आधुनिक विज्ञान से-भाग-दो

आणविक अस्त्रों का संग्रह कर, अंतरिक्ष भंडार बनाया।
राकेटों में मौत बंदकर, सिर के ऊपर लटकाया।

किंतु कराहती मानवता ने, धीरे से यह फरमाया।
वरदान कहा करते थे तुझे, किसने अभिशाप बनाया?

प्रकृति के गूढ़ रहस्यों का, तो तुमने पता लगाया।
किंतु मानव-हृदय गह्वर को, तू भी माप नही पाया।

जिसने तेरे उज्ज्वल मस्तक पर, ये काला दाग लगाया।
शक्ति देने से पहले, क्या तू इसे समझ नही पाया?
सोच कुछ इसका भी समाधान, अरे ओ आधुनिक विज्ञान

नित्य धरा पर होते हैं, अनवरत अनुसंधान।
जिनके द्वारा आज विश्व में प्रगति हुई महान।

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