मेरी पुस्तक ‘भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा’ ( है बलिदानी इतिहास हमारा ) अब छपकर हुई तैयार

इस पुस्तक का उपसंहार इस प्रकार है :-

स्वाधीनता प्राप्ति के पश्चात भारत जब अपने वर्तमान दौर में प्रविष्ट हुआ तो भारत की सत्ता की कमान गांधीजी के राजनीतिक शिष्य नेहरू जी के हाथों में आई। दुर्भाग्यवश नेहरु जी ने भारत की छद्म अहिंसा को इस देश का मौलिक संस्कार बनाने का प्रयास किया । जिसका परिणाम हुआ कि भारत को 1962 में चीन के हाथों करारी पराजय का सामना करना पड़ा ।
नेहरू जी के एकदम पश्चात जब सत्ता लाल बहादुर शास्त्रीजी के हाथों में आई तो स्वभाव से अत्यंत विनम्र और शालीन व्यक्तित्व के स्वामी होने के उपरांत भी शास्त्री जी ने देश की प्रचलित अहिंसावादी नीति को राष्ट्रीय संदर्भ में स्वीकार न करने का संकल्प लिया । अपनी संकल्प शक्ति के बल पर उन्होंने 1965 में अर्थात चीन के हाथों मिली पराजय के मात्र 3 वर्ष पश्चात ही पाकिस्तान को करारी पराजय दी। इसी नीति पर चलते हुए इंदिरा गांधी ने भी 1971 में पाकिस्तान को फिर ऐसी ही करारी पराजय का मजा चखाया । इंदिरा गांधी ने अपने शासनकाल में परमाणु विस्फोट कर भारत की परम्परागत ‘चरखा नीति’ को अलग रखकर भारत को परमाणु संपन्न देशों में सम्मिलित कराने का ऐतिहासिक कार्य संपन्न किया। 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी जी ने इसी मार्ग पर चलते हुए फिर परमाणु विस्फोट किए और भारत को सम्मान दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया। वर्तमान में प्रधानमंत्री मोदी जी भी देश के पराक्रमी इतिहास से शिक्षा लेकर शत्रु देशों से पूर्ण सावधानी बरतने का ऐतिहासिक कार्य कर रहे हैं । उसके अच्छे परिणाम भी देखने में आ रहे हैं कि चीन जैसा शक्ति संपन्न देश भी अब भारत को आंख दिखाने की स्थिति में नहीं है , अन्यथा एक समय वह भी था जब पाकिस्तान और बांग्लादेश भी भारत को आंखें दिखा रहे थे।
प्रधानमंत्री मोदी जी ने धारा 370 को समाप्त कराने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है । इसी प्रकार के अन्य कई साहसिक निर्णय लेकर उन्होंने भारत को शौर्य संपन्न राष्ट्र के रूप में मान्यता दिलाने की दिशा में बहुत ही प्रशंसनीय कार्य किया है । उनके इस प्रकार के कार्यों से देश को जिस प्रकार सम्मान मिल रहा है उसे देखकर हमारे इसी तथ्य की पुष्टि होती है कि जब जब – जब देश को तेजस्वी नायक मिलता है तब – तब राष्ट्र उन्नति करता है और जब कोई दब्बू छद्म अहिंसावादी शासक देश को मिलता है तो देश का मनोबल टूटता है। मोदी जी के तेजस्वी राष्ट्रवाद और तेजस्वी नेतृत्व से यह तथ्य भी स्पष्ट होता है कि यदि अंतरराष्ट्रीय जगत में सम्मान प्राप्त करना है तो शस्त्र और शास्त्र का समन्वय करके चलना ही हितकर है। केवल शांति की बातों से काम नहीं चलता बल्कि क्रांति की बातों में विश्वास रखना भी आवश्यक होता है। शत्रु आपसे तभी भयभीत रहेगा जब आपके हाथों में उसे लाठी दिखाई देगी अर्थात शस्त्र दिखाई देगा। शास्त्र के उपदेशों से उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
भविष्य के तेजस्वी भारत का निर्माण करने के लिए हमें इस तथ्य को समझना ही होगा । हमारे इतिहास के लम्बे कालखण्ड पर इसी तथ्य के सत्य ने शासन किया है । निश्चय ही भारत को अपने गौरवमयी अतीत के इस तथ्य के सत्य को स्वीकार कर आगे बढ़ने का साहसिक निर्णय लेना होगा।

मेरी यह पुस्तक ‘साहित्यागार जयपुर’ द्वारा प्रकाशित की गई है । जिसका मूल्य ₹300 रखा गया है । पृष्ठ180 हैं। यह पुस्तक अमेज़न पर भी उपलब्ध है ।
पुस्तक प्राप्ति हेतु साहित्यागार जयपुर से आप 0 14 -123 10785 व मोबाइल नंबर 94 6894 3311 पर संपर्क कर सकते हैं ।
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भवदीय

डॉक्टर राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत एवं
राष्ट्रीय अध्यक्ष : भारतीय इतिहास पुनर्लेखन समिति

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