राष्ट्र रक्षा हेतु ‘जनसंख्या नियंत्रण कानून’ बनाया जाए

जनसंख्या विस्फोट से बचने  और राष्ट्र रक्षा हेतु समय की आवश्यकता है ‘जनसंख्या नियंत्रण कानून का बनाया जाना
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श्रीराम जन्म भूमि पूजनोत्सव के  साथ ही भाजपा के राज्यसभा सांसद डा. अनिल अग्रवाल ने एक महत्वपूर्ण पत्र लिख कर प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी से बहुप्रतिक्षित “जनसंख्या नियन्त्रण कानून” बनाने की राष्ट्रीय मांग को मूर्त रूप देने का आग्रह किया है।

निसन्देह यह सर्वविदित है कि आज हमारे देश में बढ़ती जनसँख्या एक भयानक  समस्या का रुप ले चुकी है। जिससे देश में विभिन्न धार्मिक जनसँख्या अनुपात निरंतर असंतुलित हो रहा है । इससे भविष्य में बढ़ने वाले अनेक संकटों का क्या हमको कोई ज्ञान है ? क्या हम अपने अस्तित्व पर आने वाले संकट के प्रति सतर्क है ? ऐसे में राम राज्य की स्थापना के लिये  बढती जनसंख्या एक बडी चुनौती बनती जा रही है। आज आत्मनिर्भर व विकसित भारत के लिये राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रश्न का महत्व और भी अधिक बढ़ता जा रहा है। ऐसे में राष्ट्ररक्षार्थ “जनसंख्या नियन्त्रण कानून” भारत की अनिवार्य आवश्यकता बन गयी है।

लोकतांत्रिक देश में चुनावी व्यवस्था के आधार पर राष्ट्र की राज्य व्यवस्था का गठन होता है और उसमें सम्मलित होने के लिए देश के समस्त नागरिकों को एक समान अधिकार होता हैं । कहने को यह एक सामान्य विषय बिंदू है । परंतु एक विशेष सम्प्रदाय के कुछ लोग निरंतर अपनी जनसँख्या बढ़ाते हुए देश में अनेक राष्ट्रीय व सामाजिक समस्याओं को बढ़ा रहें हैं । जबकि यह सत्य किसी से छिपा नही है कि जब 1947 में पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रो में मुस्लिम बहुसंख्यक हुए तो देश का विभाजन हुआ था। इसप्रकार जनसंख्या बल के दुष्प्रभाव व तत्कालीन राजनीति से धर्म के आधार पर देश विभाजित हुआ। लेकिन क्या वह स्थिति पुनः बनें उससे पूर्व ऐसे षड्यंत्रकारियों के प्रति सावधान होना आवश्यक नही होगा ? क्या यह अनुचित नही कि जहां जहां मुस्लिम संख्या बढ़ती जाती हैं वहां वहां उनके द्वारा साम्प्रदायिक दंगे भड़काने से वहां के मूल निवासी पलायन करने को विवश हो जाते हैं ?  तत्पश्चात वहां केवल मुस्लिम बहुल बस्तियां होने के कारण उनमें अनेक अलगाववादी व आतंकवादी मानसिकता पनपने लगती हैं।

