14सितंबर हिंदी दिवस पर विशेष आलेख। शीर्षक ,,हिंदी हिंदु हिंदुस्तान और हम। ,,

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लेखक , भीखम गांधी भक्त कवि
9425564831,8817864831
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हिन्द में हिंदी है हमारी शान
हिन्द में हिंदी है हमारी मान
हिंदी के लिए में मिटेंगे क्योंकि
हिंदी है हम सब की पहचान

                                 भक्त


     हिंदी दिवस पर जोकि 14 सितंबर के दिन पड़ता है l इस दिन संपूर्ण भारत में हिंदी भाषा को जो कि भारत की  राजभाषा है l 

उसे उसके राजभाषा रूप में ही मनाया जाता है l
यह विडंबना ही कहेंगे हम की अभी तक यह राजभाषा ही है संपूर्ण हिंदुस्तान की राष्ट्रभाषा नहीं बन पाई है l
राजभाषा का तात्पर्य यह है कि हमारे सरकारी कामकाज की राजनीतिक कामकाज की भाषा हिंदी है l क्योंकि अभी तक उसको हमारे संविधान में राष्ट्रभाषा का दर्जा किन्ही कारणों से नहीं मिल पाया है फिर भी हिंदी भाषी लोग हिंदी से प्रेम करने वाले हिंदी के प्रेमी जन अभी भी या चाह रहे हैं । कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा बन जाए लेकिन भारत विविध भाषाओं का देश रहा है और है । और अनेकता में एकता ही भारत की विशेषता रही है ।यही हमारी विशेषता है इसलिए संपूर्ण भारत में सभी भाषाओं को उतना ही सम्मान मिलता है ।अपने अपने राज्यकी भाषा के हिसाब से हिंदी हमारी भाषा एक इतनी मीठी और इतनी प्यारी भाषा है कि इस भाषा का हम जीतना ही गुणगान करे सम्मान करें वह कम है ।अपनी कोई किसी भी बातों को किसी भी ढंग से हम हिंदी में कितनी आसानी से कह जाते हैं इतनी सारी विशेषताएं हैं कि हिंदी भाषा का बखान करना असंभव है ।फिर भी कम ही लोग जिसमे साहित्यकार लोग कलमकार लोग हिंदी भाषा को इतने सहज और सर्वमान्य रूप से कहते हैं कि हम यह भी लगता है कि इस भाषा में हिंदी हमारे कण-कण में रोम रोम में समाई है क्योंकि कवि व लेखक कभी-कभी मजाक में भी कहते हैं कि अंग्रेजी हम दिमाग से बोलते हैं लेकिन हिंदी को दिल से बोलते हैं और वही बोली भाषा आपके दिल तक जाती हैl

              क्योंकि हिंदी अपने आप में एक संपूर्ण रूप लिए हुए आज हिंदुस्तान में अपनी  पहचान बनाए हुए हैं । चुकी हिंदी हमारी राजभाषा के तहत संपूर्ण राजकीय कार्य हिंदी में ही होता है लेकिन हम देखें कि उत्तर भारत के राज्यों में मध्य भारत के राज्यों में हिंदी ही बोलचाल की भाषा है हिंदी भाषा में थोड़ा सा अलग अलग क्षेत्र की सबसे अलग अलग परिवर्तन आता है और बोलने में अलग पुट आता है मध्यप्रदेश में मालवा क्षेत्र में थोड़ी सी मालवा की मिलावट हो जाती है लेकिन वह भाषा में हिंदी के साथ छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी तो बोलते ही हैं छत्तीसगढ़ी भाषा का भी एक अलग ही मजा है इसी तरह महाराष्ट्र में महाराष्ट्रीयन तो बोलते हैं साथ में हिंदी को महाराष्ट्रीयन पुट में लेकर बोलते हैं वह भाषा अपने आप में बेहतरीन भाषा बन जाती है क्योंकि अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग प्रदेश में अलग-अलग प्रांत  के हिसाब से अपनी भाषा को तो बोलते ही है साथ ही साथ हिंदी का भी प्रयोग करते हैं फिर भी हम देखेंगे कि दक्षिण भारत के राज्यों में हिंदी का पुरजोर विरोध किया जाता है लेकिन हिंदी जो भारत के माथे की बिंदी है । उससे हम देखें कि उस बिंदी को हिंदी भाषा से सजाकर हमने रखा है और उस हिंदी भाषा का महत्व संपूर्ण विश्व मान रहा है । 

हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई विदेश गए थे उन्होंने अपना भाषण संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में ही दिया था और अधिक के वर्तमान प्रधानमंत्री आदरणीय महान नायक यशस्वी श्री नरेंद्र जी मोदी अपनी विदेश की यात्रा में अधिकतम हिंदी भाषा का ही प्रयोग करते हैं और इतने सहज ढंग से की बातों को कहते हैं जो कि दूसरी भाषाओं में कहना उनकी होता है उनकी बात को सुनो और उनके भाषणों को सुनें हिंदी में उनकी पकड़ है और जो अपनी बातों को रखते हैं उसके तहत हम देखें हमें यह ज्ञात होगा कि हिंदी अपनी बात को रखना देश के प्रधानमंत्री के लिए और संपूर्ण हम देशवासियों के लिए भी एक गर्व की बात है क्योंकि 14 सितंबर को हिंदी दिवस है और जीस दिन संपूर्ण भारत में14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाएगा इस दिन हम हिंदी को सही सम्मान दिला पाएंगे
आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के बाद भी हम हिंदी को सही सम्मान नही पाए अब तक
लेकिन अब लगता हैं दिला पाएंगे हम और दिलाएंगे भिक्योकी यह हिंदी का अधिकार है ।
जिससे कि हिंदी संपूर्ण विश्व में अपनी एक अलग पहचान बनाए लेकिन सबसे पहले हमें अपने देश में ही उसे सम्मान देना पड़ेगा दक्षिण भारत के राज्यों में ठीक है उनकी भाषा बहुत अच्छी है बहुत शुघड़ है ।
उनको भी सम्मान देंगे लेकिन हिंदी समस्त भाषाओं की एक राजभाषा है और एक संपूर्ण भारत को जोड़ने वाली भाषा है हम भारतवासियों का यह प्रयास होना चाहिए कि हिंदी को वह सम्मान अपनी लेखनी के माध्यम से अपनी कविता के माध्यम से अपने कहानी के माध्यम से हम कलमकार लोग तो दे ही रहे हैं लेकिन सरकार के लिए जिम्मेदारी है संस्था देश के नागरिकों की भी जिम्मेदारी है कि हिंदी के लिए एक फिर से नई मुहिम चलाएं और सभी से दक्षिण भारत के राज्य व अन्य जो इनका विरोध करते हैं उनसे प्रेम भाव से संपर्क करके उनकी भाषाओं का भी सम्मान करते हुए हम हिंदी को पुनः एक बार राष्ट्रभाषा बनाएं यही ना चीज कलमकार भीखम गांधी भक्त समस्त देशवासियों सेआग्रह करता हैll

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हिन्द के माथे की बिंदी है हिन्दी,,,
हिंद की राज भाषा हैं मेरी हिन्दी,,,
हिंदी मेरी शान है,,.
हिंदी मेरी जान है,,,

जय हिन्दी,,
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जय भारत
जय हिंद ,,
रचनाकर ,,भीखम गांधी भक्त

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