तालिबान को समयानुकूल चुनौती देता पंजशीर

कमल सेखरी

हर ऊंट पहाड़ के नीचे आता है और हर नहले पर दहला लगता है। यह कुदरत का नियम है। दुनिया में जिसने भी निरंकुशता से दबंगी करने की कोशिश की है उसे मुंह की खानी ही पड़ी है। इसके लिए इतिहास साक्षी है। अफगानिस्तान पर दबंगी से किए कब्जे के नशे में चूर तालिबानी लड़ाके पंजशीर के उस सूबे की ओर भी बढ़ गए जो सूबा शुरू से ही आतंकियों के खिलाफ शूरमाओं की तरह खड़ा रहा है और जिसने बीस साल पहले भी अफगान में इसी तरह से आई तालिबानी हुकुमत को अपनी सीमाओं में प्रवेश नहीं करने दिया। पंजशीर के बहादुर नेता अमीरुल्ला सालेह ने तालिबान को उसी समय चुनौती दे दी थी जब उसने काबुल पर कब्जा कर लिया था और जीत की खुशी में वो चारों ओर अपना परचम लहरा रहा था। पंजशीर के इस नेता ने अफगानिस्तान के भगौड़े राष्टÑपति अशरफ गनी के काबुल छोड़ने के बाद जो हालात बने उसमें मजबूती से खड़े होकर यह घोषणा की कि वो अफगानिस्तान के अगले राष्टÑपति होंगे और पंजशीर काबुल को तालिबानी आतंक से मुक्त कराएगा। तालिबानी लड़ाकुओं ने अमेरिकी फौजों के अफगानिस्तान से कूच करने के बाद अपने पैर और पसारने शुरू किए और उसने शूरमाओं के सूबे पंजशीर की ओर अपनी कूच शुरू की यह मानकर कि वो अगले कुछ ही दिनों में पंजशीर पर भी अपनी फतह का झंडा लहरा देगा लेकिन पंजशीर के शूरमाओं ने उसके सभी इरादों पर पानी फेर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने बड़ी तादाद में तालिबानी लड़ाकुओं को मार गिराया। तालिबान और पंजशीर की सेना के बीच शुरू हुआ यह युद्ध कितने दिन चलेगा और क्या परिणाम देगा यह तो समय ही बताएगा लेकिन वक्त के बदलते मिजाज को देखते हुए आतंक विरोधी सोच रखने वाले मुल्कों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष किसी भी तरह से पंजशीर के बहादुर शूरमाओं की मदद तो करनी ही चाहिए। अगर तालिबान के निरंकुश लड़ाकुओं के हौसले पंजशीर ने पस्त कर दिए तो यह तेजी से बढ़ रहे आतंकी प्रसार पर एक बड़ा अंकुश लगाने का काम होगा। और यदि तालिबानी लड़ाकु और आतंकी गुटों तथा पाकिस्तान की मदद लेकर पंजशीर पर जीत हासिल कर गया तो अफगानिस्तान में जमे आतंक के इन पैरों को दुनिया के कई और देशों में जाने से कोई नहीं रोक पाएगा। ऐसे में इन आतंकी सोच वाले निरंकुशों का पहला निशाना भारत हो सकता है जिसमें पाकिस्तान और चीन जैसे देश इन आतंकी संगठनों को मजबूती देकर भारत जैसे विशाल मुल्क को एक बड़ी परेशानी में डाल सकते हैं। इस्लामिक आतंकवाद के मध्य पूर्वी देशों से बाहर निकल रहे इन आतंकी पैरों को अगर न रोका गया तो यूरोप के कई देशों सहित ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देश भी एक ऐसे बड़े चक्रव्यूह में फंस जाएंगे जहां से आसानी से निकल पाना कठिन होगा।

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