इसके अतिरिक्त अधिकांश कट्टरवादी मुस्लिम समाज लोकतांत्रिक चुनावी व्यवस्था का अनुचित लाभ लेने के लिए अपने संख्या बल को बढ़ाने के लिये सर्वाधिक इच्छुक रहते हैं। तभी तो अधिकांश मुस्लिम बस्तियों में यह नारा लिखा हुआ मिलता है कि “जिसकी जितनी संख्या भारी सियासत में उसकी उतनी हिस्सेदारी” । जनसंख्या के सरकारी आकड़ों से भी यह स्पष्ट होता रहा हैं कि हमारे देश में इस्लाम सबसे अधिक गति से बढ़ने वाला संप्रदाय/धर्म बना हुआ हैं। इसलिए यह अत्यधिक चिंता का विषय है कि ये कट्टरपंथी अपनी जनसंख्या को बढ़ा कर स्वाभाविक रुप से अपने मताधिकार कोष को बढ़ाने के लिए भी सक्रिय हैं। इसको “जनसंख्या जिहाद” कहा जाये तो अनुचित न होगा क्योंकि इसके पीछे इनका छिपा हुआ मुख्य ध्येय हैं कि हमारे धर्मनिरपेक्ष देश का इस्लामीकरण किया जाये।
निसंदेह विभिन्न मुस्लिम देश टर्की, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, मिस्र, सीरिया, ईरान, यू.ऐ. ई. , सऊदी अरब व बंग्लादेश आदि ने भी कुरान, हदीस, शरीयत आदि के कठोर रुढ़ीवादी नियमों के उपरांत भी अपने अपने देशों में जनसंख्या वृद्धि दर कम करी है। फिर भी विश्व में भूमि व प्रकृति का अनुपात प्रति व्यक्ति संतुलित न होने से पृथ्वी पर असमानता बढ़ने के कारण गंभीर मानवीय व प्राकृतिक समस्याए उभर रही है। सभी मानवों की आवश्यकता पूर्ण करने के लिए व्यवसायीकरण बढ़ रहा है। बढ़ती हुई जनसंख्या संसाधनों को खा रही है। औद्योगीकरण होने के कारण प्रदूषण बढ़ रहा है व बढ़ती आवश्यक वस्तुओं की मांग पूरी करने के लिए मिलावट की जा रही है। जिससे स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं बढ़ रही है। इसके अतिरिक्त वायु प्रदूषण , कूड़े-कर्कट के जलने पर धुआं , प्रदूषित जल व खादय-पदार्थ , घटते वन व चारागाह , पशु-पक्षियों का संकट , गिरता जल स्तर व सूखती नदियां , कुपोषण व भयंकर बीमारियां , छोटे-छोटे झगड़ें, अतिक्रमण, लूट-मार, हिंसा, अराजकता , नक्सलवाद व आतंकवाद इत्यादि अनेक मानवीय आपदाओं ने भारत भूमि को विस्फोटक बना दिया है। फिर भी जनसंख्या में बढ़ोत्तरी की गति को सीमित करने के लिए सभी नागरिकों के लिए कोई एक समान नीति नही हैं। इसप्रकार बढती जनसंख्या मानवता के लिये एक अभिशाप बनती जा रही है। प्राप्त आंकडों के अनुसार हमारे ही देश में वर्ष 1991 , 2001 और 2011 के दशक में प्रति दशक क्रमशः 16.3 ,  18.2  व  19.2  करोड़ जनसंख्या और बढ़ी है। जबकि उपरोक्त वृद्धि के अतिरिक्त  बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और म्यांमार आदि से निरंतर आने वाले घुसपैठिये व अवैध व्यक्तियों की संख्या भी लगभग 7 करोड़ होने से एक और गंभीर समस्या हमको चुनौती दे रही है।

