बागपत के खट्टा गांव में मनाया गया ऋषि दयानन्द का बोधोत्सव

बागपत। (नीरज गुप्ता) महर्षि दयानंद के “वेदों की ओर लौटो” मिशन को आगे बढ़ाने के लिए आज की युवा पीढ़ी भी आगे आ रही है। इसी मिशन से जुड़े युवा बागपत के खट्टा गांव में बहुत ही अच्छा कार्य कर रहे हैं।

इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए शिवरात्रि के पर्व को खट्टा गांव में ऋषि बोधोत्सव के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर युवाओं ने भारत को ऊंच-नीच, छुआछूत और सामाजिक भेदभाव से मुक्त करने का संकल्प लिया । उन्होंने इस बात का श्रेय महर्षि दयानंद को दिया कि उन्होंने अपने समय में इन सभी बुराइयों का जमकर विरोध किया था और देश को एक सही दिशा देने का काम किया था।

युवाओं ने एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन कर यज्ञ आदि के उपरांत विचारों का आदान प्रदान किया। जिसमें कहा गया कि इस दिन महर्षि दयानंद सरस्वती को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और वे असली शिव की खोज के लिए निकल पड़े थे। हमारे वैदिक आदर्शों को उस समय धूल चाट रही थी । उस सारी धूल को महर्षि दयानंद ने अपनी ज्ञान की अग्नि में जलाकर भस्म किया और लोगों को सच्चा मार्ग बताया।
इस पर्व पर खट्टा गांव के युवकों ने यज्ञ किया तथा सभी ने यह प्रण लिया कि वे सभी महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा बताए गए मार्ग पर चलकर एक नशा मुक्त, पाखंड मुक्त, अनुशासित,स्वस्थ और ऐसे समाज का निर्माण करेगे जहां कोई भी बीमार,चोर, अधर्मी नीच और पापी व्यक्ति ना हो ।इस अवसर पर संदीप आर्य ने अपने विचार व्यक्त किए और कहा कि सारे संसार का कल्याण वैदिक धर्म के द्वारा ही हो सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे ऋषियों की यज्ञ की परंपरा आज भी संसार का मार्गदर्शन कर सकती है । योग के माध्यम से सारे संसार नर भारत का लोहा माना है । यह हमारे ऋषियों की ही खोज और सोच थी कि उन्होंने सारे संसार को एक सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक और आर्थिक व्यवस्था प्रदान की।

युवाओं ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि महर्षि दयानंद के जीवन से प्रेरणा लेकर हमें महाशिवरात्रि के पर्व को विशेष ढंग से मनाना चाहिए और जो लोग इस समय भी पाखंड पर शिकार हैं उन्हें पाखंड मुक्त करने का प्रयास करना चाहिए।
सोनू आर्य, विकास आर्य, अमित आर्य, विक्की आर्य, विश्वाश आर्य, कमेष आर्य, विपिन आर्य
आकाश आर्य, अभिषेक आर्य, सर्वेंद्र आर्य, कुलदीप आर्य, संजय आर्य, सुमित आर्य, अंकित आर्य, धर्मेन्द्र आर्य, प्रिंस आर्य और प्रदीप आर्य आदि उपस्थित रहे।

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