सरदार पटेल का भारत की राष्ट्रीय अखंडता को बनाए रखने में था अप्रतिम योगदान : एके शर्मा

मेरठ। ( विशेष संवाददाता) 1857 क्रांति के महानायक धन सिंह कोतवाल शोध संस्थान मेरठ द्वारा ‘आजादी का राष्ट्रीय अमृत महोत्सव’ में भारत रतन सरदार वल्लभभाई पटेल जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर एक वेबीनार का आयोजन किया गया।
इस वेबीनार के मुख्य अतिथि श्री ए के शर्मा (सेवानिवृत्त आईएएस, एमएलसी एवं उत्तर प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष) रहे।
श्री शर्मा ने सरदार वल्लभभाई पटेल के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने अपने अनुपम कौशल का प्रदर्शन करते हुए जिस प्रकार राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए भारत का एकीकरण कर 563 रियासतों को एक साथ संयुक्त करने में अपनी अहम भूमिका निभाई। उससे भारत का वर्तमान अखंड स्वरूप हमारे सामने आया । यदि सरदार वल्लभभाई पटेल उस समय उस सूझबूझ न दिखाते और नेतृत्व प्रदान ना करते तो आज भारत के भीतर भी कई पाकिस्तान होते।
   श्री शर्मा ने कहा कि देश के सामने आज भी कई प्रकार की चुनौतियां हैं लेकिन देश आज सरदार पटेल जैसे सक्षम नेतृत्व के हाथों में सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल इतिहास के एक ऐसे नायक हैं जिनके साथ कई प्रकार की नाइंसाफी हुई परंतु उसके बावजूद भी वह अपना राष्ट्रीय धर्म निभाने में चूके नहीं। उन्होंने देश को महान और अखंड बनाने में अपना अप्रतिम योगदान दिया। जिसके लिए आने वाली पीढ़ियां उनकी ऋणी रहेंगी।
   इस अवसर पर सांसद विजयपाल सिंह तोमर ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल स्पष्ट वादी और कड़क स्वभाव के नेता थे। जिनसे अंग्रेज भी घबराते थे। उन्होंने कहीं पर भी किसी प्रकार के दब्बूपन का परिचय नहीं दिया बल्कि दबंगई से देश की समस्याओं को अंग्रेजों के सामने रखा।
   कार्यक्रम के संयोजक डॉक्टर तस्वीर सिंह  चपराणा ने सफल संचालन करते हुए कहा कि देश के इतिहास नायकों के साथ जिस प्रकार का अन्याय किया गया है वह असहनीय है । उन्होंने कहा कि उनका शोध संस्थान बिना किसी प्रकार के भेदभाव के अपने सभी महान क्रांतिकारियों को न्याय दिलाने की मुहिम चलाए हुए है। जिसमें वह जन सहयोग के चलते सफल भी हो रहे हैं। डॉक्टर राकेश कुमार आर्य ने वेबीनार में सरदार वल्लभ भाई पटेल के योगदान पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने जूनागढ़, हैदराबाद, कश्मीर आदि को भी भारत के साथ में लाने का एक सराहनीय प्रयास किया। डॉ आर्य ने कहा कि सरदार बल्लभ भाई पटेल नेहरू गांधी के दोगलेपन के विरुद्ध थे और वह किसी भी प्रकार के छद्मवाद या राजनीतिक दोगलेपन को कतई पसंद नहीं करते थे।
   वेबीनार में कई प्रांतों के लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और सरदार वल्लभभाई पटेल के योगदान पर खुलकर अपने विचार व्यक्त किए। वक्ताओं ने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे व्यक्तित्व के साथ जिस प्रकार नाइंसाफी की गई वह भारतीय इतिहास का बहुत बड़ा धोखा था। जिससे वर्तमान केंद्र सरकार ने पर्दा हटाने का सराहनीय कार्य किया है । वेबिनार में श्री विमल शर्मा, डॉ अशोक कुमार, कैप्टन सुभाष चंद्र, नवीन गुप्ता, सिम्मी भाटी, चौधरी जयचंद, सुनील बासट्टा, अरुण पाटिल, करुणा चौधरी, चंद्रशेखर ,अमनदीप सिंह, जोगिंदर सिंह, ब्रह्मसिंह बैंसला, डॉ मनीषा, अमर बिरला , विवेक कुछ आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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