इसके अतिरिक्त विभिन्न समाचारों से प्राप्त कुछ आंकड़े व सूचनाओं के अनुसार ज्ञात होता हैं कि जनसांख्यकीय घनत्व के बिगड़ते अनुपात के बढ़ने से भी ये विकराल समस्याएं बहुत बड़ी चिंता का विषय बन चुकी है। सम्पूर्ण विश्व के 149 करोड़ वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में भारत का क्षेत्र मात्र 2.4 प्रतिशत हैं जबकि हमारी पूण्य भूमि पर विश्व की कुल जनसँख्या लगभग 7.5 अरब का 17.9 प्रतिशत बोझ है | आज हमारे राष्ट्र की कुल जनसँख्या लगभग 138 करोड से अधिक  है  और जो चीन की लगभग 143 करोड जनसँख्या के बराबर होने की ओर बढ़ रही है | जबकि पृथ्वी पर चीन का क्षेत्रफल हमसे लगभग 3 गुना अधिक है | इस प्रकार हम लगभग 402 व्यक्तियों का बोझ प्रति वर्ग किलोमीटर वहन करते है। जबकि चीन में उतने स्थान पर लगभग 144 व्यक्ति रहते है । इसीप्रकार पाकिस्तान में 260 , नेपाल में 196 , मलेशिया में 97, श्रीलंका में 323 एवं तुर्की में मात्र 97 व्यक्तियों का प्रति वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में पालन हो रहा है | हम से ढाई गुना बडे क्षेत्रफल वाले ऑस्ट्रेलिया की जनसंख्या जितनी ही संख्या ‎प्रति वर्ष हमारे देश में बढ़ रही हैं। अतः भविष्य में आने वाली पीढ़ियों को शांति, स्वस्थ व सुरक्षित जीवन के साथ साथ समाजिक सद्भाव एवं सम्मानित जीवन जी सके इसलिये हम सब राष्ट्रवादी चिंतित हो रहें हैं। इन चिंताओं के निवारण व देश के धर्मनिरपेक्ष स्वरुप को बचायें रखने के लिए आज की प्रमुख आवश्यकता है कि सभी नागरिकों के लिए एक समान “जनसंख्या नियंत्रण कानून”  बनना चाहिए।

इस विकराल राष्ट्रीय समस्या के समाधान व राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए देश का राष्ट्रवादी समाज विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से पिछले  4 – 5 वर्षों से सक्रिय हैं। विशेष रूप से “जनसंख्या समाधान फाऊंडेशन” द्वारा इस अभियान के अंतर्गत  राष्ट्रीय,प्रदेशीय व जिले स्तर पर सम्मेलन,गोष्ठियां, सभाएं व धरने प्रदर्शन बार-बार किये जाते रहे हैं । इसके अतिरिक्त जनजागरण हेतू प्रमुख राष्ट्रवादी समाचार चैनल सुदर्शन न्यूज द्वारा बीस हज़ार किलोमीटर की सत्तर दिन चलने वाली एक राष्ट्रव्यापी यात्रा भी निकाली गयी थी। कुछ वरिष्ठ राष्ट्रवादी चिन्तकों ने सामाजिक व धार्मिक सम्मेलनों व व्यक्तिगत स्तर पर भी एक प्रश्नावली के माध्यम से हज़ारों नागरिकों के हस्ताक्षर सहित सर्वे करके भी प्रधानमंत्री जी को भेजे थे। प्रधानमंत्री जी को इस कानून बनाने के निवेदन हेतू देश के अनेक क्षेत्रों से देशभक्तों द्वारा समय-समय पर  लाखों पोस्टकार्ड भी प्रेषित किये गये थे। साथ ही इस विकराल राष्ट्रीय समस्या के समाधान के लिए अखिल भारतीय संत परिषद के राष्ट्रीय संयोजक एवं क्रांतिकारी युवा सन्यासी यति नरसिंहानंद सरस्वती जी ने अथक परिश्रम करते हुए राष्ट्रपति,  प्रधानमंत्री व सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को अपने सैकडों अनुयायियों के साथ देश के विभिन्न भागों में जा जा कर निरंतर ‎रक्त से पत्र लिखकर व एक बार लम्बे समय तक अन्न त्याग करके अनशन द्वारा भी  “जनसंख्या नियंत्रण कानून” बनवाने की मांग को प्रभावकारी बनाने के लिये देशवासियों को इस अभियान से जोड़ने का विशेष दायित्व निभाया हैं।

