आधुनिक इतिहास में शुद्धि समर्थक राष्ट्र नेताओं के नाम

स्वामी दयानंद- सर्वप्रथम देहरादून में एक मुसलमान को शुद्ध कर उनका अलखधारी नाम रख कर आधुनिक भारत में सदियों से बंद घर वापसी के द्वार को खोला
स्वामी श्रद्धानन्द- लाखों मलकाने राजपूतों जो नौ मुस्लिम कहलाते थे उन्हें शुद्ध किया और व्यवस्थित रूप से सकल हिन्दू समाज को संगठित करने का उद्घोष किया। शुद्धि चक्र को सार्थक रूप से अखिल भारतीय स्तर पर चलाया एवं अपना बलिदान भी दिया।
पंडित लेखराम- सिंध से लेकर सम्पूर्ण पंजाब में जहाँ भी कोई हिंदी मुसलमान या ईसाई बनता आप उसे शुद्ध करने निकल पड़ते। आपने शुद्धि रण में बलिदान दिया परन्तु अपना मिशन न छोड़ा।
लाला लाजपत राय- उत्तराखंड में आपदा काल में ईसाई मिशनरियों द्वारा अनाथ हिन्दू बच्चों को ईसाई बनाने से बचाया एवं सरकारी कमीशन से यह नियम बनयावा
पंडित देवप्रकाश- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल इलाकों में ईसाई मिशनरी द्वारा ईसाई बनाये गए लाखों आदिवासी हिन्दुओं को शुद्ध किया
लाला गंगाराम- स्यालकोट जिले में रहने वाले मेघ जाति के लोगों को शुद्ध कर उन्हें हिन्दू धर्म में शामिल किया
मास्टर आत्माराम अमृतसरी- गुजरात में रहने वाले महार जाति के लोगों
को जिन्हें धोखे से ईसाई बनाया गया था शुद्ध किया। डॉ अम्बेडकर को बरोड़ा नरेश सयाजी राव गायकवाड़ से छात्रवृति दिलाकर विदेश भेजने वाले आप ही थे।
स्वामी धर्मानंद(पंडित धर्मदेव विद्यामार्तंड)- मंगलोर, केरल क्षेत्र में जिन्हें धोखे से ईसाई बनाया गया था शुद्ध किया।
वीर सावरकर- रत्नागिरी जिले में दलितोद्धार करवाते समय जिन्हें धोखे से ईसाई बनाया गया था शुद्ध किया।
महात्मा आनंद स्वामी- केरल के मोपला में हुए दंगों में जिन्हें जोर जबरदस्ती से मुसलमान बनाया गया था शुद्ध किया।
ऋषिदेव जी- केरल के मोपला में हुए दंगों में जिन्हें जोर जबरदस्ती से मुसलमान बनाया गया था शुद्ध किया।
काहन चंद वर्मा लाहौर वाले- आपने कोलकाता से लेकर मद्रास प्रान्त में अनेक शुद्धियाँ की। कोलकाता की शुद्धि एक ब्राह्मण युवक की कि गई थी जो ईसाई बन गया था। आपकी इस शुद्धि पर बधाई देने वालों में प्रमुख नाम स्वामी विवेकानंद जी का था जो अपनी अस्वस्थता के कारण वहां उपस्थित न हो सके मगर पत्र लिखकर शुद्धि कार्य पर प्रसन्नता जाहिर की थी। (नोट- यह पत्र मेरे पास है)
यह छोटी से सूची है। शुद्धि कार्य के लिए तन-मन-धन से सहयोग करने वाले हज़ारों ऐसे नाम इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखित है। आज हमारे बिछुड़े भाइयों को फिर से वापिस घर ;लाने की अत्यंत आवश्यकता है जिन्हें धोखे से, जोर जबरदस्ती से हमसे दूर कर दिया गया था। हमारा और जिनका रक्त, रूप, शक्ल, जीवन शैली, संस्कृति, इतिहास, पूर्वजों का मान सब एक है।
आइये आप में से कौन कौन इतिहास पुरुष बनने के लिए पुरुषार्थ करेगा और वीर सावरकर जी की अंतिम इच्छा शुद्धि और दलितोद्धार जीवन का उद्देश्य होना चाहिए को पूरा करेगा।

#डॉविवेकआर्य

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