आर्य समाज का रहा था भारत की स्वाधीनता में विशेष योगदान : चंद्रमणि सिंह

आर्य महासम्मेलन में भारत से पहुंचे डॉ. चंद्रमणि सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत ने सैकड़ो सालों की गुलामी को भोगा। पर जब आर्य समाज जैसी संस्था की स्थापना स्वामी दयानंद जी महाराज के द्वारा हुई तो अनेक क्रांतिकारियों के पुरुषार्थ और पराक्रम के चलते अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा। उन्होंने कहा कि अनेक क्रांतिकारी आर्य समाज की क्रांतिकारी विचारधारा के साथ जुड़े और उन्होंने आर्य समाज से प्रेरणा लेकर अंग्रेजों को भगाने का काम किया। श्री सिंह ने कहा कि जब कोई देश आलस्य को त्याग कर पुरुषार्थ करने की राह पर बढ़ता है तो वह प्रत्येक प्रकार के शोषण अन्याय अत्याचार को समाप्त कर ही डालता है और भारत इसका श्रेष्ठतम उदाहरण है । उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को भारत के महान क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानियों और स्वामी दयानंद जी महाराज के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए.

एक दुखद घटना

यह एक दुखद संयोग ही था कि जिन चंद्रमणि सिंह ने आर्य महासम्मेलन में अपने क्रांतिकारी विचारों से लोगों का आवाहन और मार्गदर्शन किया , वे पहले दिन के कार्यक्रम को संपन्न करने के पश्चात रात्रि में सोते ही रह गए और इस असार संसार को छोड़कर चले गए। आर्य नेता डॉ. उदय नारायण गंगू जी के आवास पर टिके डॉ. चंद्रमणि सिंह को यहां के शव को यहां से सम्मानपूर्वक भारत भेजने की व्यवस्था की गई । जिसमें डॉ. गंगू जी, उनके परिवार और आर्य महासभा मॉरीशस के साथ-साथ मॉरीशस सरकार का भी विशेष और प्रशंसनीय सहयोग रहा। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए डॉ. गंगू जी की सुपुत्री माधुरी रामधारी के आवास पर यज्ञ का आयोजन किया गया। जिसमें भारत से आए डॉ. राकेश कुमार आर्य ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि डॉ. चंद्रमणि सिंह शांत स्वभाव के गंभीर व्यक्तित्व के धनी थे। जिन्होंने जीवन में निरंतर प्रगति की और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अनुकरणीय व्यक्तित्व के रूप में उदाहरण प्रस्तुत कर संसार से चले गए । उनका यहां देहांत होना सचमुच दुखद रहा, परंतु रामधारी परिवार के लोगों सहित यहां की आर्य महासभा और सरकार ने जिस प्रकार मानवतावादी दृष्टिकोण अपना कर सहयोग प्रदान किया उससे हम भारत के लोग अभिभूत है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की । इस अवसर पर सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ मृदुल कीर्ति ने शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि श्री चंद्रमणि सिंह ने जिस प्रकार अपने वक्तव्य से लोगों का मार्गदर्शन किया वह अब तक उनके चित्त पर अंकित है। उन्होंने अपनी गंभीर छाप छोड़ी और अपने व्यक्तित्व कृतित्व से यह सिद्ध करने का सफल प्रयास किया कि व्यक्ति धैर्य और गंभीरता से प्रत्येक स्थिति को पार कर सकता है। उन्होंने कहा कि इस दुखद घटना में हम रामधारी परिवार के सहयोग और धैर्य की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हैं। शोक संवेदना व्यक्त करने वालों में श्री संतोष चौबे, श्री अरविंद चतुर्वेदी, डॉ. करनावत, आचार्य जितेंद्र पुरुषार्थी आदि लोग सम्मिलित रहे।

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