अत: इस आंदोलन को देशवासियों व अनेक सांसदों का व्यापक समर्थन मिलने के उपरांत वर्तमान केन्द्रीय सरकार के पुनः सत्तारूढ़ होने पर सकारात्मक संकेत मिल रहे है। पिछले वर्षों में लोकसभा में भी सत्तारुढ़ भाजपा के सांसदों ने भी जनसंख्या नियंत्रण के लिए कठोर नीति बनाने की मांग के साथ इसके लिए एक मंत्रालय भी बनाने का आग्रह किया था। इसमें मुख्य रुप से सहारनपुर के सांसद  श्री लखनपाल , श्री रवींद्र कुमार राय व श्री निशिकांत दूबे ने बढ़ती मुस्लिम जनसंख्या पर चिंता जताई और सांप्रदायिकता से अलग हट कर जनसंख्या नियंत्रण कानून की आवश्यकता को राष्ट्रीय हित में सभी के लिये आवश्यक माना हैं। पिछले वर्ष अलवर (राजस्थान) के भाजपा विधायक श्री बनवारी लाल सिंहल ने सुदर्शन समाचार चैनल के अभियान को आत्मसात करते हुए अपनी पीड़ा को व्यक्त करते हुए फ़ेसबुक पर स्पष्ट किया कि “जब एक समुदाय अधिक बच्चे पैदा करके बहुसंख्यक होने की ओर बढ़ रहा है तो हिंदुओं को भी उन्हें काउंटर करने के लिए अधिक बच्चे पैदा करने चाहिये।” उन्होंंने एक प्रमुख राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्र को भी यही दोहराया, साथ ही विधायक जी ने एक सच्चाई और व्यक्त करी थी कि “राजस्थान के अलवर व भरतपुर में एक समुदाय विशेष के लोग अधिक पैसा हथियारों की खरीद पर व्यय करते हैं जबकि हिन्दू आधुनिक जीवन जीने में “। वैसे यह कहना अनुचित नही होगा कि ऐसे समाचार प्रायः देश के अधिकांश क्षेत्रों से आने के कारण यह भी एक राष्ट्रव्यापी समस्या हैं।

आज विज्ञानमय आधुनिक युग में जब विश्व के अनेक देशों में जनसंख्या नियंत्रण के लिए आवश्यक कानून बनें हुए हैं, तो फिर हमारे देश में ऐसा कानून क्यों न बनें ? अतः अधिक से अधिक लोगों को लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुसार इस अभियान से जुड़ कर अपने अपने क्षेत्रीय सांसद व विधायक से संपर्क करके इस विकराल समस्या के समाधान के लिए इस कानून को बनवाने में उनका सहयोग लें और उनका सहयोग भी करें। इसके अतिरिक्त करोड़ों राष्ट्रभक्तो को अपने अपने स्तर से इसके लिए पत्र लिख कर सरकार पर दबाव बनाना चाहिये ताकि यह अभियान एक ठोस रुप लेकर सफल हो सकें। बुद्धिजीवियों , पत्रकारों व राष्ट्रभक्तों को भी सम्मेलनों और गोष्ठियां द्वारा जनजागरण अभियान चला कर बढ़ती मुस्लिम जनसंख्या के दुष्प्रभावों के प्रति सामान्य नागरिकों को सतर्क करते हुए धर्म व जाति से ऊपर उठकर सभी के लिए इस कानून को बनवाने के लिए यथाशक्ति प्रयास करने होंगे। आज यह हम सभी की सर्वोच्च प्राथमिकता हो कि इस ज्वलंत राष्ट्रीय समस्या का अधिक से अधिक प्रचार करके इसके निवारण के लिए सभी यथासंभव सहयोग करके अपनी मातृभूमि के प्रति इस अप्रत्यक्ष धार्मिक अनुष्ठान को पूर्ण करायें। राष्ट्र रक्षार्थ “जनसंख्या नियन्त्रण कानून” के बनने से राम राज्य की स्थापना का संकल्प सार्थक होगा।

विनोद कुमार सर्वोदय
(राष्ट्रवादी लेखक व चिंतक)
गाज़ियाबाद

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