आँखें खोल कर देखो यही हैं फरिश्ते

2014_3image_07_30_4619920006u7p6qou-llभारत के मस्तक  और धरती के स्वर्ग माने जाने वाले कश्मीर में पिछले दिनों से जो कुछ हो रहा है, जो कुछ किया जा रहा है उसे देखकर न सिर्फ कश्मीर बल्कि दुनिया की आँखें खुल जानी चाहिएं। भीषण बाढ़ की त्रासदी में पानी-पानी हो चुके कश्मीर के लिए भारतीय सेना  और देश के योग्यतम एवं अपूर्व नेतृत्व ने जिस दूरदर्शिता और तात्कालिक आपदा प्रबन्धन के विलक्षण कौशल का परिचय दिया है उसके प्रति हम सभी आदर सहित नत मस्तक हैं।

पूरी दुनिया ने भी भारतीय आपदा प्रबन्धन और राहत के चमत्कारों के आगे लोहा मान लिया है। तभी तो सभी की आत्मा अब सच बोलने को इतनी व्याकुल हो उठी है कि सच को स्वीकार करने का साहस और माद्दा पैदा होने लगा है अन्यथा अब तक जो होता रहा है उससे हम सभी भलीभांति परिचित हैं।

दृढ़ संकल्प, देश के लिए जीने-मरने का ज़ज्बा और मानवीय संवेदनाओं ने जो हाल के दिनों में जो कुछ कर दिखाया है वह भारतीय इतिहास का ऎसा स्वर्णिम पृष्ठ है जो युगों तक सक्षम नेतृत्व और सेना की काबिलियत की कीर्तिपताका फहराता रहेगा।

प्रकृति के ताण्डव का मंजर देशवासियों ने कई-कई बार देखा है और पिछले समय में अच्छी तरह यह भी महसूस किया है कि मानवीय संवेदनाओं का कितना प्रभाव सामने आया, तत्कालीन नेतृत्व की भूमिका कैसी रही, कितना प्रबंधन रहा और कितनी राहत का अहसास हुआ। लेकिन इन सभी के बीच कश्मीर की जल त्रासदी और तात्कालिक राहत के प्रति सेना और राष्ट्रीय नेतृत्व ने जिस गंभीरता के साथ तत्काल कार्यवाही की, हजारों लोगाें को मौत के मुँह से बचाया और राहत का अहसास कराया। यह अपने आप में भारतीय इतिहास की वह विलक्षण घटना ही कही जा सकती है जिसने यह जता दिया कि मन में संकल्प हों और सार्वजनीन एवं सार्वभौमिक कल्याण की दिशा-दृष्टि हो तो अच्छे कार्यों के चमत्कारिक परिणाम सामने आते हैं और सभी को दिल से यह महसूस होता ही है कि अच्छा ही अच्छा हो रहा है।

ऎसे लोकसेवी और प्राकृतिक आपदा में राहत के मामले में इस प्रकार की फुर्ती सभी के लिए अनुकरणीय है। इसके लिए देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय सेना बधाई की पात्र है जिन्होंने यह अहसास करा दिया है कि देशवासियों के हर सुख-दुःख में वे साथ हैं और अब किसी को परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है।

देशवासियों के दिल में इस अहसास के प्रति विश्वास कायम होना अपने आप में अपूर्व आशातीत सफलता है जो मानवीय मूल्यों और संवेदनाओं का जयघोष करती लगती है। यह प्राकृतिक आपदा कई मायनों में हृदय परिवर्तन चाहती है। खासकर अलगाववादियों को पनाह देने वाली कश्मीर भूमि के लोगों के लिए सोचने का वक्त है कि आज उनकी जान बची है तो उन्हीं सैनिकों के कारण से, जिन्हें वे ‘आर्मी गो बैक’ कहकर पत्थर मारने और कश्मीर से आर्मी हटाने को तैयार रहते थे।

इस सेना की बदौलत ही आज कश्मीर के भीषण और भयावह जलप्रलय पर समय रहते अंकुश लग पाया, राहत मिली और जान-माल बची। अन्यथा थोड़ी सी भी देर होती तो आज भारत के स्वर्ग का मंजर कुछ अलग ही नारकीय होता।

कश्मीर के लोगों को सच्चे मन से आज यह सोचने की जरूरत है कि उनका असली रहनुमा कौन है, कौन है जो उनकी हिफाजत भी कर सकते हैं,आतंकवादियों से भी बचा सकते हैं और विकास भी दे सकते हैं। शेष भारत के भौगौलिक क्षेत्रों और सामाजिक पृष्ठभूमि से समरस होने की आज जरूरत है।

हालांंकि आज के परिप्रेक्ष्य में स्वयं कश्मीरवासियों को अच्छी तरह यह अनुभव हो ही गया होगा कि उनका भला किसमें है।  कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, वहां के प्रत्येक भारतवासी की रक्षा और विकास भारत का फर्ज है। आज जरूरत इस बात की है कि जो  कुछ हुआ वह धुल गया, पुरानी सारी बातों को भुलाकर कश्मीर में भारतीय राष्ट्रवाद की जड़ों को मजबूत करते हुए फिर से पटरी पर लाने की जरूरत है।

अब साफ-साफ यह पैगाम देने की भी जरूरत है कि कश्मीर की भूमि आतंकवादियों को पनाह नहीं देगी और पाकिस्तान भी आँख दिखाने की जुर्रत करेगा तो कश्मीरी लोग उसकी आँखें फोड़ने में पीछे नहीं रहेंगे। कश्मीर हमारा है और रहेगा।

हम सभी देश्वासी अपने कश्मीरी बंधुओं-भगिनियों के साथ हैं लेकिन कश्मीर के लोगों को भी हमें यह विश्वास दिलाना होगा कि भारत के स्वर्ग पर अब ऎसी कोई नापाक हरकत नहीं होने दी जाएगी जो राष्ट्रीय सुरक्षा या स्वाभिमान को आहत करने वाली हो। जात-पाँत और मजहब से ऊपर उठकर हम सभी लोग पहले हिन्दुस्थानी हैं और रहेंगे। हमारी इस भारतीयता की पहचान को न मिटने देंगे, न मिटाने देंगे।

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