मजहबी मानसिकता में अवैध शस्त्रों का बढ़ता प्रचलन समाज के लिए घातक

  • दिव्य अग्रवाल

ऐसा क्या कारण है की अवैध शस्त्रों का निर्माण हो या व्यापार, इसमें संलिप्त लोग ज्यादातर इस्लाम मजहब से सम्बन्ध रखते हैं । अभी जुलाई माह में गाजियाबाद में एक फैक्ट्री पकड़ी गयी थी जो पूर्णतः आधुनिक थी उसमें वी ऍम सी जैसी उच्च कोटि की मशीने थी जिनकी लागत लाखो रुपये से शुरू होकर करोडो तक भी पहुँच जाती है। आप अंदाजा लगाइए की इस्लामिक तंत्र कितना मजबूत है जो अत्याधुनिक मशीनों का उपयोग करके अवैध शस्त्र बनाने में भी सक्षम है । इन जैसे अवैध शस्त्रों का उपयोग कहाँ होता है और इसका दुष्परिणाम किस समाज को झेलना पड़ता है यह कश्मीर,बंगाल,केरल ,दिल्ली,आदि दंगो से सर्वविदित है । इन सबसे समझने वाली बात यह है जब कटटरवादियों की भीड़ अवैध हथियारों के साथ सभ्य समाज पर हमला करती है तो सभ्य समाज के पास अपनी सुरक्षा हेतु न तो कोई साधन होता है न ही वैध शस्त्रों का कोई प्रबंध । यही कारण है जिस क्षेत्र में भी इस्लामिक संख्या ज्यादा हो जाती है वहां सुरक्षा की दृष्टि से सुरक्षा साधनो के अभाव में सभ्य समाज को पलायन करना पड़ता है क्यूंकि एक तरफ मजहबी मानसिकता वाले लोगो के पास अवैध आधुनिक हथियारों का जखीरा होता है और दूसरी तरफ सभ्य समाज खाली हाथ अतः सरकार को सभ्य समाज की सुरक्षा हेतु नियमानुसार वैध हथियारों को रखने हेतु स्वीकृति प्रदान करनी चाहिए जिससे राष्ट्रविरोधी ताकतों का सामना सभ्य समाज आत्मनिर्भर होकर कर सके और अपने परिवार को सुरक्षित करे । यह बात पढ़ने या लिखने में भले ही गंभीर न लगे परन्तु है बहुत गंभीर ।

दिव्य अग्रवाल
लेखक व विचारक

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