*मदिरापान से जुड़ी भ्रांतियां और उनका समाधान*।🥃🍷🍾

लेखक आर्य सागर खारी 🖋️।

मिथक (1) शराब के सेवन से अच्छी नींद आती है।

समाधान दुनिया भर के तंत्रिका विज्ञानियों के अनुसार शराब से जो नींद आती है वह असली नींद ना होकर एक कृत्रिम नींद होती है नींद का आभास मात्र होती है जैसे ही शराब का नशा टूटता है व्यक्ति बेचैन होता है करवटें बदलता हैं रातभर। इतना ही नहीं उच्च क्वालिटी की निद्रा जिसे’ रैपिड आइ मुवमेंट स्लीप साइकिल’ बोला जाता है, उसका चक्र भी शराब के सेवन से दुष्प्रभावित होता है , नतीजा व्यक्ति धीरे-धीरे गंभीर अनिद्रा का रोगी बनता है।

मिथक( 2) शराब पीने से दिमाग सक्रिय होता है ।

समाधान चिकित्सकों के अनुसार शराब पीने से दिमाग सक्रिय नहीं होता अपितु धीरे-धीरे दिमाग की सक्रियता कम हो जाती है, दिमाग का आकार सिकुड़ने लगता है। ब्रेन के श्रिंक होने पर व्यक्ति के सोचने ,समझने ,स्मरण करने ,तर्क करने की क्षमता खत्म होती है अर्थात शराब से बुद्धि नष्ट भ्रष्ट होती है। दूसरे शब्दों में कहे तो शराब अंदर ,अक्ल बाहर।

मिथक( 3) शराब पीने से पाचन क्रिया उत्तम होती है।

समाधान शराब पीने से पाचन क्रिया उत्तम नहीं होती पाचन संस्थान का सत्यानाश होता है। आमाशय की परत डैमेज होती है ।हाइपर एसिडिटी स्टमक का अल्सर बनता है। पेनक्रियाज में क्रोनिक सूजन आती है जिसे डायबिटीज होती है ।आंतें भी क्षतिग्रस्त होती है ।लिवर फेटी होकर डैमेज होता है। गैस्ट्रिक प्रोबलम आम हो जाती है शराब का सर्वाधिक दुष्प्रभाव पाचन संस्थान पर ही पड़ता है विटामिन बी12 ,आयरन जैसे पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।

मिथक( 4) शराब पीने से पेशाब खुलकर आता है, पथरी आदि की समस्या नहीं होती।

समाधान यूरोलॉजिस्ट बताते हैं इसमें कोई शक नहीं है शराब से पेशाब खुलकर आता है लेकिन वह यह भी बताते हैं पेशाब का खुलकर आना प्राकृतिक नहीं है शराब मस्तिष्क की क्रिया प्रणाली को बाधित करती है। शरीर में मूत्र के निर्माण व उसके उत्सर्जन को नियंत्रित करने वाला एंटी डायरुटिक हार्मोन अर्थात Adh हार्मोन मस्तिष्क बनाता है ।शराब के मस्तिष्क पर दुष्प्रभाव के कारण यह हार्मोन कम बनता है इसका प्रोडक्शन बाधित होता है।ऐसे में मूत्र संस्थान अति सक्रिय हो जाता है जिसके कारण पेशाब अधिक आता है शराब के सेवन करने पर। नतीजा शरीर मैं डिहाईड्रेशन उत्पन्न हो जाता है जिसका खतरनाक दुष्प्रभाव किडनी व अन्य अंगों पर पड़ता है।

मिथक (5)शराब के एक दो पैक लेने में कुछ नुकसान नहीं हैं डॉक्टर भी लाइट अल्कोहल ड्रिंकिंग को सुरक्षित मानते हुए शराब पीने का परामर्श देते हैं।

समाधान दुनिया का कोई सर्टिफाइड चिकित्सक या वैद्य अपने मरीज को शराब पीने का सुझाव नहीं देता। यदि ऐसा कोई डाक्टर सुझाव देता है तो वह मेडिकल एथिक्स के विरुद्ध कार्य करता है।

मिथक( 6) कुछ डॉक्टर भी शराब पीते हैं।

समाधान जरूर पीते होंगे आखिर डॉक्टर हैं दिव्य पुरुष थोड़े ही ना है ।अल्कोहल के एडिक्शन की चपेट में कोई भी आ सकता है। कुछ डॉक्टरों के शराब पीने से शराब लाभदायक औषधि नहीं बन जाएगी।

समाज में प्रचलित अल्कोहल से जुड़े ऐसे बहुत से मिथक है जिन पर कभी अन्य लेखो में प्रकाश डाला जाएगा। आवश्यकता पड़ी तो लघु पुस्तिका भी प्रकाशित करके निशुल्क जन सामान्य में वितरित की जाएगी।

उपसंहार मदिरापान व्यक्तिगत व सामाजिक जीवन का एक भयंकर दुर्व्यसन है। वैवाहिक आशीर्वाद समारोह व अन्य मांगलिक अवसरों पर सोशल ड्रिंक के नाम पर इसको सामाजिक स्वीकृति मिलना पारिवारिक, सामाजिक व राष्ट्रीय जीवन के विरुद्ध एक गंभीर खतरा है। साथ ही शराब के संबंध में प्रचलित मिथक शराब खोरी को बढ़ावा देते हैं । नई पीढ़ी के शराबी तैयार होते हैं।
ऐसे मिथको का चिकित्सीय समाधान होना अति आवश्यक है। शराब निर्माता कंपनी व सरकारे इन मिथक भ्रांतियों का उन्मूलन नहीं करेंगी आखिर उनका आर्थिक हित निहित है लेकिन जिम्मेदार जागरूक नशे की आदत से मुक्त नागरिकों को नशाखोरी के विरुद्ध अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए। “शराब को ना, जीवन को हां” यही मूल मंत्र होना चाहिए। मद्यपान आदि व्यसनों से ग्रस्त व्यक्ति अनेक बार इस धरा पर तिल तिल मरता है ।इस लेख में वर्णित चिकित्सीय जानकारी यूट्यूब आदि प्लेटफार्म पर अपलोड बहुत से विख्यात परोपकारी चिकित्सकों के वीडियो कंटेंट से साभार ली गई है।

मदिरापान नशा आदि बुराइयों से मुक्त जीवन जीने के लिए एक बार महर्षि दयानंद विरचित अमर ग्रन्थ ‘सत्यार्थ प्रकाश’ ग्रंथ जरूर पढ़ें!

लेखक आर्य सागर खारी।
लेखक सामाजिक व सूचना का अधिकार कार्य कर्ता है।
आर्य समाज का एक स्वयंसेवक है।

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