकार कर सकेंगे ,जिनका उद्देश्य दुसरे धर्म को अपमानित करना हो .सोचिये जब मुहम्मद के यहूदी और ईसाई धर्म की पूज्यनीय महिलाओं के बारे में इतने गंदे विचार थे की उनको अपनी पत्नियां बनाने की इच्छा रखता था ,अगर मुहम्मद को हिन्दू ग्रंथों का ज्ञान होता तो वह सीता और राधा को भी जन्नत में अपनी पत्नी बता देता
(200/122)

बृजनंदन शर्मा

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