हे मतदाता देश बचाओ

अपने देश के सारे नेता, भाषण से मन हर लेते हैं।
करते नही ये काम कभी कुछ, बातें प्यारी कर लेते हैं।।
झूठे हैं इनके सब वादे, इनकी बातें में चतुराई।
कहते हें ये केवल अपनी, सुनते नही किसी की भाई।।
वक्त पड़े पर पांव पूजते, और मांगते भीख वोट की।
धनिक भिखारी हैं ये ऐसे, जिन पर वर्षा होय नोट की।।
इनकी करतूतों के आगे, भगवान भी शरमाता है।
नेताओं का मीत न कोई, मतलब है तो नाता है।।
जीत गये तो चांदी इनकी, हार गये तो भी चांदी।
चंदा फंड डकारेंगे ये, ऐसे हैं अवसरवादी।।
जीत गये तो नेता पहले, अपना ही उद्घार करेंगे।
एसी गाड़ी में घूमेंगे, सैर सपाटा प्यार करेंगे।।
नाम देश की सेवा करना, नोटों का व्यापार करेंगे।
वेतन भत्ते और समर्थन, ले देकर घर-द्वार भरेंगे।
इनके बच्चे कॉन्वेंट में, और विदेशों में भी जाते।
निर्धन के बच्चों को नेता, मिड-डे मील में ही उलझाते।।
नही विकास देश का होगा, झूठे वादे नारों से।
हे मतदाता देश बचाओ, भ्रष्टï और मक्कारों से।।

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