कोराना भगाने के लिए देश के सभी आर्य समाज मंदिर और आर्य परिवार रविवार 26 अप्रैल को शाम 5:00 बजे करें यज्ञ का आयोजन

ओ३म्
-कोरोना को देश से भगाने के लिये आर्यसमाज शक्तिनगर, अमृतसर की प्रेरणा-
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आर्यसमाज शक्तिनगर, अमृतसर समर्पित ऋषिभक्तों से युक्त जीवन्त समाज है। इस समाज में समय समय पर अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं सराहनीय आयोजन किये जाते रहते हैं। उच्च भावनाओं से युक्त हमारे एक सुहृद मित्र ऋषिभक्त श्री मुकेश आनन्द जी इस समाज के प्राण हैं। वह हमें भी अनेक प्रेरणायें करते रहते हैं जिनसे हम लाभान्वित होते रहते हैं। आर्यसमाज ने कोरोना को भगाने का एक उपाय सोचा है जिसे वह आज क्रियान्वित रूप दे रहे हैं। इनके समाज के सभी सदस्य अपने परिवारों में आज रविवार दिनांक 26-4-2020 को अपने अपने परिवारों में अग्निहोत्र यज्ञ का अनुष्ठान कर रहे हैं व करेगे। यज्ञ में की गई प्रार्थना को ईश्वर पूरा करते हैं। यज्ञ में स्विष्टकृदाहुति देकर हम ईश्वर से हमारी सभी कामनाओं को पूरा करने की प्रार्थना करते हैं। यह भी प्रार्थना करते हैं ‘लाभकारी हों हवन हर प्राणधारी के लिये, वायु जल सर्वत्र हो शुभ गन्ध को धारण किये।’ जब हम किसी काम को व्यक्तिगत रूप से करते हैं तो उसका प्रभाव सीमित होता है। उसी काम को यदि अधिक लोग मिलकर करते हैं तो उसका प्रभाव उसी के अनुरूप कहीं अधिक होता है। संगठन में शक्ति होती है। आर्यसमाज शक्तिनगर-अमृतसर ने विचार किया है कि यदि सभी आर्य परिवार आज सायं 5.00 बजे ईश्वर से कोरोना को समाप्त करने की प्रार्थना करते हुए यज्ञ करें तो इसका निश्चय ही अपेक्षा के अनुरूप प्रभाव होगा और ईश्वर हमारी प्रार्थनाओं को अवश्य सुनेंगे व पूरी भी करेंगे। वेद कहता है कि आर्य ईश्वर के पुत्र हैं। हम सब आर्य भाई बहिन ईश्वर के पुत्र व पुत्रियां हैं और ईश्वर हमारा माता, पिता, आचार्य, राजा और न्यायाधीश है। कोई पिता अपनी सन्तान की उचित प्रार्थना को अस्वीकार नहीं करता। ईश्वर सर्वशक्तिमान होने से कोरोना जैसी साधारण व सभी असाधारण बीमारियों को तत्काल समाप्त कर सकते हैं। यह उनकी इच्छा व संकल्प मात्र से दूर हो सकती है।

आर्यसमाज के अतिरिक्त विश्व के सभी लोग ईश्वर के सच्चे स्वरूप से अपरिचित हैं। वह उसके सत्यस्वरूप को न जो जानते हैं न ही उपासना करते हैं। वह इन बातों को नहीं जान सकते। वह एक प्रकार से नास्तिक व अर्ध आस्तिक ही कहे जा सकते हैं। कोरोना रोग का एक प्रमुख कारण विश्व के लोगों के अमर्यादित वेदविरुद्ध आचरण एवं ईश्वराज्ञा भंग करने का अभिशाप है। इस कारण से हम आर्यसमाज के अनुयायियों का दायित्व सबसे अधिक है। इसके लिये हमें ईश्वर से प्रार्थना करनी है और उद्देश्य के अनुरूप कर्म व व्यवहार करने है। बाद में हम पूरे विश्व में वेद प्रचार कर लोगों को उनके कर्तव्य से परिचित करा सकते हैं।

कोरोना को पराजित करने व इसका समूल नाश करने का अग्निहोत्र से अच्छा कोई उपक्रम व उपाय नहीं हो सकता। वेदों में परमात्मा ने कहा है कि अग्निहोत्र यज्ञ कृमि नाशक होता है। कृमि में सभी प्रकार वायरस एवं बैक्टिरियां भी सम्मिलित हंै। हम अनुमान करते हैं कि अग्निहोत्र यज्ञ का कोरोना पर अवश्य ही प्रभाव पड़ेगा और यह कम से सकम उन स्थानों से भाग जायेगा जहां जहां कोरोना नाशक यज्ञ किये जायेंगे। प्रार्थना का प्रभाव तो पूरे विश्व में उत्पन्न किया जा सकता है, ऐसा कुछ कुछ हम अनुभव व अनुमान करते हैं।

हम देश विदेश एवं स्थानीय सभी आर्यसमाज के अधिकारियों एवं परिवारों से विनम्र अनुरोध करते हैं कि वह अपने पुरोहितों से सायं ठीक 5.00 बजे आर्यसमाज मन्दिरों में यज्ञ करने का अनुरोध करें और सभी आर्य बन्धु अपने निवास गृहों में अपने पूरे परिवार के साथ घृत, शक्कर, नारीयल, बादाम, किश्मिश, छुआरों व अन्य रोग निवारक पदार्थों एवं पुष्टि करने पदार्थों सहित गुग्गल, गिलोय आदि पदार्थों से युक्त सामग्री से यज्ञ करें। यज्ञ में जो जो कृमिनाशक ओषधियों को मिलाकर आहुतियां दे सकते हैं, देने का कष्ट करें। एकता में शक्ति होती है। अतः सब ऋषिभक्तों से विनती है कि आज सायं 5.00 बजे अवश्य अग्निहोत्र यज्ञ करें। इस यज्ञ के चित्र आप हमारे मित्र श्री मुकेश आनन्द जी, अमृतसर को उनके व्हटशप नं. 8283814759 पर प्रेषित करने की कृपा करें। आप हमें भी यज्ञ का चित्र हमारे व्हटशप नं. 9412985121 पर प्रेषित करने की कृपा करें। हमारे मन में विचार आया है कि यदि हम सामूहिक रूप से रस्से को एक ही समय में एक साथ मिलकर खींचते हैं तो सबकी शक्ति के जुड़ने से अधिक बल का उत्सर्जन होता है। यदि अलग अलग बल प्रयोग करें तो शक्ति कम होती है। इसी प्रकार यदि हम सब मिलकर आज सायं 5.00 बजे यज्ञ करेंगे तो इसका प्रभाव अधिक हो सकता है। सबके हृदय ईश्वर से कोरोना को भगाने की प्रार्थना कर रहे होंगे तो इसका प्रभाव भी विशेष हो सकता है। हम आशा करते हैं कि सभी आर्यबन्धु आर्यसमाज शक्तिनगर, अमृतसर की प्रेरणा व अनुरोध पर ध्यान देंगे और इस अनुष्ठान को सफल करेंगे। ओ३म् शम्।

-मनमोहन कुमार आर्य

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