जिहाद का असली उद्देश्य

  • बड़े ही दुःख और आश्चर्य की बात है कि सत्ता के लोभ में अंधे होकर यह सेकुलर वर्णसंकर दोगले इस कटु सत्य को नकार देते हैं कि यदि इस्लाम का अर्थ शांति होता सभी मुस्लिम देश शांति से रह रहे होते , और अगर जिहाद का उद्देश्य लोगों को अन्याय और अत्याचार से मुक्त करके उनका विकास करना होता तो मुस्लिम देश इतने पिछड़े और गरीब नहीं होते , इन मुसलमानों से तो वह वैज्ञानिक लाख गुना अच्छेहैं जिन्हें मुसलमान काफिर बताते हैं , फिर भी वैज्ञानिक बिना धार्मिक भेदभाव के रोज ऐसे अविष्कार करते रहते हैं ,जो सबके लिए उपयोगी होते हैं , वास्तव में जिहाद का उद्देश्य सभी धर्मों को नष्ट करना है , जैसाकि कुरान में दिया गया है ,

“वही है ,जिसने रसूल को हिदायत देकर भेजा कि वह सभी धर्मों के ऊपर प्रभुत्व प्राप्त करे , चाहे लोग इसे नापसंद ही क्यों न करें ”

(to prevail supiriority over all religions )
सूरा – तौबा 9 :33

नोट – बिलकुल यही बात सूरा -अस सफ्फ 61 :9 में भी दी गयी है ..इन दौनों आयतों में अरबी शब्द ” ज ह र- ظهر ” प्रयुक्त किया गया है , जिसका अंगरेजी में अर्थ triumph” or “victorious” or “prevail.”होता है . अर्थात सभी धर्मों को मिटाने और सिर्फ इस्लाम को सबसे ऊपर स्थापित करनेके लिए बना है .

2-जिहाद के लिए प्रेरणा और प्रलोभन
मुहम्मद साहब जैसा चतुर व्यक्ति कोई नहीं हो सकता वह लोगों की कमजोरियों से फायदा उठाना खूब जानते थे . उनको पता था कि अरब अय्याश , औरतों के शौकीन और लूटमार किया करते थे . और अगर उनको इन्ही बातों का लालच दिया जाए तो यह लोग जिहाद के लिए तुरंत तैयार हो जायेंगे . इसलिए मुहम्मद साहब ने पहले औरतों का लालच दिया , जो इस आयत में दिया है ,

” और अल्लाह तुम्हारे अगले और पिछले सभी गुनाह माफ़ कर देगा , और अपनी सारी नेमतें तुम्हारे ऊपर ही ख़त्म कर देगा “
सूरा -अल फतह 48 :2

“और अगर तुम जिहाद करोगे तो अल्लाह तुम्हारे गुनाहों को माफ़ कर देगा , और तुम्हें ऐसे बागों में दाखिल कर देगा जहां नहरें बह रही हों , और बढ़िया घरों में सदा के लिए रहने देगा जहाँ बाग़ भी होंगे ” सूरा -अस सफ्फ 61 :12

और फिर उनको जिहाद के काम पर लगा दिया , और उन से कहा कि ,

” बेशक अल्लाह उन्हीं लोगों से प्रेम करता है जो उसके लिए पंक्ति बना कर इस तरह से लड़ते हैं , जैसे वह सीसा पिलायी हुई दीवार हों “( as if they were a solid structure )

सूरा -अस सफ्फ 61 :4
3-जिहाद फायदे का धंदा है
चूँकि अरब बेरोजगार थे इसलिए मुहम्मद साहब ने उनको जिहाद यानि लूटने मारने का धंदा सिखा दिया , और उसका नाम जिहाद रख दिया , और उनसे कहा कि ,

” हे ईमान वालो क्या तुम्हें एक ऐसा धंदा बताऊँ , जिस से तुम दुःख भरी जिंदगी की यातना से बच सको “सूरा -अस सफ्फ 61 :10
नोट – इस आयात में जिहाद को अरबी में ” तिजारत تجارةٌ – कहा गया है . इसका अर्थ व्यवसाय , व्यापार ( Trade ,Business ) होता है , इसी लिए जिहाद को मौत व्यापर कहें तो गलत नहीं होगा .

