शायद राहुल गांधी की याददाश्त बहुत कमजोर है

🙏बुरा मानो या भला 🙏

 

—मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”

इजरायल की एक कम्पनी एनएसओ पेगासस को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें भारत के कई महत्वपूर्ण लोगों की जासूसी की बात कही गई थी। जिसमें श्री राहुल गांधी का नाम भी शामिल है। मीडिया सूत्रों के अनुसार इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि- “यह हथियार हिंदुस्तान के ख़िलाफ़ इस्तेमाल किया गया है। हम इस मामले में किसी भी तरह का समझौता नहीं करेंगे। इसका प्रयोग देशद्रोहियों और आतंकियों के ख़िलाफ़ होना चाहिए। नरेंद्र मोदी ने इसका प्रयोग लोकतंत्र के ख़िलाफ़ क्यों किया।”

कांग्रेस नेता राहुल गांधी आज लोकतंत्र और देशभक्ति की बात कर रहे हैं। कल तक “आतंकियों का साथ-आतंक का विकास” का नारा देने वाली कांग्रेस किस मुँह से नरेंद्र मोदी पर आरोप लगा रही है। क्या राहुल गांधी वह दिन भूल गए जब कश्मीर में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता सैफुद्दीन सोज ने कहा था कि “उनका बस चलता तो वह आतंकी बुरहान वानी को जिंदा रखते।”. क्या वह बताएंगे कि श्रीमति सोनिया गांधी ने बाटला हाउस मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों के लिए रातभर आंसू बहाए थे? खुद राहुल गांधी बताएं कि भारत के दुश्मन चाइना में उन्होंने किस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे? 11 जून, 2017 का वह दिन कोई सच्चा भारतीय नहीं भूल पाएगा जब कांग्रेस पार्टी के संदीप दीक्षित ने सेना प्रमुख को गुंडा कहा। दिल्ली की भूतपूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के सुपुत्र संदीप दीक्षित ने कहा, ”पाकिस्तान उलजुलूल हरकतें और बयानबाजी करता है। ख़राब तब लगता है कि जब हमारे थल सेनाध्यक्ष सड़क के गुंडे की तरह बयान देते हैं।”

राहुल गांधी जी के राजनीतिक गुरु कहे जाने वाले दिग्विजय सिंह ने इसके पहले 16 अप्रैल, 2017 को एक शर्मनाक बयान दिया जिसे सुनकर कोई भी समझ सकता है कि कांग्रेस पार्टी सेना के प्रति क्या भाव रखती है। उन्होंने कहा, ”कश्मीरी लोगों को एक तरफ आतंकवादी मारते हैं, दूसरी तरफ भारतीय सेना के जवान।” यहाँ यह उल्लेखनीय है कि यह वही दिग्विजय सिंह हैं जिन्होंने अर्धसैनिक बल के एक जवान को बिना किसी गलती के थप्पड़ मारा था।
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने एक कदम और आगे बढ़ते हुए कहा था कि – कारगिल लड़ाई भाजपा की लड़ाई थी।

खुद राहुल गांधी पर अक्सर दुनियाभर में भारत की छवि को धूमिल करने के आरोप लगते रहे हैं। कश्मीरी आतंक और पंजाब में खालिस्तानी उन्माद की जन्मदाता मानी जाने वाली कांग्रेस को यह जरूर सोचना चाहिए कि उसके घर शीशे के हैं।

🖋️ मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”
समाचार सम्पादक- उगता भारत हिंदी समाचार-
(नोएडा से प्रकाशित एक राष्ट्रवादी समाचार-पत्र)

*विशेष नोट- उपरोक्त विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। उगता भारत समाचार पत्र के सम्पादक मंडल का उनसे सहमत होना न होना आवश्यक नहीं है। हमारा उद्देश्य जानबूझकर किसी की धार्मिक-जातिगत अथवा व्यक्तिगत आस्था एवं विश्वास को ठेस पहुंचाने नहीं है। यदि जाने-अनजाने ऐसा होता है तो उसके लिए हम करबद्ध होकर क्षमा प्रार्थी हैं।

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