गुरुकुल मुर्शदपुर ग्रेटर नोएडा का कोरोना निवारक गायत्री महायज्ञ , आर्य समाज का रहा है भारत के निर्माण में विशेष योगदान : डॉ राकेश कुमार आर्य

 

ग्रेटर नोएडा। ( अजय आर्य ) यहां गुरुकुल मुर्शदपुर में चल रहे कोरोना निवारक गायत्री महायज्ञ के 18 वें दिन प्रातः कालीन सभा को संबोधित करते हुए उगता भारत के संपादक डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में आर्य समाज का विशेष योगदान रहा है। डॉक्टर आर्य ने कहा कि एक अरब 96 करोड वर्ष पुरानी आर्य संस्कृति ने करोड़ों वर्ष तक देश और संसार को एक सुव्यवस्था प्रदान की।


उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद के सत्यार्थ प्रकाश के अनुसार अब से 5000 वर्ष पहले जब महाभारत युद्ध हुआ तो आर्य संस्कृति को भारी नुकसान हुआ। डॉक्टर आर्य ने कहा कि उसके पश्चात संप्रदाय ,मत ,पन्थ संसार में कुकुरमुत्ता की तरह पैदा हुए। जिससे आर्य संस्कृति को भारी नुकसान उठाना पड़ा। इसके पश्चात ईसाई और इस्लाम को मानने वाले लोगों ने संसार में मजहब के नाम पर भारी उत्पात किया। डॉक्टर आर्य ने कहा कि इस काल में भारत की संस्कृति का पराभव हुआ ,परंतु इसके उपरांत भी हमारे वीर महान योद्धाओं ने भारतीय संस्कृति के सम्मान और सुरक्षा के लिए अपने बलिदान दे दे कर इसे बचाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।


मुगलों और तुर्कों के शासनकाल में अनेकों वीर योद्धाओं ने बलिदान देकर आर्य संस्कृति की रक्षा की। उसके पश्चात 1857 की क्रांति के समय महर्षि दयानंद ने विशेष परिश्रम करके लोगों को सचेत कर अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांति के लिए तैयार किया। महर्षि दयानंद के कारण आर्य लोगों ने देश के लिए बलिदान होने वाले युवाओं की मानव फैक्ट्री लगा ली थी। स्वतंत्रता आंदोलन के समय में इस महान कार्य को स्वामी श्रद्धानंद जैसे आर्य नेताओं ने आगे बढ़ाया। डॉक्टर आर्य ने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि जब 1947 में देश आजाद हुआ तो सत्ता कांग्रेसियों के हाथों में चली गई।
उन्होंने कहा कि देश में अब तक 5 शिक्षा मंत्री मुस्लिम हुए हैं। जिन्होंने आर्य राजाओं की वैदिक परंपरा को और आर्य संस्कृति को नष्ट करने के लिए शिक्षा के सिलेबस में विशेष घालमेल किया। जिससे हमारे युवा आज अपने असली इतिहास को समझने में चूक कर रहे हैं। डॉक्टर आर्य ने कहा कि वैदिक शिक्षा संस्कृति को फिर से लागू करके ही हम देश का उत्थान कर सकते हैं । उन्होंने इस बात के लिए गुरुकुल मुर्शदपुर के प्रबंधन और इसके संचालक मंडल की प्रशंसा की कि ये सभी लोग वैदिक शिक्षा संस्कारों के आधार पर भारत के निर्माण के महत्वपूर्ण कार्य में लगे हुए हैं।

इस यज्ञ के बारे में युवा आर्य नेता आर्य सागर खारी ने बताया कि अब तक अनेकों लोगों ने यहां आकर यज्ञमान की हैसियत से आहुति दी हैं। उन्होंने कहा कि विशेष सामग्री संयुक्त हवन के द्वारा संसार का उपकार करना ही इस यज्ञ का विशेष उद्देश्य था इस यज्ञ के ब्रह्मा देव मुनि जी महाराज ने कहां की यज्ञ भारतीय संस्कृति के प्राण है जिससे हम समाज और राष्ट्र का निर्माण कर संस्कार का उपकार करना अपना सबसे बड़ा उद्देश्य समझते हैं जबकि आर्य जगत के सुप्रसिद्ध विद्वान आचार्य विद्यादेव जी महाराज ने कहा कि महर्षि दयानंद के क्रांतिकारी विचारों का प्रचार-प्रसार करना और उसके अनुसार युवाओं का निर्माण करना आज की शिक्षा संस्कृति का विशेष उद्देश्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि संस्कृति राष्ट्र के संस्कारों में बस जाए इसके लिए उच्च विचारों के आचार्यों का निर्माण करना भी समय की आवश्यकता है।
इस महान यज्ञ के कार्यक्रम में सरपंच रामेश्वर सिंह, अजयपाल सिंह आर्य, लीलू आर्य, दिवाकर आर्य, जयप्रकाश आर्य, मूलचंद आर्य, विपिन आर्य, वीरेश आर्य, विजेंद्र आर्य, कमल आर्य, प्रधान रघुवर सिंह, ब्रह्मपाल आर्य आदि का विशेष योगदान रहा। आर्य जगत के सुप्रसिद्ध विद्वान और आर्य प्रतिनिधि सभा गौतमबुध नगर के अध्यक्ष महेंद्र सिंह आर्य ने भी कई सत्रों में लोगों का मार्गदर्शन किया।
आर्य कन्याओं शिक्षा पुत्री प्रेम सिंह नागर , ज्योति पुत्री आशुतोष चौबे,दीक्षा व परीक्षा पुत्री उधम सिंह नागर निवासी जलालपुर ने अपनी देशभक्ति की कविताएं सुनाकर उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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