“और इसके लिए तुम अल्लाह और उसके रसूल पर विश्वास करो , और अपनी जान और माल की चिंता छोड़कर जिहाद करो . तुम्हारे लिए यही उत्तम मार्ग है , यदि तुम ज्ञान रखते हो ” सूरा – अस सफ्फ 61 : 11

4-जिहाद के धंदे के कायदे और फायदे
और ब मुहम्मद साहब ने जिहाद को एक धंदा या व्यवसाय बना दिया ,तो जिहादियों को उनका तरीका और उसके लाभ भी समझा दिए , जो इस प्रकार हैं ,
1.कत्ले आम मचा देना
” जो किताब वालों ( यहूदी और ईसाई ) की तरफ से तुम से लड़ रहे थे , अल्लाह ने उनको नीचा कर दिया , और उन पर ऐसा रौब डाला कि , तुम उन में से एक गिरोह को क़त्ल करने लगे और एक को बंधक बनाने लगे ” सूरा -अहजाब 33:26
नोट – इस आयत में अरबी में ” क़त्ल – قطل ” शब्द दिया है , जिसका अर्थ हत्या ( to kill ) होता है , यह बनू क़ुरैज़ा के हत्याकांड के बारे में है ,जिसमे मुहम्मद के नतृत्व में मुसलमानों ने यहूदियों का कत्ले आम किया था , और बचे हुए लोगों को गुलाम बना कर उनकी ज़मींन , सम्पति और घरों पर कब्ज़ा कर लिया था .
2-जमीन और मकानों पर कब्ज़ा करना

“और फिर अल्लाह ने उन लोगों की जमीन , माल और घरों का तुमको मालिक बना दिया . जिन पर तुमने पहले कभी पैर भी नहीं रखा था ” सूरा -अहजाब 33:27
3.औरतें पकड़ कर रखैल बनाना
” तुम्हारे लिए सभी विवाहित स्त्रियां हराम हैं , सिवाय उनके जो तुमने जिहाद में पकड़ी हों या तुम्हारे हाथों कब्जे में आ जाएँ
” सूरा – निसा 4:24
इस आयात का यह भी आशय है कि मुसलमान जिहाद किये बिना भी कुंवारी लड़की से साथ बलात्कार कर सकते हैं .
अक्सर ऐसा भी देखा गया है कि मुस्लमान दूसरे धर्म की लड़की को यातो मुस्लिम युवक के साथ शादी करने पर विवश कर देते हैं या उसे बेच कर वेश्यावृत्ति के लिए कोठे पर भेज देते हैं .

4.फिरौती वसूलना
“जब भी तुम्हारी काफिरों से मुठभेड़ हो तो , उनकी गर्दनें काट देना , यहाँ तक अगर कोई बच जाये तो उनको बंधन में जकड लेना , फिर उनसे फिरौती लेकर ही छोड़ना और ऊपर से उन पर यह अहसान बताना कि फिदया(Ransom) देना है कि हथियार डालना है ”
सूरा – मुहम्मद 47:4

5.जबरन धर्म परिवर्तन करवाना

“हे नबी जो कैदी तुम्हारे कब्जे में हैं , उन से कह दो यदि उनके दिलों में (इस्लाम में ) भलाई प्रतीत हो , तो अल्लाह उस से बढ़ चढ़ कर देगा ,जो तुम से लिया गया है ”
सूरा – अनफाल 8:70
नोट -यह आयत सन 624 में बद्र के युद्ध के समय की है , जब जिहादियों ने कैदियों के सामने इस्लाम कबूलने को कहा था , कि ऐसा करनेसे ही उनकी भलाई है .
6 -धन संपत्ति हड़प करना
” जब दो गिरोहों में से एक तुम्हारे हाथों में आ गया , और तुमने उन निहत्थों को कंगाल कर दिया ,क्योंकि अल्लाह चाहताथा कि उसका वचन सच हो जाए और काफिरों की जड़ कट कर रख दे ” सूरा – अनफाल 8:7

नोट – यह आयात भी उसी समय कि है , जब मुसलमानों ने दो में से एक काफिले को लूट कर उसे कंगाल कर दिया था .

” तुम्हें लूट से जो भी माले गनीमत मिले उसे हलाल और पवित्र समझ कर खा जाओ , बेशक अल्लाह बड़ा ही दयालु है ”
सूरा – अनफाल 8:69

7.विधर्मियों को बेघर करना
” जो काफिर थे उनको उनकी बस्तियों से निकाल दिया गया , तुम्हें तो इसका गुमान भी नहीं था कि वह निकलेंगे , और उनको भी गुमान नहीं था कि उनको उनकी बस्तियों से निकाल दिया जायेगा . लेकिन तुमने उन पर उस तरफ से हमला किया जिसे वह सुरक्षित समझते थे . फिर्तुमने उन पर ऐसा भय डाला तुम आसानी से उनके घर उजाड़ने लगे ” सूरा -हश्र 59:2

नोट -यह आयात उस घटना के बारे में है ,जब मुसलमानों ने बनू नदीर कबीले के यहूदियों को घरों से निकाल कर उनके घर लूट लिए थे .

