ऐसी फिजूलखर्ची क्यों?

एक आरटीआई के तहत जानकारी मिली है कि कुछ समय पूर्व वित्त मंत्रालय द्वारा फिर से शुरू किए गए एक रुपये के नोट की कीमत 1.14 रुपये बैठ रही है। सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी में यह तथ्य सामने आया है। आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल ने भारत प्रतिभूति मुद्रणालय तथा मुद्रा निर्माण निगम लिमिटेड में आरटीआई लगाकर जानकारी मांगी थी जिसके जवाब में उसे यह सूचना दी गई है। मुद्रणालय ने बताया कि इस नोट को उसने वर्ष 2014-15 के दौरान फिर से छापना शुरू किया जिस पर 1.14 रुपये प्रति नोट की लागत आ रही है। हालांकि एक रुपये के नोट को पहले सरकार ने 1994 में बंद कर दिया गया था। वजह यह थी कि उसकी छपाई की लागत ज्यादा आ रही है। इसके बाद 1995 में इसी कारण के चलते दो और पांच रुपये के नोट भी बंद कर दिए गए। बता दें कि वित्त मंत्रालय ने 6 मार्च 2015 को एक रुपये का यह नोट फिर से लांच किया था। एक रुपये के नोट पर वित्त सचिव राजीव महर्षि के दस्तखत हैं। इस पर रिजर्व बैंक आफॅ इंडिया के गवर्नर के हस्ताक्षर नहीं होते हैं। लेकिन इस एक रुपये के नोट के बारे में आरबीआई को ज्यादा जानकारी नहीं है। विचारणीय है कि जब देश में पहले ही भ्रष्टïाचार और दूसरे अन्य कारणों से आर्थिक विषमता बढ़ती जा रही है, तो ऐसे में देश की सरकार को ऐसे उपाय करने चाहिए, जिससे गरीब लोगों को अधिक से अधिक लाभ मिल सकें। फिजूलखर्ची की आवश्यकता नही है, बल्कि इससे बचने की आवश्यकता है।

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