युवाओं में धर्म और संस्कृति के प्रति लगाव आवश्यक

download (8)झज्जर। यहां आर्य समाज के उत्साही नवयुवकों द्वारा ‘हिंदुत्व के समक्ष चुनौतियां और उनका समाधान’ विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसे मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए ‘उगता भारत’ के संपादक राकेश कुमार आर्य ने कहा कि इस समय देश सचमुच सांस्कृतिक, धार्मिक, राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों से घिरा हुआ है। श्री आर्य ने कहा कि सरहदों पर शत्रु उत्पात मचा रहा है और राजनीति अपनी ओछी हरकतों में मशगूल है।
उन्होंने कहा कि देश के इतिहास के साथ तथ्यों की गंभीर छेड़छाड़ की गयी, देश के संविधान में जिन आदर्शों को हमारे लोकतंत्र का आधार बनाकर चलने का प्रयास किया गया, उन्हें मिटाया गया है, देश की आजादी के पहले दिन से ही शिक्षा, नीति वही रखी गयी जो अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही थी, देश की औद्योगिक नीति, आर्थिक नीति और शिक्षानीति में व्यापक परिवर्तन की आवश्यकता थी जो कि नही की गयी, इसलिए हमारा आज का युवक दिशाविहीन और भ्रमित है। श्री आर्य ने कहा कि इस समय ही नही बल्कि अब से बहुत पहले हमें देश में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की लहर पैदा कर अपने इतिहास, अपनी संस्कृति और अपने नैतिक और सामाजिक मूल्यों के प्रति समर्पित युवा का निर्माण करने के लिए देश में दूसरी क्रांति की बुनियाद रख देनी चाहिए थी, लेकिन कांग्रेस और कांग्रेसी नेताओं की भूलों के कारण देश में युवाओं के जागरण के लिए और राष्ट्रवादी मूल्यों के प्रति उनकी निष्ठा को गहरा और मजबूत बनाने के लिए कोई ठोस कदम नही उठाए गये। आज के युवा के भटकाव का कारण यही है कि उसे सही रास्ता नही दिखाया गया।
श्री आर्य ने कहा कि आज के युवा को सही दिशा देने के लिए हमें सांस्कृतिक जागरण के लिए कटिबद्घ होना पड़ेगा, फिर से आर्य समाज की धूम मचनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वीर सावरकर ने हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाते एक बार नही अपितु कई बार कांग्रेसी नेताओं को चेताया था, कि देश में बुद्घ की बात करनी छोड़िए और युद्घ की बात सोचिए, लेकिन उनकी यह चेतावनी उग्रता वादी राष्ट्रवाद की प्रतीक समझकर उपेक्षित कर दी गयी। वक्त ने साबित कर दिया कि हिंदू महासभा के इस नेता का चिंतन कितना सही था? आज देश की सीमाओं पर पाकिस्तान, बंगलादेश, बर्मा, नेपाल, चीन, श्रीलंका आदि सभी पड़ोसी देश उत्पात मचा रहे हैं, इसलिए हमें समय रहते अब भी अपने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रति समर्पितभाव से काम करने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर पतंजलि योगपीठ की ओर से उपस्थित रहे वरिष्ठ वक्ता धर्मपाल सिंह ने कहा कि देश-विदेश में योग बाबा के रूप में विख्यात बाबा रामदेव सांस्कृतिक जागरण का अनुपम कार्य कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेसी सरकारों को यह उनका जागरण का कार्य अच्छा नही लग रहा इसलिए उनके साथ विदेश में भी अनुचित बर्ताव करवाया गया है, जिसे देखकर प्रत्येक भारतवासी का सिर शर्म से झुक गया है। उन्होंने कहा कि देश में साम्प्रदायिक दंगे नेताओं की वोटों की राजनीति के कारण होते हैं। ये वोटों के सौदागर
राजनीतिज्ञ लाशों के भी सौदागर हैं। राजनीति जब लाशों पर की जाने लगती है तो उस समय देश में भय, मृत्यु और अकाल का ताण्डव नृत्य होता है। आज जो परिस्थितियां हैं वो हमारी इसी भूल का परिणाम है।
विचार गोष्ठी में उपस्थित रहे हिंदू युवक महासभा के राष्ट्रीय संयोजक भाई चंद्रभान ने कहा कि देश को युवा ने हमेशा नई दिशा दी है और अब भी भारत का युवा ही नई दिशा देगा। उन्होंने कहा कि देश में सांस्कृतिक जागरण के माध्यम से नई क्रांति करने का समय आ गया है। जबकि हिंदू महासभा के पूर्वी भारत के विभागीय मंत्री श्रीनिवास एडवोकेट ने इतिहास के तथ्यों से अवगत कराते हुए गोकशी, नारी उत्पीड़न और शिक्षा में गिरते मूल्यों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस दिशा में हमें ठोस कार्य करना होगा।
सभा का सफल संचालन कृष्ण आर्य द्वारा किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग करने वाले उनके सैकड़ों साथी उपस्थित थे। सभा की अध्यक्षता वरिष्ठ समाजसेवी ओमप्रकाश आर्य द्वारा की गयी। सभा में सोमप्रकाश भारद्वाज, संदीप आर्य, दीपक आर्य, ओमवीर आर्य, अजय कुमार आर्य, नवीन कुमार राठी, विजेन्द्र सिंह, रवि दाहिया, दिलबाग आर्य, रविन्द्र आर्य आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

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