आप करोड़ों सदस्यों का क्या करेंगे?

भाजपा ने 1 नवंबर 2014 को अपना नया सदस्यता−अभियान शुरु किया था। अभी साढ़े तीन माह ही बीते हैं कि लगभग पांच करोड़ सदस्य बन गए हैं। इस साल के अंत तक याने अगले साढ़े दस माह में उसका संकल्प है कि 10 करोड़ सदस्य बन जाएं। इधर साढ़े तीन माह में 5 करोड़ और उधर साढ़े दस माह में सिर्फ पांच करोड़ क्यों? उक्त हिसाब से कम से कम 15−20 करोड़ सदस्य बनने चाहिए। क्या अब भाजपा की रफ्तार धीमी पड़ जाएगी? कहीं यह दिल्ली में लगी ‘झाड़ू’ का असर तो नहीं है?

जो भी हो, ज्यादा ध्यान देने योग्य बात यह है कि भाजपा के यदि 15−20 करोड़ सदस्य बन भी गए तो वे करेंगे क्या? भाजपा अध्यक्ष उनसे क्या काम लेंगे? क्या उनका काम जगह−जगह नेताओं की सभा में इकट्ठे होकर उनके ‘डायलागों’ पर तालियां ठोकना भर है? चुनाव के दिनों में मतदाताओं को मतदान−केंद्रों तक ढेलना भर है? भाजपा को क्यों दोष दें, सभी राजनीतिक दलों की यही दुर्दशा है। ये सब वोट पार्टी और नोट पार्टी बन गई हैं। पहले वोट कमाओ। फिर कुर्सी में बैठो और बैठे−बैठे नोट कमाओ। सारी दुनिया नोट कमाने के लिए अपना खून−पसीना एक करती है लेकिन नेताओं के पास जादू की छड़ी होती है। उन्हें सिर्फ जुबान हिलानी पड़ती है और नोटों की वर्षा होने लगती है। पार्टियों के कार्यकर्त्ता भी इस बारिश का आनंद लेना सीख जाते हैं। अमित शाह को बधाई की वे इस आनंद को 10 करोड़ कार्यकर्ताओं में बांटेंगे। किसी ने कहा भी है− ‘बांट−चूंट के खाना। बैकुंठ में जाना’।

सचमुच हमारे नेता जब तक सत्ता में रहते हैं, वे बैंकुंठवासी ही रहते हैं। ज्यों ही सत्ता खिसकती दिखाई पड़ती है, उनका नरकवास दस्तक देने लगता है। नेता नरक में पधारें, उसके पहले ही अत्यंत निष्ठावान कार्यकर्त्ता भी डूबते हुए जहाज से चूहों की तरह कूदने लगते हैं। अमित शाह अपने जहाज पर ऐसे ही चूहे इकट्ठे करने की कोशिश कर रहे हैं। वरना रातों−रात करोड़ों सदस्य बनाने की तुक क्या है?

अगर भाजपा अपने कार्यकर्ताओं से वोट और नोट के अलावा कुछ ठोस काम ले तो वह गांधी की कांग्रेस और लोहिया की समाजवादी पार्टी की तरह एक जुझारु संगठन बन सकती है। तब सत्ता का स्वर्ग और सत्ताविहीनता का नरक अपना सर्वोपरि महत्व खो देगा। उसका महत्व जरुर रहेगा लेकिन उससे बड़ा महत्व होगा, उन सिद्धांतों और नीतियों का, जिनके लिए उसके करोड़ों कार्यकर्त्ता रोज संघर्ष करेंगे, जन−जागरण करेंगे और यदि सत्ता में होंगे तो अपने सत्ताधारी साथियों को सोने नहीं देंगे। उनकी खाट खड़ी करके रखेंगे। अपने नेताओं को नौकरशाहों का नौकर नहीं बनने देंगे।

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