कोरोना पर जल्दबाजी में लिए गये निर्णय : अंधेर नगरी चौपट राजा

 

कोरोना महामारी से निपटने के नाम पर जिस प्रकार की अव्यवस्था, अराजकता व अंधेरगर्दी इस देश में देखने को मिल रही है वह शायद ही विश्व में कहीं अन्यत्र देखने को मिले।

कोरोना को नियंत्रित करने के नाम पर लाकडाउन का निर्णय बहुत जल्दबाजी व बिना योजना तथा तैयारी के लिए लिया गया। 135 करोड लोगों के साथ यह एक क्रूर मजाक था।

परिणाम सामने है। देश में 30करोड से अधिक आबादी बेरोजगार हो गयी है। कारखाने, फैक्टरी आदि बन्द हो रहे हैं। देश के गरीब मजदूरों ने जो कष्ट उठाये, वे सभी जानते हैं। याद करो उन माताओं बहिनों को जो बच्चों को गोदी में उठाकर, सूजे हुये पैरों से लंगड़ाते हुये, भूखे प्यासे रहकर, भयानक गर्मी में सैकडों किलोमीटर चलने को मजबूर हुई थी। बहुत से लोगों ने रास्ते में दम तोड़ दिया। उनका अपनेघर पहुंचने का छोटा सा सपना भी अधूरा रह गया। कितने कष्ट से प्राण निकल होंगे उनके, यह सोचकर ही मन सिहर उठता है।

रही सही कसर पुलिस ने पूरी कर दी। जहाँ देखो वहां डंडे बरसाये जा रहे हैं। बिना किसी कारण आम जनता को इस प्रकार पीटा गया जैसे कि वे अपने देश के नागरिक न हो कर दुश्मन देश के हों। लाकडाउन तो बहुत से देशों में हुआ, किन्तु इतना कष्ट किसी को उठाना नहीं पडा जितना कि हमारे देशवासियों को भुगतना पडा है।

कोरोना मरीजों के उपचार के नाम पर जो अंधेरगर्दी मची हुई है ,उसकी अलग कहानी है। कोरोना की आड लेकर दूसरे रोगों से ग्रसित रोगियों को कोई देख नहीं रहा, वे बेमौत मरने को मजबूर हैं। बहुत से हास्पिटल में कोरोना के उपचार के नाम पर केवल औपचारिकता बरती जा रही है ।डाक्टर्स व नर्स स्वयं डरे हुये हैं। बीमार व्यक्ति इधर से उधर भटकते रहते हैं, मर जाते हैं पर उन्हें हॉस्पीटल में जगह नहीं मिलती।

इस पूरी अव्यवस्था के लिए मैं केवल एक व्यक्ति को जिम्मेदार मानता हूं और वे हैं भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, जो अपने आपको कठोर निर्णय लेने वाले नेता सिद्ध करने के चक्कर में विना सोचे विचारे निर्णय लेते हैं।

मेरा यह भी मानना है कि यदि सही ढंगसे निर्णय लिये जाते तो गरीब मजदूरों की दुर्दशा को रोका जा सकता था। उनकी मौतें रोकी जा सकती थी।आर्थिक स्थिति भी इतनी खराब नहीं होती। अस्पतालों की व्यवस्था भी सुधारी जा सकती थी। पर मोदी जी को कौन समझाये। मोदी जी तो मोदी हैं एक बार निर्णय ले लिया तो ले लिया।वे अपने निर्णय को बदलते नहीं।
आनन्द कुमार IPS(R)

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