5- विधर्मियों के लिए तीन विकल्प
“जो लोग न तो अल्लाह पर ईमान लाते हैं , और न अंतिम दिन पर , न रसूल की बात मानते हैं ,और न सच्चे धर्म (इस्लाम ) को मानते हैं , तो तुम उनसे तब तक लड़ते रहो ,जब तक वह विवश होकर जजिया देने लगें ”
सूरा -तौबा 9:29
नोट – इस आयात में गैर मुस्लिमों के लिए यह तीन विकल्प बताये गए हैं ,1 . मुसलमान जिहादियों के हाथों क़त्ल हो जाना 2 . इस्लाम कबूल करलेना , और 3 . जान बचाने के लिए जजिया देते रहना .

6-लूट में रसूल का हिस्सा
मुहम्मद साहब ने खुद को अल्लाह का सबसे प्रिय रसूल तो बता दिया लेकिन ,औरतों और रखैलों की फ़ौज खड़ी करदी ,और उस फ़ौज का पेट भरने का कोई इंतजाम नहीं किया , और न ही उनके अल्लाह ने जन्नत से रुपयों की बरसात कर दी , विवश होकर रसूल लूट के धन से गुजारा करने लगे , और अपने लिए हरेक लूट से 20 % अपने लिए निर्धारित कर लिया ,( यह जिहाद का नकद लाभ था )

“तुम लोगो ( जिहादियो ” याद रखो कि जो भी चीज लूट में माले गनीमत के रूप में तुम्हे मिले , उसका पांचवा भाग रसूल और उसके रिश्तेदारों को दिया करो ” सूरा -अनफाल 8:41
नोट – अरब लुटेरों में लूट के माल का पांचवा भाग अपने नातेदारों को देने की परंपरा थी . बाकी से वह अय्याशी करते थे .

7-जिहादी खरीदे हुए हत्यारे
जैसे दाउद इब्राहिम जैसे मुस्लिम गुंडे अपने विरोधियों की हत्या कराने के लिए पैसे देकर हत्यारे ( Supari Killer ) रखते हैं , वैसे ही यह परंपरा मुहम्मद साहब ने गुंडों के लिए पहुत पहले ही निकाल रखी थी . यह इस आयत से साबित होती है ,

“अल्लाह ने ईमान वालों ( जिहादियों ) के प्राण और माल खरीद लिए हैं , इसलिए वह अल्लाह के रास्ते पर चल कर लड़ते हैं . और लोगों को मारते भी हैं और कभी खुद भी मारे जाते हैं . क्योंकि इसके बदले में अल्लाह ने जन्नत का पक्का वादा किया है ”
सूरा -तौबा 9:111

8-मुहम्मद का जिहादी स्वभाव
मुसलमान दावा करते हैं कि उनके रसूल बड़े शांत , शरीफ और सच्चे थे , लेकिन इन हदीसों से सिद्ध हो जाता है कि वह क्रोधी , धोखेबाज ,और हमेशा लड़ाई पसंद व्यक्ति थे .
“अली इब्न अबी तालिब ने कहा कि एक यहूदी रसुल की निंदा किया करता था , जिस से रसूल को बुरा लगता था . इसलिए एक दिन रसूल के एक समर्थक ने उस यहूदी का गला घोंट दिया , जिस से वह मर गया। तब रसूल बोले इसकी हत्या का कोई मुआवजा नहीं दिया जाए ”
सुन्नन अबी दाउद -किताब 38 हदीस 4349

“अल बरा बिन अजीब ने बताया कि रसूल और कुछ लोगों ने मिल कर अबू रफ़ी अब्दुलाह बिन अतीक को रातके समय उस वक्त मार दिया था ,जब वह सो रहां था ”
सही बुखारी – जिल्द 5 किताब 59 हदीस 372

“अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने कहा जिनका उद्देश्य सिर्फ लड़ना है , और जो दूसरों को भी जिहाद की प्रेरणा देते है , यदि ऐसे लोग मर जायेगे तो अल्लाह ने उनको जन्नत में दाखिल कराने का वादा कर रखा है ”
सही बुखारी -जिल्द4 किताब 53 हदीस 392

(यही कारन है कि हरेक जिहादी का ऐसा ही व्यवहार और स्वभाव होता है )

अब इतने प्रमाण देखने के बाद भी यदि सेकुलर लोग वोटों के लिए इस्लाम के जिहादी खतरे को और बढ़ावा देरहे हैं ,तो जरुर उन की नस्ल में ही खराबी है , या इन लोगों को देश से कोई प्रेम नहीं है , या फिर जैसे राजिव की मौत की खबर सुनते ही सोनिया ने इटली भागने की तैयारी करली थी यह दोगले भी किसी देश में भाग जायेंगे , चूँकि यह हमारा देश है ,इसलिए हम इसी तरह जिहादी विचारों का भंडाफोड़ करते रहेंगे ,
जय भारत !
(200/172)

बृजनंदन शर्मा

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