आचार्य बालकृष्‍ण

surya namska 12सूर्य नमस्कार का सरल अर्थ है ‘सूर्य को प्रणाम। वैदिक युग के प्रबुद्ध ऋषियों द्वारा सूर्य नमस्कार की परम्परा हमें प्राप्त हुर्इ है। सूर्य आध्यातिमक चेतना का प्रतीक है। प्राचीन काल में दैनिक सूर्योपासना का विधान नित्य-कर्म के रूप में था। योग में सूर्य का प्रतिनिधित्व पिंगला अथवा सूर्य नाड़ी द्वारा होता है। सूर्य नाड़ी प्राण-वाहिका है, जो जीवनी-शä कि वहन करती है।

गतिशील आसनों का यह समूह हठयोग का पारम्परिक अंग नहीं माना जाता है, क्योंकि कालान्तर में मौलिक आसनों की श्रृंखला में इन्हें समिमलित किया गया था। यह शरीर के सभी जोड़ों एवं मांसपेशियों को ढीला करने तथा उनमें खिंचाव लाने और आंतरिक अंगों की मालिश करने का एक प्रभावी ढंग है। इसकी बहुमुखी गुणवत्ता और उपयोगिता ने एक स्वस्थ, ओजस्वी और सक्रिय जीवन के लिए तथा साथ-ही आध्यातिमक जागरण और चेतना के विकास के लिए एक अत्यन्त उपयोगी पद्धति के रूप में इसे स्थापित किया है।

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