डॉक्टर प्रेमा खुल्लर की पांच पुस्तकों का एक साथ हुआ लोकार्पण :  शिक्षा जगत की पहुंचीं कई महान विभूतियां

नई दिल्ली। (अजय कुमार आर्य) यहां स्थित मैग्नोलिया सभागार इंडिया हैबिटेट सेंटर लोधी रोड में साहित्य भारती रिसर्च फाउंडेशन एवं ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया व खुल्लर परिवार के संयुक्त तत्वावधान में डॉक्टर प्रेमा खुल्लर की पांच पुस्तकों का लोकार्पण समारोह संपन्न हुआ। इस समारोह में कोरोना कालीन प्रकाशन पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया।


कार्यक्रम में शिक्षा जगत की विभिन्न विभूतियों एवं प्रतिभाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर कार्यक्रम की भव्यता में चार चांद लगा दिए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पदम श्री डॉक्टर श्याम सिंह ‘शशि’ (साहित्यकार एवं पूर्व महानिदेशक भारत सरकार)  रहे। जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ मधु चतुर्वेदी जैसी सुप्रसिद्ध साहित्यकार द्वारा की गई।


कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ कानन शर्मा (क्षे0 नि0 इग्नू) डॉ अरविंद अग्रवाल,  डॉ राधेश्याम मिश्र (चिकित्सक साहित्यकार ) डॉ राकेश कुमार आर्य( हिंदूवादी इतिहासकार) डॉ शिव शंकर अवस्थी( महासचिव ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया) डॉक्टर आशा त्रिपाठी (वैज्ञानिक साहित्यकार) डॉ हरिसिंह पाल  व श्री दयानंद वत्स उपस्थित रहे।
    डॉक्टर प्रेमा खुल्लर की जिन पुस्तकों  का लोकार्पण किया या उनकी जिन पुस्तकों पर विशेष चर्चा इस संगोष्ठी में हुई उनमें ‘मैं सोचती हूं’ , ब्याहता, राह बना लूंगी , अंकित कर दूँ,  तलाश, प्यारा बरगद कहती डाली , शब्दों के दायरे सम्मिलित रहीं। डॉक्टर प्रेमा अभी तक अपनी 30 पुस्तकें लिख चुकी हैं। जिससे स्पष्ट है कि उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में अपना अमूल्य योगदान दिया है। जिसकी सभी विद्वानों ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की। डॉक्टर खुल्लर एक ग्रहिणी लेखिका हैं परंतु इसके उपरांत भी उन्होंने अपनी प्रतिभा का जिस उत्कृष्टता के साथ प्रदर्शन किया है वह निश्चित रूप से अभिनंदनीय है ।उन्होंने बड़ी शालीनता और गंभीरता के साथ अपना वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए सभी उपस्थित महानुभावों का धन्यवाद ज्ञापित किया और अपनी ओर से आश्वस्त किया कि वह भविष्य में भी उत्कृष्ट साहित्य लेखन में लगी रहेंगी।

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