और यह देखिए जीवन संघर्ष शुरू

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विगत दिवस मैंने अपने घर के गैराज में घर के बच्चों (खोजी दल) द्वारा खोजे गए दर्जी चिड़िया के घोसले उसके अंडों का जिक्र किया| आज भास्कर के उदय होते घोसले में रखे तीन अंडो में से एक अंडे से माफ कीजिए जेष्ठ अंडे से दर्जी चिड़िया का जेष्ठ बच्चा (चूजा) निकल आया है| मेरा आकलन 2 सप्ताह का था अंडे से चूजे निकलने में 2 सप्ताह लग जाएंगे.. मेरा यह आकलन घटना सापेक्ष था अर्थात मैंने जिस दिन अंडों को देखा उस दिन को आधार बनाकर अंडे से चूजा निकालने की तिथि की घोषणा कर दी… लेकिन हम होते कौन हैं अनुमान लगाने वाले यह तो वह नन्ही चिड़िया ही जानती थी कि उसके अंडों से उसके नन्हे कोमल बच्चे कब निकलेंगे? हम इंसान इस प्रकृति ब्रह्मांड की व्यवस्थाओं की व्याख्या अपने सापेक्ष करते हैं…|

निष्कर्ष यह निकलता है अंडे 2 सप्ताह पूर्व दर्जी चिड़िया ने दिए थे हमने उन्हें लगभग 2 सप्ताह बाद देखा| प्रत्यक्ष प्रमाण ही प्रमाणित माना गया है प्रत्यक्ष आधारित अनुमान प्रमाण ही विश्वसनीय होता है………………..|

अब प्रश्न यह निकल कर आता है समस्त 3 अंडों से एक साथ चूजे क्यों नहीं निकले? कोई भी चिड़िया एक साथ अंडे नहीं देती अर्थात एग हैचिंग नहीं करती| वह क्रम से अंडे देती है उसी क्रम से अंडों से चूजे निकलते हैं |

जिज्ञासा यह भी उठती है जब चिड़िया ने अंडे दे दिए तो तत्काल चूजे क्यों नहीं निकले? चिड़िया को प्रजाति के अनुसार को 2 दिन से लेकर 1 महीने की अवधि तक अंडे सेने (hybernation)क्यों पड़ते है?

समाधान यह है भगवान ने मां को किसी भी योनि में संतान के पालन पोषण के दायित्व चुनौतियां प्रसव की जटिलताओं से मुक्त नहीं किया है…. किसी भी जीव जंतु परिंदे के प्रसव बच्चों के पालन पोषण को आप समझ लीजिए | संतानों को दूध पिलाने वाले स्तनधारियों के बच्चे मां के गर्भ में विकसित होकर दुनिया में आते हैं…. इंसान गाय घोड़ा आदि मैं बच्चा मां के गर्भ में मां के शरीर से पोषण पाकर निश्चित आकार परिमाण को पाकर प्रसव की प्रक्रिया संसार में कदम रखता है……………|

पक्षियों , सरीसृप कछुआ सांप मगरमच्छ आदि जो अंडे देते हैं उनके बच्चे अंडे रूपी संरचना में पलते हैं| अर्थात मां के शरीर में नहीं शरीर के बाहर अंडे में पलते हैं| अंडे के भीतर मौजूद तरल से वह पोषण लेते हैं… अंडे की सतह पर मौजूद संख्या सैकड़ों हजारों सुराख जिन्हें pores बोला जाता है उससे वह पक्षी परिंदे का भ्रूण श्वास लेता है…|

अब कुछ लोग आशंका करेंगे कि पक्षी ने अंडा दे दिया बात खत्म फिर प्रत्येक पक्षी जो अक्सर मादा होती है दिन के निश्चित समय में उन अंडों पर बैठकर उनको सैता क्यों है? ऐसा इसलिए है अंडे का तापमान वातावरण के तापमान से भिन्न होना जरूरी है…. वातावरण का तापमान अधिक है और अंडे का तापमान भी अधिक हो जाए तो अंडे की सतह की नमी समाप्त होने से भ्रूण विकसित नहीं हो पाएगा…. बाहरी तापमान बहुत कम है अंडे का ताप भी कम हो जाए इस स्थिति में भी भ्रूण नष्ट हो जाएगा अंडा खराब जाएगा| पक्षी अपने शरीर से अंडे के तापमान को एक निश्चित ताप पर सेट करते हैं… जिससे अंडे का खोल अंडे के भीतर मौजूद तरल जो भ्रूण के विकास के लिए अति आवश्यक है सुरक्षित रहे…. अंडे देने के पश्चात प्रत्येक परिंदा पूरे दिन में अपना 20 से 50 फीसदी समय अंडे सेने में लगाता है…. यह अवधि पक्षी के आकार अंडे के आकार पर निर्भर करती है…. उदाहरण के तौर पर जिस दर्जी चिड़िया का मैं जिक्र कर रहा हूं यह दिन में 5 से 10 मिनट के अनेक चरणों में अंडे पर बैठती है…….| आज जैसे ही उसके तीन अंडे में से एक अंडे से उसकी जेष्ठ संतान का अवतरण हुआ… वह तत्काल उसके लिए खुराक के रूप में एक कीट को ले आई| इतनी तन्मयता जीवटता से छोटी सी दर्जी चिड़िया एक मां के रूप में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रही है…. शायद इंसानी माता भी ना कर पाए|

आदर्श दर्जी चिड़िया के परिवार की यह गाथा जो मेरी आंखो के सामने घटित हो रही है आपके साथ इसी भांति साझा करता रहूंगा….!

शेष अगले लेख में|

आर्य सागर खारी ✍

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